हिन्दी ई-मेल के लिए एक उत्तम औज़ार: जी-मेल *-*-* यूं तो हिन्दी में ई-मेल के लिए आजकल दर्जनों साधन उपलब्ध हैं, परंतु प्राय: उन सबमें कुछ न कु...
हिन्दी ई-मेल के लिए एक उत्तम औज़ार: जी-मेल
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यूं तो हिन्दी में ई-मेल के लिए आजकल दर्जनों साधन उपलब्ध हैं, परंतु प्राय: उन सबमें कुछ न कुछ खामियाँ हैं. ई-मेल के लिए प्रमुख रूप से दो क़िस्मों के औज़ार हमारे काम आते हैं, एक तो ई-मेल क्लाएंट तथा दूसरा वेब आधारित ई-मेल सेवा. हिन्दी में ई-मेल के लिए इन्हें आगे और दो क़िस्मों में बांटा जा सकता है. ऑस्की फ़ॉन्ट आधारित तथा यूनिकोड हिन्दी आधारित. दो-एक साल पहले तक ऑस्की फ़ॉन्ट आधारित सेवाएँ ही हमारे लिए एक मात्र विकल्प के रूप में मौज़ूद थी, जिनमें हम शुषा से लेकर वेबदुनिया तक के भिन्न भिन्न फ़ॉन्ट का उपयोग कर खुश हो लेते थे कि हम हिन्दी में ई-मेल कर ले रहे हैं. परंतु इन ई-मेल के हेडर, विषय पंक्ति इत्यादि के लिए अंग्रेजी अनिवार्य होता है. यह भी अनिवार्य होता है कि जिसको ई-मेल प्रेषित किया जा रहा है, उसके कम्प्यूटर में वह फ़ॉन्ट संस्थापित हो. भूले भटके कभी आपको किसी दूसरे कम्प्यूटर पर कहीँ और से हिन्दी में ई-मेल करने या उसे देखने की नौबत आती है या हिन्दी ई-मेल को किसी अन्य को, आगे अग्रेषित करना होता है, तो फिर वही फ़ॉन्ट संबंधी समस्याएँ उठ खड़ी होती हैं. इसके अलावा हिन्दी शब्दों के आधार पर अपने आवश्यक ई-मेल को ढूंढने और सहेजने में भी समस्याएँ आती हैं, चूंकि वास्तव में आप अंग्रेजी के अक्षरों के जरिए हिन्दी में काम कर रहे होते हैं. इस तरह की समस्याएँ ई-मेल क्लाएंट जैसे कि आउटलुक एक्सप्रेस तथा वेब आधारित ई-मेल सेवा जैसे कि वेब- दुनिया या रेडिफ़ मेल दोनों में ही समान रूप से आती हैं. इस बीच भिन्न उपयोक्ताओं के भिन्न डिफ़ॉल्ट विन्यास के कारण यदि भाषा एनकोडिंग परिभाषा बदल जाती है, तो फिर लिखे गए पाठ को पढ़ पाना मुश्किल हो जाता है. याहू जैसे लोकप्रिय ई-मेल सेवा में भी यह समस्या आती रहती है.
इन समस्याओं का समाधान यूनिकोड हिन्दी आधारित ई-मेल के जरिए संभव है. परन्तु यहाँ आपको दूसरी तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. आपके पास यदि पुराना ऑपरेटिंग सिस्टम है, तो वह यूनिकोड को समर्थन नहीं करेगा और आप यूनिकोड हिन्दी में कार्य करने में असमर्थ होंगे. यदि आपका ऑपरेटिंग सिस्टम यूनिकोड का समर्थन करता भी है तो आपका ई-मेल क्लाएँट और आपका ब्राउज़र भी यूनिकोड हिन्दी समर्थन प्रदान करने वाला होना चाहिए. कुछ हालातों में, जैसे कि विंडोज98 में ऑपरेटिंग सिस्टम स्तर पर यूनिकोड हिन्दी समर्थन उपलब्ध नहीं है, परंतु इस पर इंटरनेट एक्सप्लोरर 6 का संपूर्ण पैकेज संस्थापित कर इसे यूनिकोड हिन्दी के आंशिक उपयोग लायक बनाया जा सकता है. विंडोज 2000 तथा इसके बाद के संस्करणों में तथा वर्ष 2002 के बाद के जारी लिनक्स के प्राय: सभी लोकप्रिय संस्करणों में डिफ़ॉल्ट रूप से हिन्दी यूनिकोड के समर्थन की सुविधा उपयोक्ताओं को ऑपरेटिंस सिस्टम स्तर पर ही उपलब्ध होती है. और इनमें ई-मेल क्लाएंट तथा ब्राउज़र भी शामिल होते हैं. आजकल जावा आधारित कुछ ऐसे औज़ार भी जारी किए जा चुके हैं जिन्हें चलाने के लिए आपके कम्प्यूटर पर किसी प्रकार के यूनिकोड समर्थन की आवश्यकता नहीं है, परंतु जावा-वर्चुअल मशीन संस्थापित होना आवश्यक है.
