विकास कुमार ने जब अपने चिट्ठे पर लेटेन्ट स्पेस की कड़ी दी तो मीनाक्षी से उनके पोस्ट पर टिप्पणी कर यही पूछा - विकास कुमार said......
विकास कुमार ने जब अपने चिट्ठे पर लेटेन्ट स्पेस की कड़ी दी तो मीनाक्षी से उनके पोस्ट पर टिप्पणी कर यही पूछा -
विकास कुमार said...
I've given a link to your blog from mine. I hope you dont mind.
http://vikashkablog.blogspot.com/2007/05/iit-jee.html
अगर विकास ये बात मीनाक्षी से नहीं पूछते तो?
हम लोग सभी एक दूसरे के चिट्ठों की कड़ियाँ अंधाधुंध अपने चिट्ठे पर देते हैं. किसी दिन कोई बंदा बुरा मान गया तो?
बुरा मान गया तो क्या होगा? वह कोर्ट चला जाएगा जहाँ कोई जयपुरिया या बनारसी या कनाडाई किस्म का कोई जज उस चिट्ठाकार को गिरफ़्तारी के समन्स भेज देगा जिसने अपने चिट्ठे में फरियादी के चिट्ठे की कड़ी दी है.
आप कहेंगे कि मैं क्या घाल-मेल बात कर रहा हूँ और ये कनाडाई जज वाली बात कहां से आ गई? क्या भारत के किसी कस्बे का नाम कनाडा है?
दरअसल पिछले कुछ समय से यह खबर कहीं कहीं चल रही थी कि ब्रिटिश कोलम्बिया, कनाडा में किन्हीं मिस्टर वायन क्रुक्स ने इंटरनेट पर मानहानि का मुकदमा दायर किया हुआ है. आप कहेंगे इंटरनेट? जी हाँ, उन्होंने इंटरनेट पर मुकदमा दायर किया है जिसमें प्रतिवादी याहू!, विकिपीडिया, माइस्पेस, पी2पीनेटवर्क और, अपनी सांस थामिए, गूगल इत्यादि... सम्मिलित हैं.
कोढ़ में खाज यह कि इन्हीं क्रुक्स महोदय ने ताजा ताजा ही विधि विज्ञान के प्रोफ़ेसर माइकल गीस्ट पर भी उसी तरह का मान हानि का मुकदमा दायर किया है. माइकल गीस्ट पर क्रुक्स का आरोप है कि माइकल ने अपने ब्लॉग में किसी तीसरे व्यक्ति के ब्लॉग का लिंक दिया था जिसमें क्रुक्स पर ऐसी बातें लिखीं गई थीं, जिसमें क्रुक्स को आपत्ति है. यानी आप अन्य ब्लॉगों के लिंक अपने ब्लॉग पर मासूमियत से - जाने-अनजाने देते हैं तो भी लिंक देने के कारण आप अपराध के भागीदार हैं.
जयपुर, बनारस और ब्रिटिश कोलम्बिया में सचमुच बहुत समानता है - ट्रू-ग्लोबलाइजेशन जैसा!
ऊपर से उधर प्रमोद - अजदक बने पूछ रहे हैं - आप लिंक्ड हैं या नहीं? क्वाइट फ़नी, इज़न्ट इट?
Tag Wayne Crookes,Micheal Geist,British columbia,defamation lawsuit
पहले तो कनाडा देखकर दिल धक से हुआ कि कहीं हम ही लपेटे में तो नहीं आ गये, फिर पूरा पढ़ने पर जरा शांति लगी.
हटाएंहमेशा की तरह रवि रतलामीजी ने अच्छी जानकारी उपलब्ध करायी है ।
हटाएंऔर सोचता था मैं जोड़ूँ लिन्क आपकी निज चिट्ठे पर
हटाएंकिन्तु डरा हूँ अब मैं इतना हाथ न चलता कुंजीपट पर
अब तो हाटलिंक भी देना मुश्किल वाला काम हो गया
चलें जमायें अब हम धूनी साथ आपके गंगातट पर
रविशंकर भाई, क्या टिपियाने पर भी कोई जुर्म बनता है क्या?
