कल एक बढ़िया विज्ञापन (इकानॉमिक टाइम्स का) छपा था. 60 वर्षों की आजादी का अर्थ क्या है? मेरे लिए 60 वर्षों की आजादी कुछ यूँ मायने रखती है – ...
कल एक बढ़िया विज्ञापन (इकानॉमिक टाइम्स का) छपा था. 60 वर्षों की आजादी का अर्थ क्या है?
मेरे लिए 60 वर्षों की आजादी कुछ यूँ मायने रखती है –
- मैं अपना व्यापार व्यवसाय जमाने के लिए आजाद हूँ– ठीक है, लाइसेंस राज कम हुआ है – पर अभी ही किसी चिट्ठे में पढ़ा – एक स्कूल खोलने के लिए आपको 11 लाइसेंस की आवश्यकता अब भी होती है – और उसके लिए आपको आमतौर पर घूंस दिए बिना काम नहीं बनता.
- लोन लेने के लिए मैं आजाद हूँ – हाँ, ये सही है. कोई पंद्रह साल पहले एक फ्लैट के लिए गृहऋण प्राप्त करने के लिए रतलाम के सभी बैंकों के चक्कर लगाए, किसी ने नहीं दिए तो इंदौर (एचडीएफसी) से फ़ायनेंस करवाया था. आज हालात ये हैं कि एजेंट आपके घर आकर हर संभावित-असंभावित चीजों पर लोन देने को तत्पर रहते हैं. पर, लोन चुकाने के लिए परिस्थितियाँ बदली हैं क्या? आप वहां आजाद हुए क्या?
- दिवा स्वप्न देखने की आजादी – ये दिवा स्वप्न तो मैं देख ही सकता हूं कि तमाम भ्रष्ट राजनेताओं, गंदी-धर्म-जाति-आधारित राजनीति, छुद्र वोट बैंक को पालती-पोसती राजनीतिक पार्टियों के बावजूद भारत विश्व का नं1 देश बन सकता है....
- काम करने की आजादी – ठीक है. नहीं, ठीक नहीं है. पहले मैं कोई भी काम कर सकता था. जेसिका लाल टाइप हत्या कर न्यायालय से छूट सकता था, परंतु अब ये आजादी नहीं है. गांधीगिरी करने वाले मुन्नाभाइयों को भी सज़ा मिल रही है. ये तो खतरे का संकेत है. ये तो मेरी आजादी में सेंध है.
- काम नहीं करने की आजादी – ये तो खैर अपनी साठ साला आजादी की महत्वपूर्ण उपलब्धि है. आप गवर्नमेंट सेक्टर में हो या नेतागिरी में – आपको बिना काम किये तनख्वाह पाने की और मलाईदार विभागों से माल खाने की पूरी आजादी है. आरटीआई एक्ट और विजिलेंस कमिश्नर जाएँ भाड़ में – जहाँ काम नहीं करने की पूरी आजादी हो – वहाँ ये भी कुछ नहीं कर सकते.
- छुट्टी मनाने की आजादी – साठ साला आजादी में यही तो बड़ी आजादी मिली है. किसी नेता की मृत्यु पर या देश में हर जाति-धर्म के महीने के पाँच-सात त्यौहारों में - सरकारी गैर सरकारी - हर समय हम छुट्टी ही छुट्टी मनाते हैं. सरकारी विभागों में चाय और दोपहर के भोजन के समय के अलावा हर समय छुट्टी का सा माहौल रहता है. यह भी कोई कम आजादी नहीं है.
- हायर एंड फ़ायर की आजादी – यस, दिस आजादी इज़ ग्रेट आजादी. और जब आईपीएस अफसर ही झूठे एनकाउंटर पर अपराधियों को फ़ायर करने लगें तो हायर करने की जरूरत ही नहीं. आई कैन हायर एनी डेस्पेरेट वन फ़ॉर एस लो एस फ़ाइव हंड्रेड बक्स टू फ़ायर एनीवन.
- हिमालय पर पर्वतारोहण की आजादी – ठीक है, पर मेरे तीस करोड़ दोस्त भी बेचारे पूरे रोजगार-से-आजाद हैं जो सूखे पथरीले पत्थरों के पहाड़ जैसे स्थानों पर रहते हैं और दो वक्त की रोटी के लिए मजदूरी पाने के लिए जाने कितने पर्वतारोहण रोज करते हैं.
- 40 वें वर्ष में अभिभावकों के साथ रहने की आजादी – भला हो आईटी, बीपीओ और दुबारा पैदा हुए डॉटकॉम बूम का, जो मैं कमाता खाता अपने अभिभावकों के साथ हूँ, नहीं तो मैं भी अपने तमाम दोस्तों की तरह अपने 40 वें वर्ष में भी बेरोजगार रहकर अपने अभिभावकों पर निर्भर उनके साथ रहने को अभिशप्त रहता.