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हिन्दी में ई-मेल आदान-प्रदान के अनुभवों में यह पाया गया है कि हाल फिलहाल, वेब आधारित जी-मेल सेवा जो कि आपको आपके ई-मेल क्लाएंट पर एसएसएल 3 सुरक्षित पॉप3 और एसएमटीपी मेल सेवा भी प्रदान करती है, सर्वोत्तम है. प्रमुखत: वेब आधारित जी-मेल आउटलुक एक्सप्रेस 6 पर भी उतनी ही आसानी से काम करता है जितना कि लिनक्स के के-मेल पर. ई-मेल क्लाइंट को जी-मेल समर्थित बनाने के लिए बस आपको ई-मेल क्लाएंट के पॉप/एसएमटीपी सर्वर को क्रमश: pop.gmail.com तथा smtp.gmail.com पर सेट करना होगा और एसएसएल सुरक्षा सहित पोर्ट क्रमश: 465 तथा 995 पारिभाषित करना होगा. अगर ये सेटिंग आपको कठिन प्रतीत होते हैं तो इसके लिए विस्तृत दिशानिर्देश तो हैं ही, एक संस्थापना योग्य फ़ाइल भी है जिसे चलाकर इन विन्यास को (सिर्फ आउटलुक एक्सप्रेस के लिए) आप स्वचालित रूप से सेट कर सकते हैं.
जी-मेल की अन्य सुविधाएँ ये हैं जो इसे किसी भी अन्य ई-मेल सेवा से बेहतर बनाते हैं:
1. प्रमुखत: वेब आधारित यह ई-मेल सेवा आपको पॉप3 तथा एसएमटीपी सुविधा भी देती है. यानी आप किसी ब्राउज़र से भी ई-मेल कर सकते हैं तथा ई-मेल क्लाएंट जैसे कि आउटलुक एक्सप्रेस या के-मेल से भी. जी-मेल आम उपयोग के लिए मुफ़्त है. हालाकि अभी यह कुछ सीमित उपयोक्ताओं के लिए ही जारी किया गया है.
2. इसमें आपको 2 जीबी भंडारण सुविधा मिलती है, साथ ही 10 एमबी फ़ाइल अटेचमेंट की सुविधा भी.
3. यूनिकोड हिन्दी ई-मेल के विषय फ़ील्ड भी हिन्दी में दिए जा सकते हैं तथा ई-मेल के आदान-प्रदान में याहू की तरह भाषा एनकोडिंग खंडित नहीं होता और ई-मेल बरकरार रहता है.
4. इसमें ऑस्की आधारित हिन्दी जैसे कि शुषा या वेब-दुनिया फ़ॉन्ट में भी काम कर सकते हैं.
5. सुरक्षा के लिए जी-मेल एसएसएल का उपयोग करता है जिसे आप जीपीजी के जरिए और बढ़ा सकते हैं. इसमें अंतर्निर्मित स्पॉम फ़िल्टर भी है जो आपको अवांछित मेल से दूर रखता है.
6. ई-मेल के भीतर ही गूगल खोज की सुविधा मिलती है, जो जाहिर है गूगल खोज की तरह त्वरित और समुचित होता है.
7. इसमें एक बिलकुल नई विचारधारा युक्त ई-मेल को फ्लैग करने की सुविधा दी गई है जिससे ई-मेल को मिटाया न जाकर हमेशा के लिए अपने डाक-डिब्बे में रखे रह कर बढ़िया उपयोग में लिया जा सकता है.
8. यह एटॅम तथा आरएसएस फ़ीड्स का भी समर्थन करता है जो आपके ई-मेल में इंटरनेट के ताज़ातरीन खबरों तथा अन्य आंकड़ों को स्वचालित एकत्र करता है.
