जाहिर है, आपका उत्तर होगा - पाठकों के द्वारा पढ़े जाने के लिए. आप चाहते हैं कि आपका लिखा पाठक पढ़ें, और अपनी सुविधा से पढ़ें. ऑनलाइन पढ़...
जाहिर है, आपका उत्तर होगा - पाठकों के द्वारा पढ़े जाने के लिए.
आप चाहते हैं कि आपका लिखा पाठक पढ़ें, और अपनी सुविधा से पढ़ें.
ऑनलाइन पढ़ें और मर्जी बन पड़े तो ऑफलाइन पढ़ें. ठीक?
तो फिर आप अपने चिट्ठे की पूरी फ़ीड उपलब्ध क्यों नहीं करते?
शुरुआत में, हो सकता है, आपको लगे कि इससे आपके चिट्ठे को मिलने वाले क्लिक की संख्या में थोड़ी सी कमी नजर आए, परंतु अंततः इस कदम से आपके चिट्ठे को लाभ ही होगा, और आपके चिट्ठे को ज्यादा लोग, और ज्यादा की संख्या में ज्यादा बार पढ़ेंगे.
और, ये बात कई मर्तबा सिद्ध की जा चुकी है, और एक बार और इस बात को पुख्ता किया गया है. मेरे स्वयं के सभी चिट्ठों की पूरी फ़ीड उपलब्ध है. हिन्दी के कुछ अच्छे-चर्चित चिट्ठे जिनकी पूरी फ़ीड उपलब्ध हैं, ये हैं –
- ठहाका
- इधर उधर की
- ई-पंडित
- काकेश
- आलोक पुराणिक
- सारथी
- वाह मनी
- उड़नतश्तरी
- लिंकित मन
- शब्दों का सफर
- उन्मुक्त
- विनयपत्रिका
- मोहल्ला
- मानसी
- रेडियोवाणी
- निर्मल आनंद
- मीडिया व्यूह
- चवन्नी चैप
- जो कह न सके
- मसिजीवी
- नई सड़क
- मेरी कठपुतलियाँ
- इत्यादि, इत्यादि....
और भी कई हैं, और इन्हें रेंडमली चुना गया है.
तो, सार यह है कि आप भी अपने चिट्ठे की पूरी फ़ीड प्रकाशित करें. अपने पाठकों को ये सुविधा दें कि वे आपके लिखे को अपने ईमेल क्लाएंट में, फ़ीड रीडर के जरिए ऑनलाइन या ऑफलाइन जैसे मर्जी बन पड़े पढ़ें. उसे आपके चिट्ठे पर आने के लिए मजबूर न करें. अपने नियमित पाठक की सहूलियत का ध्यान रखें.
हो सकता है आप पूछें कि फ़ीड क्या होता है हमें नहीं मालूम. तो ये कड़ी देखें या फिर यह दूसरी कड़ी. फिर भी, इसे ज्यादा समझने की कोशिश करने के बजाए अपने ब्लॉगर खाते में लॉगिन करें, डैशबोर्ड में जाएँ, सेटिंग्स पर क्लिक करें, फिर साइट फ़ीड पर क्लिक करें और एलाऊ ब्लॉग फ़ीड के सामने चयन बक्से में फुल चुनें. टैम्प्लेट सहेज लें. बस हो गया.
वर्डप्रेस के लिए वर्डप्रेस में लॉगिन करें, डैशबोर्ड में ऑप्शन्स पर क्लिक करें, रीडिंग पर क्लिक करें, फिर नीचे सिंडिकेशन फ़ीड्स में फुल टैक्स्ट चुनें. अपने टैम्प्लेट को सहेजें. बस, हो गया.