हटाएंकल ही हमने बहुत सारे चिट्ठों को, आपके समेत, अपने ब्लॉगरोल में शामिल किया है.. तो क्या अब हमें खयाल रखना होगा कि आप कुछ ऐसा आपत्तिजनक न लिखें जिसकी आँच हम तक पहुँच जाय..?
हटाएंअच्छी जानकारी उपलब्ध कराई आपने रवि जी, शुक्रिया।
हटाएंवैसे अपन ने अपन ने अपने चिट्ठे पर किसी का भी लिंक देने से पहले ही उनकी इज़ाज़त ले लेना ठीक समझा था
रवि जी, आपकी वेब साइट तो बहुत ही अच्छी है | पढ़ कर काफ़ी अच्छा लगा | मैने देखा है की आपकी साइट को रोमन इंग्लिश मैं भी पढ़ा जा सकता है तो मैने सोचा की आपको बता दूं की मुझे एक साइट मिली है जहाँ से रोमन इंग्लिश से हिंदी मैं लिखा जा सकता है - और वह भी बड़ी आसानी से - http://quillpad.in/ | आप ख़ुद ही देख लीजिए
हटाएंकोई केस ना कर दे आपके चिट्ठे पर टिप्पीयाने के लिए. उसे खुन्नस होगी आपसे, चपेट में आऊँगा मैं.
हटाएंअब से दो बार सोचना पड़ेगा.
उपयोगी मजेदार जानकारी.
अरे बाबा रे बाबा! इतने चर्चित ब्लोग पर सबसे ऊपर अपने ब्लोग का जिक्र देख कर तो दिल धक्क्क से हो गया। और जब से पढ है, डर रहा हूँ कही सच मे कोई मुकदमा हो जाये तो। देखिए कम से कम आप लोग मेरे साथ रहिएगा। क्यूंकि अगर हम गए.....तो तदनुसार आप भी जायियेगा काहे की आप भी तो लिंक देबे ना किये हैं।
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंअरे ये पोस्ट देर से पढ़ी .. हम तो बहुत खुश हो रहे थे कि
हटाएंआपके ब्लौग में एच टी एम एल पोस्ट नहीं होता. इस्लिये मेरी टिप्पणी अधुरी रह जा रही है... चलिये कोई बात नहीं आप मेरी नयी पोस्ट देख लें...
हटाएंअब कोई अविनाश ऐसे किसी न्यायधीश को 'मूर्ख' कह देगा तो कोई न जाने कैसी कैसी गदा-तलवार लेकर संहार पर उतारू हो जाएंगे।
हटाएंहमने आप को लिंकित कर रखा है इसलिए हम तो कनाडा न जाएंगे।
ऐसी पोस्टें मन में भय ड़ाल देती हैं - सब छोड़ कर लगता है किताब खरीदो और पढ़ो. इंटरनेट के चक्कर में न पड़ो. और ब्लॉगरी के तो बिल्कुल नहीं. देखिये न कितनी भय मूलक टिप्पणियां आई हैं.
हटाएंयह भी खूब है, किसी को लिंक करो को सोच समझ कर और पूछताछ करके।
हटाएंआप हमेशा रुचिकर खबरें लाते हैं।
हटाएं@Shishir,
शिशिर भाई QuillPad आदि के बारे में रवि जी को बताना तो सूरज को दीपक दिखाने के समान है। शायद आप रवि जी के हिन्दी के क्षेत्र में योगदान से परिचित नहीं।
Raviji,
हटाएंAapke blog ki post ki link maine apane blog par rakhkhi hai. Court main jane se pahele hi mujhko bata dena :-)
-Piyush