9. जी-मेल के जरिए किसी भी कम्प्यूटर से कहीं से भी हिन्दी यूनिकोड में काम किया जा सकता है. उदाहरण के लिए ब्राउजर आधारित छहारी जैसे ऑनलाइन यूनिकोड संपादक के जरिए काट/चिपका कर हिन्दी यूनिकोड में काम किया जा सकता है.
10. अभी जी-मेल का बीटा संस्करण जारी किया गया है, जो नित्य प्रति निखार पर है. संभव है इसके पूर्ण संस्करण में हमें और भी अच्छे फ़ीचर मिलें.
जी-मेल की एक खामी है कि यह जावास्क्रिप्ट पर चलता है अत: इसके लिए आपके मशीन में जावा संस्थापित होना आवश्यक तो है ही आपका ब्राउज़र जावा स्क्रिप्ट चलाने लायक होना भी आवश्यक है. उदाहरण के लिए वेब आधारित ई-मेल के लिए लिनक्स सिस्टम में मोजिला और फ़ायरफॉक्स से तो आप इसे चला सकते हैं, परंतु कॉन्करर ब्राउजर से नहीं, जिसमें जावा का कुछ सीमित समर्थन है. परंतु यह ब्राउज़र की खामी है न कि जी-मेल की. विंडोज़ सिस्टम में ऐसी कोई समस्या नहीं है चूँकि प्राय: सभी नए ब्राउजर जावास्क्रिप्ट का समर्थन करते हैं. जावास्क्रिप्ट पर आधारित होने के कारण उपयोक्ता को जी-मेल के नए संस्करणों को अलग से डाउनलोड करने की आवश्यकता नहीं होती. जब भी आप जी-मेल का उपयोग करते हैं, यह नवीनतम संस्करण ही रहता है. तथा एक बार प्रारंभ में स्क्रिप्ट के चलने में थोड़ा समय लेने के पश्चात् बाद के उपयोग में यह अत्यंत तीव्र होता है चूँकि फिर यह सिर्फ पाठ को ही डाउनलोड करता है, जो मात्र कुछ बाइटों के होते हैं.
जी-मेल हालाकि आम उपयोग के लिए मुफ़्त जारी किया गया है, परंतु इसकी सदस्यता को आमजनों के लिए अभी खोला नहीं गया है. इस हेतु आपको किसी मौज़ूदा जी-मेल उपयोक्ता द्वारा आमंत्रित किया जाना आवश्यक है. हालाकि इंटरनेट पर ऐसे कई साइट हैं जहाँ से आपको जी-मेल के एकाउन्ट मुफ़्त में मिल जाएँगे.
कुल मिलाकर जी-मेल सेवा हिन्दी ई-मेल के लिए एक धाँसू औज़ार है, जो यह तय है कि अभी और भी निखरेगा.
अगर आप हिन्दी में ई-मेल के लिए जी-मेल का उपयोग करने के इच्छुक हैं, तो कुछेक जी-मेल आमंत्रण पहले-आएँ-पहले पाएँ के आधार पर मेरे पास उपलब्ध हैं. इसके लिए मुझे मेल करें raviratlami at gmail dot com पर.
