आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 403 संसार का सबसे दुःखी इंसान राजा...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
403
संसार का सबसे दुःखी इंसान
राजा का दरबार लगा हुआ था। उस दिन दरबार मे चर्चा का विषय था कि इस संसार में सबसे दुःखी इंसान कौन है?
सभी दरबारियों ने अपनी-अपनी राय रखी। सभी दरबारियों में आपस में मतभेद था। अंततः वे सभी इस नतीजे पर पहुंचे कि यदि कोई गरीब और बीमार हैं तो वह सबसे ज्यादा दुःखी है।
इस नतीजे से राजा संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने अपने सबसे समझदार दरबारी चतुरनाथ की ओर देखा, जिसने सारी बहस चुपचाप सुनी थी। राजा ने चतुरनाथ से पूछा - "तुम्हारी इस बारे में क्या राय है?"
चतुरनाथ ने उत्तर दिया - "हे महाराज! मेरी इस बारे में विनम्र राय यह है कि जो व्यक्ति ईर्ष्यालु और द्वेषी है, वह हमेशा दुःखी रहता है। वह दूसरा को अच्छा कार्य करते हुए देखकर दुःखी होता है। उसका चित्त कभी शांत नहीं रहता। वह हमेशा शंकालु रहता है। वह दूसरों का भला होते देख नफरत से भर जाता है। ऐसा इंसान ही संसार में सबसे ज्यादा दुःखी होता है।"
404
गुरू की जरूरत
गुरूकुल में आये एक आगंतुक ने वहां रहने वाले एक अंतःवासी से पूछा - "तुम्हें गुरू की जरूरत क्यों है?"
अंतःवासी ने उत्तर दिया - "जिस तरह पानी को गर्म करने के लिए पानी और आग के मध्य एक बर्तन का होना जरूरी है। उसी तरह हमारे जीवन में गुरू की जरूरत है।"
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अवज्ञा परीक्षण
गुरु बारी बारी से अपने शिष्यों को दीक्षा दे रहे थे. प्रत्येक शिष्य के कान में वे गुरु मंत्र फूंकते और उन्हें बताते कि इस मंत्र का ताउम्र पाठ करते रहें और इसे किसी को न बताएं.
एक शिष्य को जब गुरु ने गुरुमंत्र फूंका और यही निर्देश दिए तो शिष्य ने गुरु से प्रतिप्रश्न किया – “गुरूदेव, आपने कहा है कि इस मंत्र को किसी को न बताऊं. तो मेरे ऐसा करने से क्या हो जाएगा?”
गुरु ने कहा – “होगा तो कुछ नहीं, गुरु मंत्र अप्रभावशाली हो जाएगा और तुम्हारी दीक्षा खत्म हो जाएगी.”
वह शिष्य तत्क्षण उठा और सीधे बीच बाजार में पहुँच गया. वहाँ उसने लोगों की भीड़ एकत्र की और उस गुरु मंत्र को सबको बता दिया.
गुरु के पास जब यह वाकया पहुँचा और जब कुछ शिष्यों ने इस कांड पर कार्यवाही करने की बात कही तो गुरु ने कहा – “कुछ करने की जरूरत नहीं है. उसका यह कृत्य ही अपने आप में यह कहता है कि वह भी अपने स्वयं के विचारों के लिहाज से गुरु है.”
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अंधा कानून
चार मित्रों का रूई का साझा कारोबार था. उनके पास एक भंडार गृह था जिसमें रूई की गांठें रखी रहती थीं. भंडार गृह में रुई की गाठों को चूहे कुतरते थे जिससे उन्हें अच्छा खासा नुकसान सहना पड़ता था. चारों मित्रों ने सोचविचार कर एक बिल्ली पाल ली. बिल्ली की वजह से चूहों की समस्या से निजात मिल गई. जल्द ही बिल्ली चारों मित्रों की चहेती बन गई. चारों ने एक दिन मजाक में यह करार कर लिया कि बिल्ली की चारों टांगे वे आपस में बांट लेते हैं. और ऐसा सोच कर हर एक ने उस बिल्ली की चारों टांगों में अपने अपने पसंद से सोने के घुंघरू बाँध दिए. बिल्ली अपने पैरों के घुंघरू से आवाज निकालते इधर उधर उछलकूद मचाती रहती.
एक दिन बिल्ली के एक पैर में चोट लग गई और वह लंगड़ाने लगी. जिस मित्र के हिस्से की टाँग थी, उसने उस पैर में पट्टी बाँध दी ताकि बिल्ली जल्द ठीक हो सके. बिल्ली के उछल कूद से पट्टी जल्द ही ढीली हो गई और उसका एक सिरा खुल गया और जमीन में लपटने लगा.
संयोग वश एक शाम जब चारों मित्र भंडार में आरती कर रहे थे तो बिल्ली ने ऊपर से से छलांग लगाई. बिल्ली के पैर में बंधी पट्टी का खुला सिरा जलते दीपक की लौ पर पड़ा और उसमें आग लग गई. इस कारण से वहीं पर रखे रूई की गांठ में भी आग लग गई. इससे बिल्ली घबरा गई और उछल कूद मचाने लगी. देखते ही देखते पूरा रूई का गोदाम खाक में बदल गया.
अब मित्रों ने बिल्ली को लेकर आपस में एक दूसरे को भला बुरा कहना शुरू कर दिया. बात यहाँ तक आ गई कि लंगड़ी टाँग का मालिक बाकी के तीन मित्रों को हर्जाना दे क्योंकि उस टाँग की पट्टी के कारण ही आग लगी.
बात बढ़ती गई और न्यायाधीश के सामने निराकरण के लिए पहुँची. न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बातचीत सुनी और निर्णय दिया – “यह सच है कि बिल्ली के लंगड़े पैर में बंधी पट्टी में आग लगी थी परंतु बिल्ली ने इस आग को फैलाने में अपने बाकी तीन अच्छे पैरों का प्रयोग किया अतः इन अच्छे पैरों के मालिक लंगड़े पैर के मालिक को हर्जाना दें.”
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
बहुत सुन्दर कहानियां| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंछोटी-छोटी कहानियों के रूप में आप अनमोल मोती बांट रहे हैं।
जवाब देंहटाएंगुरुओं की गुरुआई के बढि़या प्रसंग.
जवाब देंहटाएंजो औरों के सुख से दुखी हो जाये, वही सबसे दुखी..
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