बाजी.कॉमः प्रा-जी, ये इंडियन क़ानून है ! बाजी.कॉम के सीईओ अवनीश बजाज को पिछले दिनों नई दिल्ली में गिरफ़्तार कर 6 दिनों की न्यायिक हिरासत...
बाजी.कॉमः प्रा-जी, ये इंडियन क़ानून है !
बाजी.कॉम के सीईओ अवनीश बजाज को पिछले दिनों नई दिल्ली में गिरफ़्तार कर 6 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उनका जुर्म? उनका जुर्म ये है कि वे बाजी.कॉम जैसे विश्वस्तर के इंटरनेट आधारित स्वचालित ऑनलाइन खरीद-बिक्री केंद्र सुविधा मुहैया करवाने वाले पोर्टल के भारतीय मूल के सीईओ हैं.
किसी व्यक्ति ने बाजी.कॉम पर एमएमएस आधारित अश्लील सीडी बेचने के लिए रख दी, और उसकी कुछ प्रतियाँ बिक भी गईँ. बाजी.कॉम पर जाहिर है, रजिस्ट्रेशन शर्तों को हामी भरने के उपरांत कोई भी रजिस्टर्ड व्यक्ति उन शर्तों का उल्लंघन करते हुए कुछ भी बेच सकता है, चूंकि लाखों की तादाद में खरीदी बिक्री किए जाने वाले सामानों पर व्यक्तिगत निगाह रखना असंभव तो है ही, बल्कि आज के जमाने में ऐसा करना मूर्खता भी है. यही बाजी.कॉम पर हुआ और जिस व्यक्ति ने अश्लील सीडी बेची, उसे तो खैर पकड़ा ही गया, परंतु बाजी.कॉम के सीईओ को भी भारतीय पुलिस ने पकड़ लिया कि भाई अश्लील सीडी बिकी तो तेरी दुकान से ही है !
यानी बाजी.कॉम को करना यह था कि जो भी वस्तु उस पोर्टल पर खरीदी बिक्री के लिए आए, उसे उसका सीईओ व्यक्तिगत रूप से जाँचे परखे कि वह किस देश के किस क़ानून के तहत क़ानूनी है या गैर क़ानूनी है और फिर इसके उपरांत उसके व्यवसाय की अनुमति दे. भाई क्या बात है, इंटरनेट के युग में ऐसे में हो चुका धंधा. शायद यही वजह है कि लक्ष्मी मित्तल भारत से बाहर जाकर स्टील किंग बन जाते हैं और उसकी भारतीय स्टील कंपनियाँ घाटे में चल रही होती हैं.
कानून क्या किताबों में लिखी चंद लकीरें होनी चाहिएँ जिन्हें चंद अज्ञानी पूर्वज लिख जाते हैं और जिन्हें अग्रजों के प्रगतिशील समाज का भान नहीं होता?
अब तो मुझे भी यह भय सताने लगा है कि कल को कोई मेरे ब्लॉग पर अश्लील टिप्पणी लिख दे तो मुझे भारतीय पुलिस गिरफ्तार न कर ले...
-.-.-
शेर
-.-.-
नादान तू क्योंकर गिरफ्तार हो गया
रोजा के बगैर कैसे इफ्तार हो गया
बाजी.कॉम के सीईओ अवनीश बजाज को पिछले दिनों नई दिल्ली में गिरफ़्तार कर 6 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. उनका जुर्म? उनका जुर्म ये है कि वे बाजी.कॉम जैसे विश्वस्तर के इंटरनेट आधारित स्वचालित ऑनलाइन खरीद-बिक्री केंद्र सुविधा मुहैया करवाने वाले पोर्टल के भारतीय मूल के सीईओ हैं.
किसी व्यक्ति ने बाजी.कॉम पर एमएमएस आधारित अश्लील सीडी बेचने के लिए रख दी, और उसकी कुछ प्रतियाँ बिक भी गईँ. बाजी.कॉम पर जाहिर है, रजिस्ट्रेशन शर्तों को हामी भरने के उपरांत कोई भी रजिस्टर्ड व्यक्ति उन शर्तों का उल्लंघन करते हुए कुछ भी बेच सकता है, चूंकि लाखों की तादाद में खरीदी बिक्री किए जाने वाले सामानों पर व्यक्तिगत निगाह रखना असंभव तो है ही, बल्कि आज के जमाने में ऐसा करना मूर्खता भी है. यही बाजी.कॉम पर हुआ और जिस व्यक्ति ने अश्लील सीडी बेची, उसे तो खैर पकड़ा ही गया, परंतु बाजी.कॉम के सीईओ को भी भारतीय पुलिस ने पकड़ लिया कि भाई अश्लील सीडी बिकी तो तेरी दुकान से ही है !
यानी बाजी.कॉम को करना यह था कि जो भी वस्तु उस पोर्टल पर खरीदी बिक्री के लिए आए, उसे उसका सीईओ व्यक्तिगत रूप से जाँचे परखे कि वह किस देश के किस क़ानून के तहत क़ानूनी है या गैर क़ानूनी है और फिर इसके उपरांत उसके व्यवसाय की अनुमति दे. भाई क्या बात है, इंटरनेट के युग में ऐसे में हो चुका धंधा. शायद यही वजह है कि लक्ष्मी मित्तल भारत से बाहर जाकर स्टील किंग बन जाते हैं और उसकी भारतीय स्टील कंपनियाँ घाटे में चल रही होती हैं.
कानून क्या किताबों में लिखी चंद लकीरें होनी चाहिएँ जिन्हें चंद अज्ञानी पूर्वज लिख जाते हैं और जिन्हें अग्रजों के प्रगतिशील समाज का भान नहीं होता?
अब तो मुझे भी यह भय सताने लगा है कि कल को कोई मेरे ब्लॉग पर अश्लील टिप्पणी लिख दे तो मुझे भारतीय पुलिस गिरफ्तार न कर ले...
-.-.-
शेर
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नादान तू क्योंकर गिरफ्तार हो गया
रोजा के बगैर कैसे इफ्तार हो गया
अगर बाज़ी.कॉम कसूरवार था/थी, तो उतनी ही गलती पालिका बाजार के संचालकों (शायद दिल्ली नगर निगम) की भी है क्योंकि उनके बाजार से भी सीडियाँ बेची गई है। उसके आयुक्त को क्यों गिरफ्तार नहीं किया गया?
जवाब देंहटाएंअनिल गोयल