(हिन्दी पोर्टल प्रभासाक्षी में मंगलवार दि. 18 जनवरी 2005 को पूर्व प्रकाशित)
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यूं तो हिन्दी में ई-मेल के लिए आजकल दर्जनों साधन उपलब्ध हैं, परंतु प्राय: उन सबमें कुछ न कुछ खामियाँ हैं. ई-मेल के लिए प्रमुख रूप से दो क़िस्मों के औज़ार हमारे काम आते हैं, एक तो ई-मेल क्लाएंट तथा दूसरा वेब आधारित ई-मेल सेवा. हिन्दी में ई-मेल के लिए इन्हें आगे और दो क़िस्मों में बांटा जा सकता है. ऑस्की फ़ॉन्ट आधारित तथा यूनिकोड हिन्दी आधारित. दो-एक साल पहले तक ऑस्की फ़ॉन्ट आधारित सेवाएँ ही हमारे लिए एक मात्र विकल्प के रूप में मौज़ूद थी, जिनमें हम शुषा से लेकर वेबदुनिया तक के भिन्न भिन्न फ़ॉन्ट का उपयोग कर खुश हो लेते थे कि हम हिन्दी में ई-मेल कर ले रहे हैं. परंतु इन ई-मेल के हेडर, विषय पंक्ति इत्यादि के लिए अंग्रेजी अनिवार्य होता है. यह भी अनिवार्य होता है कि जिसको ई-मेल प्रेषित किया जा रहा है, उसके कम्प्यूटर में वह फ़ॉन्ट संस्थापित हो. भूले भटके कभी आपको किसी दूसरे कम्प्यूटर पर कहीँ और से हिन्दी में ई-मेल करने या उसे देखने की नौबत आती है या हिन्दी ई-मेल को किसी अन्य को, आगे अग्रेषित करना होता है, तो फिर वही फ़ॉन्ट संबंधी समस्याएँ उठ खड़ी होती हैं. इसके अलावा हिन्दी शब्दों के आधार पर अपने आवश्यक ई-मेल को ढूंढने और सहेजने में भी समस्याएँ आती हैं, चूंकि वास्तव में आप अंग्रेजी के अक्षरों के जरिए हिन्दी में काम कर रहे होते हैं. इस तरह की समस्याएँ ई-मेल क्लाएंट जैसे कि आउटलुक एक्सप्रेस तथा वेब आधारित ई-मेल सेवा जैसे कि वेब- दुनिया या रेडिफ़ मेल दोनों में ही समान रूप से आती हैं. इस बीच भिन्न उपयोक्ताओं के भिन्न डिफ़ॉल्ट विन्यास के कारण यदि भाषा एनकोडिंग परिभाषा बदल जाती है, तो फिर लिखे गए पाठ को पढ़ पाना मुश्किल हो जाता है. याहू जैसे लोकप्रिय ई-मेल सेवा में भी यह समस्या आती रहती है.
इन समस्याओं का समाधान यूनिकोड हिन्दी आधारित ई-मेल के जरिए संभव है. परन्तु यहाँ आपको दूसरी तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. आपके पास यदि पुराना ऑपरेटिंग सिस्टम है, तो वह यूनिकोड को समर्थन नहीं करेगा और आप यूनिकोड हिन्दी में कार्य करने में असमर्थ होंगे. यदि आपका ऑपरेटिंग सिस्टम यूनिकोड का समर्थन करता भी है तो आपका ई-मेल क्लाएँट और आपका ब्राउज़र भी यूनिकोड हिन्दी समर्थन प्रदान करने वाला होना चाहिए. कुछ हालातों में, जैसे कि विंडोज98 में ऑपरेटिंग सिस्टम स्तर पर यूनिकोड हिन्दी समर्थन उपलब्ध नहीं है, परंतु इस पर इंटरनेट एक्सप्लोरर 6 का संपूर्ण पैकेज संस्थापित कर इसे यूनिकोड हिन्दी के आंशिक उपयोग लायक बनाया जा सकता है. विंडोज 2000 तथा इसके बाद के संस्करणों में तथा वर्ष 2002 के बाद के जारी लिनक्स के प्राय: सभी लोकप्रिय संस्करणों में डिफ़ॉल्ट रूप से हिन्दी यूनिकोड के समर्थन की सुविधा उपयोक्ताओं को ऑपरेटिंस सिस्टम स्तर पर ही उपलब्ध होती है. और इनमें ई-मेल क्लाएंट तथा ब्राउज़र भी शामिल होते हैं. आजकल जावा आधारित कुछ ऐसे औज़ार भी जारी किए जा चुके हैं जिन्हें चलाने के लिए आपके कम्प्यूटर पर किसी प्रकार के यूनिकोड समर्थन की आवश्यकता नहीं है, परंतु जावा-वर्चुअल मशीन संस्थापित होना आवश्यक है.
