अमित ने अपने फालतू बड़बड़ में 99 चीजों की हिटलिस्ट दी. हिटलिस्ट बढ़िया लगी और लगा कि इसका उत्तर तो दिया जाना चाहिए. नियमानुसार मैं भी बोल्ड...
अमित ने अपने फालतू बड़बड़ में 99 चीजों की हिटलिस्ट दी. हिटलिस्ट बढ़िया लगी और लगा कि इसका उत्तर तो दिया जाना चाहिए. नियमानुसार मैं भी बोल्ड या इटैलिक्स में अपना उत्तर भर सकता था, मगर उससे बात नहीं बनती. कभी कभी चीजों को विस्तार से भी बताना पड़ता है. अमित ने किसी को टैग नहीं किया था – यानी टैगिंग स्वयंसेवी आधार पर था. मैं हिन्दी समेत विश्व के तमाम भाषाओं के हर आम और ख़ास (ब्रेक द लैंगुएज बैरियर, डोंट यू?) ब्लॉगर को टैग करता हूं.
मेरी सूची कुछ यूं है -
- अपना ब्लॉग आरंभ किया – हाँ, किया है तो? अब जब हर टॉम डिक और हैरी का ब्लॉग है तो?
- तारों की छांव में नींद ली – हाँ, रोज लेते हैं. छत ऊपर से टूट गया है. खपरैल उखड़ गया है.
- संगीत बैन्ड में कोई वाद्य यंत्र बजाया – मंदी में भइए, यहाँ तो अपना ही बैण्ड बज रहा है.
- अमेरिका के हवाई द्वीपों की सैर करी – जावा सुमात्रा की कर लें? फिर सोचेंगे.
- उल्का वर्षा देखी – रोज ही देख रहे हैं. अपने बॉस के रैन्ट की ऊल्का (उ पर दम लगाया है...) वर्षा. बीवी के नैगिंग की ऊल्का वर्षा. बच्चों के फरमाइशों की ऊल्का वर्षा...
- औकात से अधिक दान दिया – औकात की बात करते हैं? हमारी औकात, अपनी औकात से अधिक कमाने में है... दान बांटने में नहीं.
- डिज़नीलैन्ड की सैर करी – मदरलैन्ड की सैर पहले कर लें...
- पर्वत पर चढ़ाई करी – पर्वत पर तो रोज चढ़ते उतरते हैं. ससुरा शहर का ट्रैफिक किसी पर्वत की चढ़ाई से कम है क्या?
- प्रेयिंग मैन्टिस (praying mantis) कीड़े को हाथ में पकड़ा – पकड़ा? भई, खाया पीया भी. म्यूनिसिपल्टी के नल के पानी में, कॉर्नर की चाट की दुकान पर और दही भल्ले के खोमचे में...
- सोलो गाना गाया – रोज गाता हूं. बाथरूम में! सुनना चाहेंगे?
- बंजी जंप करी – हाँ जी, सब्जियों की, तेल की, दाल की कीमतें सुन कर मेरा मन, दिल, पॉकेट सब बंजी जम्प करता है. बस, ये माटी का शरीर ही बचा है.
- पैरिस गए – यहाँ भोपाल में मानव संग्रहालय ही नहीं गए – आप पेरिस की बातें करते हैं.
- समुद्र में बिजली का तूफ़ान देखा – वो भी देख लेंगे, पहले अपने घर में अबाधित, बिना कटौती की बिजली तो पहले देख लें. फिर बिजली का तूफान भी देख लेंगे.
- कोई कला शुरुआत से अपने आप सीखी – हाँ जी, ब्लॉगिंग की, टिप्पणियाँ देने की, विवादित पोस्ट डालने की, कैची शीर्षक लिखने की... कहें तो और गिनाएँ?
- किसी बच्चे को गोद (adopt) लिया – अभी तो मैं ही बच्चा हूं. कोई है?
- फूड प्वॉयज़निंग झेली – रोज झेल रहे हैं. स्लो पाइजनिंग. मिर्च-हल्दी में कोलटार रंग, धनिया पावडर में लीद, दूध में सफेदा... लिस्ट अनंत है.
- कुतुब मीनार को देखा – अभी तो मुहल्ले की मोबाइल टावरों की मीनारें देख और गिन रहे हैं. कुतुब मीनार का भी नंबर कभी न कभी तो आवेगा...
