आज (शनिवार 17 मार्च 2007 का ई-पेपर देखें) के हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रथम पृष्ठ पर हिन्दी चिट्ठों के संबंध में एक छोटा सा लेख छपा है. ...
आज (शनिवार 17 मार्च 2007 का ई-पेपर देखें) के हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रथम पृष्ठ पर हिन्दी चिट्ठों के संबंध में एक छोटा सा लेख छपा है.
यह खबर, लगता है संपादन टेबल की कैंची की भेंट चढ़ गई, क्योंकि यही खबर दैनिक हिन्दुस्तान में थोड़ी बड़ी और ज्यादा अच्छी है!
मुख्य धारा की मीडिया में हिन्दी चिट्ठे हलचल तो पैदा कर रहे हैं, चाहे जैसे भी हो!
# अद्यतन - अंग्रेज़ी में पूरा आलेख यहाँ पढ़ें
Tag हिन्दुस्तान,टाइम्स,हिन्दी,ब्लॉग
वाह अच्छी खबर है, लेकिन इमेज से पढ़ी नहीं जा रही। क्या आप इसे थोड़े बड़ी साइज में स्कैन करके डाल सकते हैं।
जवाब देंहटाएंYe bhee paThaneeya hai:
जवाब देंहटाएंExplosion in Hindi Blogging
http://www.kafila.org/2007/03/12/the-relief-of-blogistan/
रवि जी ब्लॉगिंग से बाहर की दुनिया के लोगों के लिए यह खबरें लिखी जा रही हैं पर बात अधूरी कहती हैं मुझे लगता है कि प इस विषय पर पूर्णता से विचार प्रस्तुत करते लेखों को लिखे जाने की जरूरत है
जवाब देंहटाएंवाह ताजा खबर, मैं भी बलौग के विषय में लिख रहा हुँ सर पुरी होने पर अपने यहाँ पेपर(bilaspur chhattishgarh) में दुंगा. :)
जवाब देंहटाएंमेरी टिप्पणी कहाँ गई? आप दो दो बार परिश्रम करवाते है.
जवाब देंहटाएंअच्छी खबर दी.
श्रीश,
जवाब देंहटाएंये इमेजेस ई-पेपर के हैं, स्कैन किए नहीं, अतः इनकी गुणवत्ता बढ़ाना संभव नहीं है. पूरा आलेख ईपेपर की कड़ी में जाकर पढ़ सकते हैं, पंजीकरण मुफ़्त है.
अनुनाद,
कड़ी के लिए धन्यवाद. यहां भी अच्छी चर्चा है.
नीलिमा,
यह तो पूर्णतः सत्य है. परंतु आड़ी हो या तिरछी, कमी हो या बेसी - शर्त ये है कि चर्चा होनी चाहिए. कुछ तो लोग जुड़ेंगे और लोगों को कुछ तो जानने का मौका मिलेगा. और क्यूरियस पर्सन आपके चिट्ठे पर आकर आपका चिट्ठा-शोध पढ़ ही लेंगे.
गणेश,
यह तो आपने बहुत अच्छी खबर बताई :)
संजय,
मैं आपसे माफ़ी चाहता हूँ. परंतु मैं चाहकर भी इस खाते में कमेंट करने में आसानी हेतु सेटिंग नहीं कर सकता - क्योंकि फिर स्पैमरों के वायग्रा बिकने लग जाते हैं कड़ियों के माध्यम से!
बहुत त्वरित ख़बर। और अधिक ख़बरों की आवश्यकता है क्योंकि असंख्य लोग ब्लॉगिंग के बारे में कुछ नहीं जानते।
जवाब देंहटाएंआधी अधूरी जैसी भी-कुछ कुछ आता रहे तो कुछ जागरुकता तो आयेगी ही!!
जवाब देंहटाएंक्या यह हिन्दी ब्लॉग्स के वर्चस्व की लडाई तो नहीं। हमेंशा पत्रकारों के ब्लॉग्स की चर्चा ही क्यों ?
जवाब देंहटाएंबधाई आपको।
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