अब यह तो तयशुदा बात है कि तमाम घपलेबाजों, धोखेबाजों के लिए इंटरनेट एक नया आश्रय स्थल और कार्य स्थल बन गया है. छद्मनाम, अनाम और अज्ञातनाम होत...
अब यह तो तयशुदा बात है कि तमाम घपलेबाजों, धोखेबाजों के लिए इंटरनेट एक नया आश्रय स्थल और कार्य स्थल बन गया है. छद्मनाम, अनाम और अज्ञातनाम होते हुए वे इंटरनेट पर उपलब्ध तकनॉलाजी का बेजा इस्तेमाल तमाम तरह की धोखाधड़ी कर धन कमाने के लिए करते हैं. इंटरनेट पर धोखाधड़ी के आंकड़ों में प्रतिवर्ष तेजी से इजाफ़ा होता जा रहा है.
इधर कुछ समय से इंटरनेट पर सामग्री चोरों ने भी अपने हाथ-पाँव पसारे हैं. ये सामग्री चोर इंटरनेट पर उपलब्ध तमाम तरह के सामग्रियों की चोरी (वास्तविक लेखक/प्रकाशक के बिना अनुमति के नकल) कर लेते हैं और उसे अपने सर्वर पर रख कर प्रकाशित करते हैं. अपने सर्वर पर ये एडसेंस जैसे विज्ञापन डाल देते हैं और इसे कमाई का जरिया बनाते हैं. पूर्व में भी एक ऐसा ही प्रयास हिन्दी चिट्ठा जगत में सुनील के चिट्ठे की सामग्री के साथ किया जा चुका है और अमित के अंग्रेज़ी ब्लॉग को पूरा का पूरा चोरी कर अन्यत्र प्रकाशित कर लिया गया था.
सुनील को तो इससे ज्यादा परेशानी नहीं हुई, चूंकि उन्होंने अपने चिट्ठे को क्रिएटिव कॉमन लाइसेंस के तहत रखा है और उन्होंने इसे अपने चिट्ठे की लोकप्रियता माना. परंतु लंबे समय में गूगल इत्यादि सर्च इंजनों के जरिए जब ढूंढा खोजा जाएगा तो उन लेखों के लेखक की जगह कोई अनजाना-अजनबी नाम आएगा तब उन्हें भी शायद अच्छा नहीं लगेगा.
अमित व्यावसायिक चिट्ठाकार हैं. उनके चिट्ठे की सामग्री को कोई अन्य व्यक्ति बिना अनुमति के चोरी से इस्तेमाल करता है तो उन्हें तो भारी व्यावसायिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. आमतौर पर, प्रसिद्ध अंग्रेज़ी चिट्ठों पर पाठकों की आवाजाही की निर्भरता गूगल इत्यादि सर्च इंजनों के भरोसे ज्यादा होती है और जब आपकी लिखी सामग्री को किसी अन्य की साइट पर उपलब्ध मान कर उसे सर्च इंजन में वरीयता दी जाएगी तो व्यावसायिक नुकसान जाहिर है ज्यादा ही होगा. अमित को उस चोर-प्रकाशक को चोरी का धन्धा पानी बंद करवाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.
(चोरी के इस चिट्ठे पर मूल Tech Trouble? चिट्ठे की चोरी की गई है)
हाल ही में बहुत से अंग्रेज़ी चिट्ठाकारों की सामग्रियों की बड़े स्तर पर चोरी की गई है. डस्कडायरी.कॉम नाम के जाल स्थल पर ढेरों अंग्रेज़ी चिट्ठों की सारी की सारी सामग्री को चोरी कर नए, उन्हें एक ही सर्वर पर, नए नए विचित्र नाम युक्त चिट्ठों में प्रकाशित किया गया है. यह सारा धंधा जाहिर है, एडसेंस के जरिए कमाई के लिए ही किया गया है. सर्वर पर वर्डप्रेस की सहायता से ये चोरी की सामग्री युक्त ब्लॉग बनाए गए हैं. विशेष बात यह है कि इसमें बहुत सारे देसी ब्लॉग हैं - भारतीयों द्वारा लिखे जाने वाले ब्लॉग. चोरी की सामग्री से बनाए गए स्पैम ब्लॉगों को स्प्लॉग भी कहा जाता है. ब्लॉगर में भी ऐसे स्प्लागों की भरमार है, तथा आए दिन उसे इन स्प्लॉगों की बढ़ती संख्या से जूझना पड़ता है. वर्डप्रेस को ऐसे स्प्लॉगों से मुक्त माना जाता है, परंतु चोरों ने अपने खुद के सर्वर पर खुद का वर्डप्रेस संस्करण लगाकर वर्डप्रेस के सुरक्षा हथियार को भी बौना कर दिया है.