- अपने लिए सब्ज़ी उगाई – हाँ, सोच तो रहे हैं. बाजार से तो खरीद नहीं सकते, अब उगाना ही पड़ेगा. खाना है तो!
- फ्रांस में मोनालिसा देखी – फ्रांस में तो नहीं, परंतु यहीं चौराहे पर फुटपाथ में बिकते पोस्टरों पर मोनालिसा खूब देखी.
- रात के सफ़र में ट्रेन में नींद ली – हाँ, हाँ, लालू के नए ट्रेन के साइड बर्थ में मिडिल बर्थ पर जहाँ रिजर्वेशन नहीं मिल पाने के कारण दो लोग और आजू बाजू बैठ कर साझा कर रहे थे. घोर क्रानिक अनिद्राग्रस्त व्यक्ति भी 1 मिनट में खर्राटे मारने लगे ऐसी, पक्का व्यवस्था है आजकल.
- तकिए द्वारा लड़ाई की – अभी कर लेते हैं! लो!
- सड़क पर किसी अंजान व्यक्ति से लिफ़्ट ली – लगता है बाबा भारती जैसा भरोसा अब किसी में नहीं रह गया है. कोई लिफ़्ट ही नहीं दे ता. ये पोस्ट भी बीच सड़क पर लिफ़्ट के लिए अंगूठा उठाए लिख रहा हूं...
- स्वस्थ होते हुए भी ऑफिस से बीमारी के लिए छुट्टी ली – ये तो स्थाई और एकमात्र कारगर तरीका है जिसे हमने शुरू से अपनाया हुआ है.
- बर्फ़ का किला बनाया – बर्फ के गोले बनाए और बहुत खाए. खाने लायक साइज का किला बनाने की कोशिश करते हैं.
- मेमने को गोद में उठाया – उठाया तो था, पर बाद में पता चला कि वो स्वाइन फ़्लू के संभावित कारक की नस्ल का पशु है! बायलाजी में हमेशा कमजोर रहा, क्या करें.
- बिना किसी वस्त्र के नग्न ही पानी में उतरे (तरण ताल, नदी, तालाब, समुद्र अथवा बाथ टब इत्यादि में) – भारत में? कभी नई. रामसेना, शिवसेना है ना!
- मैराथन रेस में दौड़ लगाई – रोज. भाग दौड़ युक्त आधुनिक जीवन का ये रेस मैराथन से कोई कम है भला?
- वेनिस में गोन्डोला (एक तरह की नाव) में सवारी करी – अभी तो एक साथ दो नावों की सवारी कर रहे हैं – काम और ब्लॉगिंग. ये तीसरी नाव कहां से आ गई?
- पूर्ण ग्रहण देखा – जीवन में ग्रहण ही ग्रहण है. नल में पानी का आंशिक ग्रहण है, बल्ब में बिजली का पूर्ण ग्रहण है, राशन में कीमत का डबल पूर्ण ग्रहण है. अब और कौन सा पूर्ण ग्रहण बचा है देखने को?
- सूर्योदय अथवा सूर्यास्त देखा – सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक सब देखा. परिस्थितियाँ वही रहीं, न बदलनी थीं, न बदलीं.
- होम रन मारा (बेसबॉल में) – सिर्फ बेसबॉल में? होम में बैठकर तो हम तमाम रन मारते हैं – टीवी पर क्रिकेट से लेकर...
- समुद्र पर्यटन (cruise) पर गए – सोमाली पाइरेट के जमाने में समुद्र पर्यटन? इतने एडवेंचरिस्ट नहीं बनना!
- नियाग्रा फॉल्स स्वयं देखा – हाँ हाँ, स्वयं देखा. फोटो में, टीवी पर.
- पूर्वजों की जन्मभूमि देखने गए – यदि आपका इशारा डार्विन के विकासवाद के अनुसार परिभाषित पूर्वजों की ओर है, तो नहीं! क्योंकि उसे तो आधुनिकीकरण के नाम पर उजाड़ दिया गया है.
- किसी कबीले के रहन सहन को नज़दीक से देखा – तालिबानी-रामसेना युग में हमारा अपना रहन सहन किसी कबीले से कम है क्या?
- अपने आप एक नई भाषा स्वयं सीखी – हाँ, ब्लॉगिंग की भाषा.
- इतना धन अर्जित किया कि पूर्णतया संतुष्ट हुए – धन से कोई संतुष्ट हुआ है भला? मित्तल-अंबानी को पहले संतुष्ट हो लेने दें, फिर अपुन बात करेंगे.
