यही है भा र त की सही तस्वीर... *-*-* आर. के. लक्ष्मण, टाइम्स ऑफ इंडिया के ताज़ा अंक में कहते हैं: “सुनामी पीड़ितों, भूकंप पीड़ितो...
यही है भारत की सही तस्वीर...
*-*-*
आर. के. लक्ष्मण, टाइम्स ऑफ इंडिया के ताज़ा अंक में कहते हैं:
“सुनामी पीड़ितों, भूकंप पीड़ितों को तो तमाम तरह से सहायता मिल जाती है, परंतु हमारे जैसे लोगों की जो राजनीतिक गलतियों और सड़ते शासन तंत्र के पीड़ित हैं, कोई सहायता नहीं करता. आखिर क्यों ?”
शहरों के प्रत्येक हाई राइस बिल्डिंग या शापिंग माल के पीछे ऐसे सैकड़ों झोंपड़ पट्टे तो मिलेंगे ही, गांवों में तो अधिसंख्य झोपड़ियाँ ही मिंलेंगी जहाँ आवश्यक सुविधाओं का घोर अभाव है. ऐसे में लोगों को अपने नित्यकर्म से निपटने का एक मात्र सहारा रेल पटरियों का किनारा ही तो बच पाती हैं...
सच है, इनके लिए जिम्मेदार हमारी राजनीतिक गलतियाँ और सड़ते हुए शासन तंत्र के अलावा और कौन हो सकता है?
..**..
ग़ज़ल
..**..
माफ़ी के काबिल नहीं हैं ये गलतियाँ
तब भी हो रहीं गलतियों पे गलतियाँ
मौज की दृश्यावली लगती तो है पर
पीढ़ियों को सहनी होगी ये गलतियाँ
जब भी पकड़ा गया फरमाया उसने
भूल से ही हो रहीं थीं ये गलतियाँ
अब तो दौर ये आया नया है यारो
सच का जामा पहने हैं ये गलतियाँ
कभी अपनी भी गिन लो रवि तुमने
दूसरों की तो खूब गिनी ये गलतियाँ
*-*-*
आर. के. लक्ष्मण, टाइम्स ऑफ इंडिया के ताज़ा अंक में कहते हैं:
“सुनामी पीड़ितों, भूकंप पीड़ितों को तो तमाम तरह से सहायता मिल जाती है, परंतु हमारे जैसे लोगों की जो राजनीतिक गलतियों और सड़ते शासन तंत्र के पीड़ित हैं, कोई सहायता नहीं करता. आखिर क्यों ?”
शहरों के प्रत्येक हाई राइस बिल्डिंग या शापिंग माल के पीछे ऐसे सैकड़ों झोंपड़ पट्टे तो मिलेंगे ही, गांवों में तो अधिसंख्य झोपड़ियाँ ही मिंलेंगी जहाँ आवश्यक सुविधाओं का घोर अभाव है. ऐसे में लोगों को अपने नित्यकर्म से निपटने का एक मात्र सहारा रेल पटरियों का किनारा ही तो बच पाती हैं...
सच है, इनके लिए जिम्मेदार हमारी राजनीतिक गलतियाँ और सड़ते हुए शासन तंत्र के अलावा और कौन हो सकता है?
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ग़ज़ल
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माफ़ी के काबिल नहीं हैं ये गलतियाँ
तब भी हो रहीं गलतियों पे गलतियाँ
मौज की दृश्यावली लगती तो है पर
पीढ़ियों को सहनी होगी ये गलतियाँ
जब भी पकड़ा गया फरमाया उसने
भूल से ही हो रहीं थीं ये गलतियाँ
अब तो दौर ये आया नया है यारो
सच का जामा पहने हैं ये गलतियाँ
कभी अपनी भी गिन लो रवि तुमने
दूसरों की तो खूब गिनी ये गलतियाँ
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