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हिन्दी में ई-मेल आदान-प्रदान के अनुभवों में यह पाया गया है कि हाल फिलहाल, वेब आधारित जी-मेल सेवा जो कि आपको आपके ई-मेल क्लाएंट पर एसएसएल 3 सुरक्षित पॉप3 और एसएमटीपी मेल सेवा भी प्रदान करती है, सर्वोत्तम है. प्रमुखत: वेब आधारित जी-मेल आउटलुक एक्सप्रेस 6 पर भी उतनी ही आसानी से काम करता है जितना कि लिनक्स के के-मेल पर. ई-मेल क्लाइंट को जी-मेल समर्थित बनाने के लिए बस आपको ई-मेल क्लाएंट के पॉप/एसएमटीपी सर्वर को क्रमश: pop.gmail.com तथा smtp.gmail.com पर सेट करना होगा और एसएसएल सुरक्षा सहित पोर्ट क्रमश: 465 तथा 995 पारिभाषित करना होगा. अगर ये सेटिंग आपको कठिन प्रतीत होते हैं तो इसके लिए विस्तृत दिशानिर्देश तो हैं ही, एक संस्थापना योग्य फ़ाइल भी है जिसे चलाकर इन विन्यास को (सिर्फ आउटलुक एक्सप्रेस के लिए) आप स्वचालित रूप से सेट कर सकते हैं.
जी-मेल की अन्य सुविधाएँ ये हैं जो इसे किसी भी अन्य ई-मेल सेवा से बेहतर बनाते हैं:
1. प्रमुखत: वेब आधारित यह ई-मेल सेवा आपको पॉप3 तथा एसएमटीपी सुविधा भी देती है. यानी आप किसी ब्राउज़र से भी ई-मेल कर सकते हैं तथा ई-मेल क्लाएंट जैसे कि आउटलुक एक्सप्रेस या के-मेल से भी. जी-मेल आम उपयोग के लिए मुफ़्त है. हालाकि अभी यह कुछ सीमित उपयोक्ताओं के लिए ही जारी किया गया है.
2. इसमें आपको 2 जीबी भंडारण सुविधा मिलती है, साथ ही 10 एमबी फ़ाइल अटेचमेंट की सुविधा भी.
3. यूनिकोड हिन्दी ई-मेल के विषय फ़ील्ड भी हिन्दी में दिए जा सकते हैं तथा ई-मेल के आदान-प्रदान में याहू की तरह भाषा एनकोडिंग खंडित नहीं होता और ई-मेल बरकरार रहता है.
4. इसमें ऑस्की आधारित हिन्दी जैसे कि शुषा या वेब-दुनिया फ़ॉन्ट में भी काम कर सकते हैं.
5. सुरक्षा के लिए जी-मेल एसएसएल का उपयोग करता है जिसे आप जीपीजी के जरिए और बढ़ा सकते हैं. इसमें अंतर्निर्मित स्पॉम फ़िल्टर भी है जो आपको अवांछित मेल से दूर रखता है.
6. ई-मेल के भीतर ही गूगल खोज की सुविधा मिलती है, जो जाहिर है गूगल खोज की तरह त्वरित और समुचित होता है.
7. इसमें एक बिलकुल नई विचारधारा युक्त ई-मेल को फ्लैग करने की सुविधा दी गई है जिससे ई-मेल को मिटाया न जाकर हमेशा के लिए अपने डाक-डिब्बे में रखे रह कर बढ़िया उपयोग में लिया जा सकता है.
8. यह एटॅम तथा आरएसएस फ़ीड्स का भी समर्थन करता है जो आपके ई-मेल में इंटरनेट के ताज़ातरीन खबरों तथा अन्य आंकड़ों को स्वचालित एकत्र करता है.
9. जी-मेल के जरिए किसी भी कम्प्यूटर से कहीं से भी हिन्दी यूनिकोड में काम किया जा सकता है. उदाहरण के लिए ब्राउजर आधारित छहारी जैसे ऑनलाइन यूनिकोड संपादक के जरिए काट/चिपका कर हिन्दी यूनिकोड में काम किया जा सकता है.
10. अभी जी-मेल का बीटा संस्करण जारी किया गया है, जो नित्य प्रति निखार पर है. संभव है इसके पूर्ण संस्करण में हमें और भी अच्छे फ़ीचर मिलें.