आपके चिट्ठे की पूरी फ़ीड देने के लिए आपको अग्रिम धन्यवाद. हो सकता है कि मैं आपका लिखा ऑफलाइन पढ़ रहा होऊँ, और टिप्पणी देने की स्थिति में नहीं होऊँ (या एडसेंस विज्ञापनों को क्लिक न कर पाऊँ,) मगर मेरे दिल में आपके लिखे के प्रति हजारों टिप्पणियों का भाव जगेगा, और जो दिली धन्यवाद दूंगा, वो दसियों एडसेंस क्लिकों के बराबर होगा. और मैं आपके चिट्ठे को (जिसकी पूरी फ़ीड मिलती है) अपने पसंदीदा रीडर में शामिल कर लूंगा (अधूरी फ़ीड को शामिल करने का क्या फ़ायदा जब मुझे आपके चिट्ठा स्थल पर ही जाकर पढ़ना होता है!, और इसीलिए कई दफा आपका धांसू लिखा मुझसे पढ़ने से रह जाता है! ! )
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रवि जी आपने रेमिंगटन कीबोर्ड का जो लिंक दिया है वह अद्भुद है.
जवाब देंहटाएंअच्छा किया यह जानकारी सबके साथ बांटी. साधुवाद.
जवाब देंहटाएंआपसे सहमत हूँ। मैंने भी काफी सोच-समझकर पूरी फीड देने की सोची। अगर आधी फीड देंगे तो पाठक कुछ दिनों बाद फीड से चिट्ठा पढ़ना ही बंद कर देगा क्योंकि उसे लगेगा कि पूरा लेख तो होता नहीं।
जवाब देंहटाएंपूरी फीड देने के विचार का पूरा समर्थन.
जवाब देंहटाएंजानकारी देने का शुक्रिया पर हम अभी पूरी तरह से समझ नही पाये है.
जवाब देंहटाएंप्रिय रवि
जवाब देंहटाएंइस लेख के द्वारा आप ने एक महत्वपूर्ण कार्य की फिलॉसफी प्रस्तुत की है. कैसे करना है यह भी बताया है. आभार.
ममता जी ने जो कहा वह अधिकतर चिट्ठाकरों के लिये सत्य है. अत: मेरा अनुरोध है कि "फीड क्या है" नाम से एक या दो सचित्र लेख और छाप दें
-- शास्त्री जे सी फिलिप
प्रोत्साहन की जरूरत हरेक् को होती है. ऐसा कोई आभूषण
नहीं है जिसे चमकाने पर शोभा न बढे. चिट्ठाकार भी
ऐसे ही है. आपका एक वाक्य, एक टिप्पणी, एक छोटा
सा प्रोत्साहन, उसके चिट्ठाजीवन की एक बहुत बडी कडी
बन सकती है.
आप ने आज कम से कम दस हिन्दी चिट्ठाकरों को
प्रोत्साहित किया क्या ? यदि नहीं तो क्यो नहीं ??
मुझे इस बारे में कोई जानकारी नही थी, क्ि ऐसा भी कुछ होता है।
जवाब देंहटाएंमुझे भी कोई आपत्ति नही है। मै आपके द्वारा बताऐगे तरीके से करने की पूरी कोशिस करूँगा।
धन्यवाद
मुझे इस बारे में कोई जानकारी नही थी, क्ि ऐसा भी कुछ होता है।
जवाब देंहटाएंमुझे भी कोई आपत्ति नही है। मै आपके द्वारा बताऐगे तरीके से करने की पूरी कोशिस करूँगा।
धन्यवाद
रवि जी धन्यवाद इतनी जानकारी के लिए |
जवाब देंहटाएंअपना एक अनुभव बांटना चाहूँगा | हमेशा से में अपने चिट्ठे के ट्रैफिक की जानकारी के लिए कई अंग्रेजी टूल उसे किए Sitemeter/Statscounter , ऐसे ही एक चिट्ठे की टिपण्णी पर किस्सी ने http://gostats.in का जीकर किया था - एक हिन्दी वेब काउंटर |
मैंने इस टूल के लिए रजिस्टर किया और इस्तेमाल किया , काफ़ी अच्छा और किफायती टूल है , सबसे बड़ी बात हिन्दी में है |
हिन्दी वाकई में पूरे जगत के लिए सोचने वाली भाषा बन कर उभर रही है |