. मानव विकास सूचकांक: मृतप्राय भारतीय राजनीति की मुकम्मल तस्वीर... द संडे इंडियन के 20 - 26 नवंबर के अंक में अरिंदम चौधरी का संपादकीय ...
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मानव विकास सूचकांक: मृतप्राय भारतीय राजनीति की मुकम्मल तस्वीर...
द संडे इंडियन के 20 - 26 नवंबर के अंक में अरिंदम चौधरी का संपादकीय पठनीय है. अपने संपादकीय में अरिंदम ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा वर्ष 2006 के लिए जारी मानव विकास सूचकांक में भारत की अत्यंत दयनीय स्थिति का वर्णन किया है. भारत की उन्हीं स्थितियों-परिस्थितियों के बारे में इस चिट्ठे पर तो नियमित, व्यंग्यात्मक चर्चा होती ही रहती है जिसके बारे में अरिंदम ने मानव विकास सूचकांक का हवाला देते हुए किया है.
प्रस्तुत है उस संपादकीय के कुछ महत्वपूर्ण अंश:
"...यह रिपोर्ट मूलतः औसत आयु, वयस्क साक्षरता दर, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में पढ़ने वालों की संख्या और सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में जीवन स्तर को दर्शाती है और संयुक्त राष्ट्र के ज्यादातर सदस्य देशों के बारे में उपलब्ध आँकड़ों पर आधारित होती है. किसी भी फिक्रमंद भारतीय के लिए इस रिपोर्ट पर एक निगाह डालना बहुत पीड़ादायक होगा, क्योंकि एक सरसरी निगाह में भी विश्व में भारत की दर्दनाक स्थिति साफ नजर आती है...."
"...इस वास्तविकता का आभास होता है कि विश्व की बारहवीं सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था (सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में) और चौथी सबसे बड़ी (जरा सोचिए) क्रय क्षमता वाला भारत विश्व की उभरती हुई आर्थिक और सैन्य ताकत है, जैसी बड़ी-बड़ी बातें बकवास से ज्यादा कुछ नहीं है. सच्चाई यह है कि हमने जो कुछ भी हासिल किया है उसके दम पर हम यूएनडीपी के ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 126 वें स्थान पर खड़े हैं.
मुझे इससे शर्मिंदगी नहीं महसूस हुई. लेकिन मुझे घृणा तब हुई जब मैंने देखा कि हमारी हालत नामीबिया, गैबन और मोरक्को से भी गई गुजरी है. ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में इनका दर्जा क्रमशः 125, 124 और 123 वां है. संभवतः हमारे रीढ़विहीन राजनीतिक नेतृत्व को इसी बात में गर्व महसूस होता है कि हम पाकिस्तान और सहारा मरुस्थल से सटे अफ्रीकी देशों से बेहतर स्थिति में हैं...."
"...लेकिन मेरे लिए आघात आना बाकी था. मानव गरीबी के सूचकांक में 102 विकासशील देशों में भारत का स्थान 55 वां है. सहारा मरूस्थल से सटे सबसे गरीब अफ्रीकी देशों में से एक सूडान 54 वें स्थान पर है. जबकि सूडान को विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे संगठन कर्ज के बोझ से दबे सबसे गरीब देशों की सूची में रखते हैं. ....... सहारा मरूस्थल से सटा और भारी कर्ज में डूबा एक और गरीब देश रवांडा वयस्क साक्षरता दर के संदर्भ में भारत से बेहतर है. हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं (यदि यह गर्व करने जैसी बात हो) कि भारत में मौजूद पाँच वर्ष तक के सामान्य से कम वज़न के बच्चों का प्रतिशत इथोपिया के बराबर है. डिपार्टमेंट फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफआईडी) के मुताबिक अफ्रीका के सबसे गरीब देशों में से एक इथोपिया है, और पृथ्वी पर सबसे गरीब आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा यहीं रहता है. संयुक्त राष्ट्र की मानव विकास रिपोर्ट के मुताबिक कुल 177 सदस्य देशों में इसका दर्जा 170 वां है. यहाँ की तीन करोड़ से अधिक आबादी प्रतिदिन आधा डालर से कम पर गुजारा करती है और साठ लाख से एक करोड़ तीस लाख आबादी हर साल भुखमरी से जूझती है...."
"...यह वह देश है जहाँ के प्रमुख दैनिक अखबारों में हमें हर दिन केंद्रीय मंत्रियों या किसी न किसी राज्य के मुख्यमंत्री के मुस्कराते हुए पूरे पन्ने के विज्ञापन देखने को मिलते हैं... जिनमें उनकी उपलब्धियों का ब्यौरा छपा होता है... मेरा अनुमान है कि ये राजनेता ज्यादातर मानदंडों पर भारत के, सहारा मरूस्थल से सटे गरीब देशों से नीचे रहने पर मुस्करा रहे होते हैं..."
सही फरमाया अरिंदम आपने. जब भी कहीं कोई नेता मुस्कराता है, दूर कहीं, सैकड़ों गरीब रोते - मरते हैं.
व्यंज़ल
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(चिट्ठाचर्चा में पूर्व प्रकाशित)
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मैं अगर कभी मुसकाया होऊंगा
अज्ञानता में ऐसा किया होऊंगा
जमाने को पता नहीं है ये बात
मजबूरन ये उम्र जिया होऊंगा
हंसी की क्षणिक रेखा के लिए
जाने कितना तो रोया होऊंगा
वो हासिल हैं ये तो दुरुस्त है
क्या क्या नहीं मैं खोया होऊंगा
कोई तो मुझे बताए कि रवि
मैं यहाँ क्योंकर आया होऊंगा
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अगर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा वर्ष 2006 के लिए जारी मानव विकास सूचकांक में भारत की अत्यंत दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है, तो इसमें सच्चाई होगी.
हटाएंअपन तो उजलापक्ष देख कर खुश रहना चाहते हैं.