कोढ़ में खाज यह है कि यहाँ पर आपके चिट्ठों की सामग्री से सारे लिंक हटाकर उसमें बेतरतीब तरीके से फोटोलीच, रेफरललूट जैसे फ़िशिंग/पॉर्न साइटों की कड़ियों को स्वचालित तरीके से जोड़ा गया है. जाहिर है, आप अपने लेखों पर ऐसी कड़ियों को कतई पसंद नहीं करेंगे.
वर्डप्रेस को इसकी सूचना देने पर उनका जवाब आया:
"यह हमारे WordPress.com द्वारा होस्ट नहीं किया गया है, अतः हम कुछ नहीं कर सकते. देखें कि ब्लॉग को कौन होस्ट कर रहा है.
शुभकामनाएँ,
लॉयड"
चोरी के ब्लॉगों की होस्टिंग गोडैडी.कॉम द्वारा की जा रही है. इसे दिसम्बर 06 में एक साल के लिए रजिस्टर कराया गया है और जनवरी 07 तक, मात्र दो महीनों में ही इसमें कुल 17 हजार चिट्ठा दर्ज हो चुके हैं. इन चिट्ठों में, जैसी कि संभावना है, ज्यादातर सामग्री चोरी की ही है. गोडैडी.कॉम तथा एडसेंस को इसकी सूचना दी जा चुकी है, परंतु प्रत्युत्तर नहीं आया है.
अगर आप या आपके मित्र अंग्रेज़ी में भी चिट्ठा लिखते हैं तो डस्कडायरी पर एक बार अवश्य खोजबीन करें और यदि नकल/चोरी पाते हैं तो इसकी सूचना गोडैडी.कॉम तथा एडसेंस को अवश्य दें ताकि इस जाल स्थल पर प्रतिबंध लगाया जा सके व इसके इस चोरी के धंधे को बन्द कराया जा सके. कुछ उदाहरण निम्न हैं:
http://raviratlami1.blogspot.com/ की सामग्री चोरी कर http://pyro1620.duskdiary.com/ पर प्रकाशित किया गया है तथा
http://alternative-theory.blogspot.com/ को चोरी कर http://kelell4u.duskdiary.com/ पर प्रकाशित किया गया है... इत्यादि .... इत्यादि.
और, जैसे कि सुनील के चिट्ठे के साथ हुआ था, कौन जाने कल हिन्दी की सामग्रियों की भी चोरी की जाने लगे? हमें ऐसे चोरों के मंसूबों पर पानी फेरना ही होगा.
देबाशीष को धन्यवाद - पहले पहल इस चोरी की सूचना देने के लिए.
अपडेट - हल्ला मचाने पर मेरे अंग्रेज़ी चिट्ठे की सामग्री चोरी कर बनाया गया ब्लॉग पायरो को मिटा दिया गया है. परंतु अब भी बहुत से चोरी की सामग्री के ब्लॉग डस्क डायरी में हैं.
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Tag स्प्लॉग,स्पैम,ब्लॉग,चोरी
जब जब कोई तकनीक आती है तो ऐसे लोग उसका गलत फायदा उठाते ही रहते है।
जवाब देंहटाएंजब तक Atom और RSS रहेगा, तब तक ऐसे लोगों को रोका नही जा सकता। मेरी पोस्ट की फीड कई कई फर्जी साइट पर देखी है मैने, लेकिन क्या करें। कुछ कर ही नही सकते। अब शायद अपने फीड मे ही विज्ञापन डालने पड़ेंगे।
ऐसी चोरी को कहाँ कहाँ से रोका जा सकता है, और चोर को कैसे पकड़ा जा सकता है? बूरी खबर :(
जवाब देंहटाएंसुन कर आश्चर्य भी हुआ और दुःख भी.