जी-मेल की एक खामी है कि यह जावास्क्रिप्ट पर चलता है अत: इसके लिए आपके मशीन में जावा संस्थापित होना आवश्यक तो है ही आपका ब्राउज़र जावा स्क्रिप्ट चलाने लायक होना भी आवश्यक है. उदाहरण के लिए वेब आधारित ई-मेल के लिए लिनक्स सिस्टम में मोजिला और फ़ायरफॉक्स से तो आप इसे चला सकते हैं, परंतु कॉन्करर ब्राउजर से नहीं, जिसमें जावा का कुछ सीमित समर्थन है. परंतु यह ब्राउज़र की खामी है न कि जी-मेल की. विंडोज़ सिस्टम में ऐसी कोई समस्या नहीं है चूँकि प्राय: सभी नए ब्राउजर जावास्क्रिप्ट का समर्थन करते हैं. जावास्क्रिप्ट पर आधारित होने के कारण उपयोक्ता को जी-मेल के नए संस्करणों को अलग से डाउनलोड करने की आवश्यकता नहीं होती. जब भी आप जी-मेल का उपयोग करते हैं, यह नवीनतम संस्करण ही रहता है. तथा एक बार प्रारंभ में स्क्रिप्ट के चलने में थोड़ा समय लेने के पश्चात् बाद के उपयोग में यह अत्यंत तीव्र होता है चूँकि फिर यह सिर्फ पाठ को ही डाउनलोड करता है, जो मात्र कुछ बाइटों के होते हैं.
जी-मेल हालाकि आम उपयोग के लिए मुफ़्त जारी किया गया है, परंतु इसकी सदस्यता को आमजनों के लिए अभी खोला नहीं गया है. इस हेतु आपको किसी मौज़ूदा जी-मेल उपयोक्ता द्वारा आमंत्रित किया जाना आवश्यक है. हालाकि इंटरनेट पर ऐसे कई साइट हैं जहाँ से आपको जी-मेल के एकाउन्ट मुफ़्त में मिल जाएँगे.
कुल मिलाकर जी-मेल सेवा हिन्दी ई-मेल के लिए एक धाँसू औज़ार है, जो यह तय है कि अभी और भी निखरेगा.
अगर आप हिन्दी में ई-मेल के लिए जी-मेल का उपयोग करने के इच्छुक हैं, तो कुछेक जी-मेल आमंत्रण पहले-आएँ-पहले पाएँ के आधार पर मेरे पास उपलब्ध हैं. इसके लिए मुझे मेल करें raviratlami at gmail dot com पर.
(हिन्दी पोर्टल प्रभासाक्षी में मंगलवार दि. 18 जनवरी 2005 को पूर्व प्रकाशित)
अगर आप हिन्दी में ई-मेल के लिए जी-मेल का उपयोग करने के इच्छुक हैं, तो कुछेक जी-मेल आमंत्रण मेरे पासभी उपलब्ध हैं. इसके लिए मुझे मेल करें shantanu.oak at gmail dot com पर.
हटाएंsir main google email ka use karta hoon . par hindi mail ke liye kaise upyoug karna hai pata nahin
हटाएंmujhe batayein
sir main google email ka use karta hoon . par hindi mail ke liye kaise upyoug karna hai pata nahin
हटाएंmujhe batayein
mera id hai.
rajkumarjha@sify.com
As per ur post, I have changed the settings of my gmail account to Hindi. But that is just the Gmail display language. How can I use it to send emails in Hindi ? I have hindi fonts installed in my computer. Kindly advise.
हटाएंThanx
मुझे लगता है कि एक-एक करके सबको ई-मेल भेजने से अच्छा यहीं पर बता दिया जाये कि जी-मेल पर हिंदी में कैसे टाईप किया जाता है. जहां तक मेरा अनुभव है, ऐसा अभी तक तो संभव नहीं था. लेकिन अगर मैं गलत हूं तो कर्ीपया टिप्पणी करें.
हटाएंधन्यवाद
अनिल
I dont know hindi typing, but i know one software,which can solve ur problems in one way.
हटाएंIts Hindawi Suite of Programming Languages.
Its a Programming language which uses hindi for programming.
And this software uses a technology known as "Romenagri", which uses "Transliteration" technique for converting Hindi to English and vice-versa.
U have written in ur blog, that if Unicode support is not installed in ur machine and u want to read hindi mails, u can't read those mails. This problem can be solved by using this Technology.
This is the first Ever Suite of Vernacular Programming Language implemented any where in the world.
The guy who made "Dream Comes True Possible" is Abhishek Chaudhary. U might have heard his name, for this project he won CSI-NYITPA(National Young IT Professional Award)2004,2005 award,twice in a row.Its a very big achievement in the history of vernacular programming.
Just go thru these document and u will come to know,whats the power of "Hindawi".
hindawi
go thru link and then read the document.
or u can contact him at his mail id hi_pedler@yahoo.com
sir, recently we can write emails in Hindi on Rediffmail
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