- घर से काम करने की आजादी – इंटरनेट ने मुझे ये आजादी तो दे दी है. पर मेरी ये आजादी कब छिन जाए इसका अंदेशा मुझे जब तब परेशान करता रहता है. और इससे ज्यादा परेशान मेरे उन तमाम दोस्तों का खयाल करता है जिनके पास काम नहीं है – घर या बाहर कहीं भी.
- 9से5 की नौकरी छोड़कर स्ट्रॉबेरी फ़ॉर्म खोल लेने की आजादी – हाँ, ये आजादी मुझे भी हासिल है. परंतु यदि मैं अमिताभी शख़्सियत का हुआ तो ये मुश्किल है. फिर तब मुझे अपने किसान होने न होने का प्रमाण देना होगा और मुझ पर फ्रॉड और धोखाधड़ी का भी केस लग सकता है. हाँ, लालू टाइप हुआ तो मैं अपने सरकारी मकान में आलू भी लगा सकता हूँ और भैंस भी पाल सकता हूँ. कुल मिलाकर बढ़िया आजादी, परंतु सिर्फ सही इस्तेमाल करने वालों के लिए.
- विदेशी भाइयों के बराबर कमाने की आजादी – अब तक सिर्फ भ्रष्टाचार, स्मगलिंग, घूसखोरी के जरिए ये काम संभव था. अब मेहनत से, एक नंबर पर ये काम हो सकता है. ये सही आजादी है – पर लालफीताशाही और अफसरशाही मुझे ये आजादी देगी?
- ऊर्जा कमी की परेशानी से आजादी – ईंघन-डीजल-पेट्रोल-बिजली की बातें यदि हो रही हैं तो मान लिया कि इनकी कमी की परेशानी से आजादी मिली है, परंतु इनके उठते भावों से आजादी कब मिलेगी भाई? कब मिलेगी? शायद कभी नहीं मिलेगी.
- ‘सोमवारी सुबह’ समस्या से आजादी – माने कि सप्ताह में बंधे-बंधाए पाँच दिन और तीस घंटे काम करने की समस्या से आजादी. इसका मतलब अब आप सप्ताह में सातों दिन और यथा-संभव-अधिकतम घंटे, पर पूरी आजादी से काम करें. आजाद होकर बेडरूम में, बाथरूम में कहीं भी काम करें. और हो सके तो रविवार ऑफिस में गुजारें ताकि कामकाजी सोमवारी सुबह समस्या आपको हो ही नहीं.
- घटिया राजनीतिक वादों से आजादी – अब तो बढ़िया राजनीतिक वादे ही होते हैं. रंगीन टीवी मुफ़्त में बांटने की घोषणा होती है जिसके दम पर सरकारें चुनी जाती हैं. देखना है कि आगे और क्या क्या घोषणाएँ होती हैं. हम वोटरों के तो मजे ही मजे.
- बॉस इज़ ऑलवेज़ राइट से आजादी – क्योंकि अब मैं हर छः महीने में अपना बॉस बदल सकता हूँ, कंपनी बदल सकता हूँ – आईटी सेक्टर में होने के फ़ायदे जो हैं. लोगबाग अब अपनी जमी जमाई, सरकारी किस्म की नौकरी छोड़कर आईटी सेक्टर में कूद रहे हैं. बॉस, दे आर राइट. दिस इज़ राइट टाइम.
- सांप्रदायिकता से आजादी – ये बात कुछ हजम नहीं हुई. नारदीय संघर्ष देखा नहीं क्या. मगर रुकिए, मुहल्ले में जरा शांति है, और अब क्रांतिमय आलोकित बातें ज्यादा हो रही हैं. ये आजादी तो तभी मिलेगी जब दुनिया से धर्मों का नामोनिशान मिट जाएगा. और ये नहीं हो सकता मेरे भाई.
- जारगन (jargon) से आजादी. नहीं. आज तो हर तरफ जारगन ही जारगन है. सड़क पर, रेल में, बसों में, हवाई यात्राओं में, पार्क में और पार्किंग में. जारगन ही जारगन. जनसंख्या के दबाव के चलते जारगन से आजादी की कल्पना ही नहीं कर सकते.
अब आप बताइये कि आपके लिए ये साठ साला आजादी क्या मायने रखती है?
आज आप कितने आजाद हैं?
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स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
हटाएंबहुत अच्छा. ये फ्रीलांसरी हमें भी आ जाये तो कितना आनन्द हो. अपना समय, अपनी मौज, अपनी तरंग, अपनी ब्लॉगरी - मैं ईर्ष्या कर रहा हूं.
हटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई।
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