कुछ ऐसा ही अनुभव मेरा है। हाल ही में मुझे पता चला कि मेरे सरकारी नौकरी के ब्लाग http://sarkari-naukri.blogspot.com से कोई सज्जन जैसे का तैसा उठा कर अपने ब्लाग पर लगा रहे हैं। उन को मेल भेजने पर उन्होंने माना तो सही लेकिन चोरी करना नहीं छोड़ा। गूगल को मेल भेजी तो गूगल ने हाथ झाड़ लिये। ब्लागर को मेल भेजी तो अभी तक जबाव ही नहीं आया है।
जवाब देंहटाएंअब बताइये क्या करें, माल चोरी हो रहा है और मैं कुछ नहीं कर सकती।
मनीषा
जीतू भाई, संजय भाई, मनीषा जी,
जवाब देंहटाएंआप सभी के फ़ीडबैक के लिए धन्यवाद. खुशी की बात यह है कि अब इस साइट ने अपना धंधा पानी बंद कर लिया लगता है और बोरिया बिस्तरा समेट लिया है - शायद हमारे हल्ला मचाने पर. तो, शोर मचाना जरूरी है - चोर आया चोर आया!
अपडेट - सिर्फ पायरो नाम का ब्लॉग मिटाया गया है, जिसमें मेरी सामग्री की चोरी हुई थी. बाकी के ब्लॉग सामग्री अभी भी डस्कडायरी में हैं.
जवाब देंहटाएंयह बहुत ही दुखद खबर है । आप जैसे कई चिट्ठा कारों को रवि भाई मैने बहुत मेहनत से पोस्ट को तैयार करते देखा है, कोई उपाय तो होना चाहिये इसको रोकने के लिये।
जवाब देंहटाएंकॉपीस्केप नाम का टूल शायद आप लोगों के काम आए।
जवाब देंहटाएंRavi bhai. I am yunus khan announcer.vividh bharati service mumbai. I was surfing today and suddenly seen your article in abhivyakti.org.. This article is about murphy laws.I was really facinated with your write-up.I want to use this article in one of my programme "youth express". pl tell me whether u allow me to do this. i dont know what the sarkaari formalities are. quite possible that vividh bharati pay u for this article.let me talk to the officials.if u want to listen my weekly programme. pl tune vividh bharati at 4.00pm every sunday.
जवाब देंहटाएंanyways. this is really interesting blog. ab hum aapas me jude rahenge. my email id is yunusmumbai@gmail.com. pl respond to this id. thanks
श्रीश भाई,
जवाब देंहटाएंकॉपीस्केप उतना प्रभावी नहीं है.
यहाँ देखें-
http://blogger-tricks.blogspot.com/2006/10/what-to-do-when-your-blog-content-is.html
बहरहाल, धन्यवाद.
यूनुस भाई,
मुझे खुशी होगी. आप इस चिट्ठे की हर सामग्री का इस्तेमाल कर सकते हैं. मैं विविध भारती का नियमित श्रोता हूँ. मेरी सुबह की शुरूआत ही इससे होती है. किसी दिन आपसे यूथ एक्सप्रेस के जरिए बातें करना चाहूंगा :)
आपका प्रस्तुतिकरण लाजवाब होता है - हर बार.
वैसे भी क्या फर्क पडता है। मेरे मुताबिक विचार कभी किसी के original नही होते। जो हम आज कह रहे है वो कई साल पहले कभी किसी और ने कहा होगा। इस विचारों के सम्रुन्द्र से अगर किसी ने कोइ बूँन्द इघर की उघर उठा कर रख ली और उसको किसी और ने चख लिया तो क्या हुआ, किसी की एक बूँन्द से दूसरे की थोढी प्यास बुझती है तो उसे तो खुश होना चाहिये कि वो किसी के काम आया।
जवाब देंहटाएंRavi ji aap blogging ke atirikt kuch aur bhi job karna chatein hon to batain.
जवाब देंहटाएंmeri email id indianet17@gmail.com hain.
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Ofcourse this is same for Manisha ji and others.
manisha jee bari smart ho gain hai ek to khud chori karti hai aur dusro ko badnam karti hai. unke post me kuchh bhi esa nahi hai jisper copyright ho. public information per koi copyright nahi hota hai. agar esa hota to itne sar news channels hai jo ek hi tarah ka news dikhate hai. kyon nahi unhe chor kaha jata hai.
जवाब देंहटाएंजानकारी बहुत ही ज्ञानवर्धक है । सायबर कानून के बारे में विस्तार से बताइये भला कभी । ताकि ज्ञान का विस्तार भी हो ।
जवाब देंहटाएंकुछ नही किया जा सकता है इसका
जवाब देंहटाएंji haan yah chori to kahi ja sakti hai, par bahut se log cyber kanoon ke baare mein nahin na jante hain.Bahut se log is chakkar mein apne aap ko apraadhi bhi banaa lete hain.
जवाब देंहटाएंhere is something about copyrighting http://www.piercelaw.edu/tfield/copynet.htm#lim
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