आमतौर पर बैंकिंग संस्थाओं के जाल-स्थलों पर सुरक्षा के हर संभव उपाय किए जाते हैं और उनमें अत्यंत सुरक्षित – वेरीसाइन जैसी सेवाओं का इस्तेम...
आमतौर पर बैंकिंग संस्थाओं के जाल-स्थलों पर सुरक्षा के हर संभव उपाय किए जाते हैं और उनमें अत्यंत सुरक्षित – वेरीसाइन जैसी सेवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बावजूद जाल-स्थल के लुटेरे अच्छी खासी सुरक्षित साइटों में भी सेंध लगाने में यदा कदा सफल हो ही जाते हैं.
कुछ समय पहले हिन्दी-ब्लॉग्स.ऑर्ग को हैक कर लिया गया था, और हाल ही में मॉनस्टर.कॉम की साइट को हैक कर लिया गया था और उसमें पंजीकृत उपयोक्ताओं के डाटा चुरा लिए गए थे. जब मॉनस्टर.कॉम और बैंक ऑफ इंडिया जैसी साइटें हैक हो सकती हैं तो हिन्दी-ब्लॉग्स.ऑर्ग की क्या बिसात?
कम्प्यूटर सुरक्षा सेवा एफ़-सेक्यूर के अनुसार, बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य पन्ने पर एक अदृश्य आई-फ्रेम घुसा दिया गया था जो कि उपयोक्ता के कम्प्यूटर पर किसी अन्य जाल-स्थल के यूआरएल को स्वचालित लोड कर लेता था. यह यूआरएल फिर तीन अन्य यूआरएल को लोड कर लेता था. इन्हीं में से एक जाल-स्थल से एक जावा-स्क्रिप्ट फ़ाइल loader.exe आपके कम्प्यूटर पर स्वचालित डाउनलोड किया जाता था जो कि आपके कम्प्यूटर पर कोई दो-दर्जन से अधिक अतिरिक्त मालवेयर व ट्रोजन फ़ाइलों को - जो आपके उपयोक्ता नाम व पासवर्ड को आसानी से चुरा सकने की काबिलियत रखते हैं - को डाउनलोड करता था. यह सब उपयोक्ता की जानकारी के बगैर होता था. बैंक ऑफ इंडिया को तो ख़ैर इसकी हवा भी नहीं थी.
ताज़ा समाचार के अनुसार बैंक ऑफ़ इंडिया की साइट दुरुस्त कर ली गयी है.
ऑनलाइन जिंदगी में तमाम ओर खतरे बिखरे पड़े हैं – चलियो जरा संभल के!
(स्क्रीनशॉट - एफ़सेक्यूर वेबलॉग)
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मेरा विश्वास कीजिये, मैंने वह वायरस युक्त ईमेल आपको नहीं भेजा है
जब बचाव ही अपने हाथ में न हो तो कोई क्या कर सकता है :(
जवाब देंहटाएंसम्भल कर चलेंगे जी.