- पिसा की झुकती मीनार (Leaning Tower) देखी – हाँ जी, ये भी देखी. अभी कल ही टीवी पर.
- रॉक क्लाइम्बिंग करी – मेरे मुहल्ले की सड़कों पर रॉक ही रॉक हैं. डामर तो कब का गल-बह चुका. दिन में दसियों बार क्लाइम्ब करता हूं.
- माइकलेन्जलो द्वारा कृत पुरातन इज़राइल के राजा डेविड की मूरत देखी – हाँ, ये देखना रह गया है. पर कुछ इच्छा अपूर्ण ही रहने दें?
- कैरीओकी (karaoke) गाया – अभी भी गा रहे हैं. 1000 वाट का संगीत पड़ोस से आ रहा है...
- वायोमिंग के येलोस्टोन नेशनल पार्क में मौजूद ओल्ड फेथफुल गीज़र को भभक कर उठते देखा – गीज़र को तो नहीं, पर आज सुबह अख़बार पढ़ते समय हिंसा-बलात्कार इत्यादि की ख़बरों को पढ़ कर अपने दिमाग को भभकते जरूर देखा था.
- किसी अंजान को रेस्तरां में खाना खिलाया – कोई पहले इस अंजान को खाना खिला दे तब!
- अफ़्रीका गए – फिर वही बात? पहले भोपाल के मानव संग्रहालय हो आएं तब न!
- चांदनी रात में समुद्र तट पर सैर करी – चाँदनी रात में (क्योंकि स्ट्रीट लाइट बंद थी) सड़क तट पर सैर करी. समुद्र ज्यादा दूर नहीं होगा उम्मीद है.
- एम्बुलेन्स में ले जाया गया – अभी तक तो नौबत नहीं आई है, पर लगता है कि 99 नंबर तक आते आते ये नौबत भी शर्तिया आनी ही है!
- अपनी तस्वीर बनवाई (फोटो नहीं) – हाँ, हाँ, इशारा समझ रहे हैं. अब कोई थोड़े ही न बता देगा कि आपकी तस्वीर हमने अपने मन में बना ली है!
- गहरे समुद्र में मछली पकड़ने गए – पीटा वाले पीट पीट कर मारेंगे इसी डर से न तो मुर्गी पकड़ने की सोचा है न मछली.
- वैटिकन में सिस्टीन चेपल देखा – अलबत्ता भारत में बीच सड़कों पर बने दसियों मंदिरों में आरती और सड़कों पर नमाज जरूर देखा.
- पैरिस में ऐफिल टॉवर के शीर्ष से नज़ारा किया – ऐफिल टॉवर के शीर्ष से भी पीप शो का नजारा दिखाई देता है? नई बात पता चली.
- स्कूबा डाईविंग अथवा स्नॉर्कलिंग करी – एक तरह से! भारतीय सड़कों पर मोटरसायकल चलाना इससे बेहतर अनुभव तो नहीं होता होगा?
- बरसात में चुंबन लिया/दिया – नो एडल्ट क्वेश्चन्स प्लीज़! – वैसे भी रामसेना के लोग पीछे खड़े हैं.
- मिट्टी में खेले – लो. कर लो बात. धूल-मिट्टी में तो हर भारतीय खेलता है. सुबह घर से निकलो, शाम को वापस आओ – आप भले ही खेलो न खेलो, धूल मिट्टी तो आपसे खेलेगा ही खेलेगा.
- ड्राईव-इन सिनेमा देखा – हाँ, देखा. हर तरह का सिनेमा देखा. नुक्क़ड़ के फुटपाथिया शॉप तक ड्राइव किया, पायरेटेड डीवीडी लाया, डीवीडी ड्राइव में इन किया और सिनेमा देखा.
- किसी फिल्म में नज़र आए – हाँ, एक्सरे फ़िल्म में.
- चीन की बड़ी दीवार देखी – अपने घर की बड़ी प्लास्टर निकलती दीवार देख रहे हैं अभी तो.
- अपना व्यवसाय आरंभ किया – हाँ, किया. चिट्ठाकारिता का व्यवसाय. पर, ये न तो फल रहा है न फूल रहा है. पता नहीं कहां जा रहा है...
- मार्शल आर्ट की क्लास में भाग लिया – हाँ, टिप्पणी-प्रतिटिप्णी और पोस्ट-प्रतिपोस्ट की मार्शल क्लास में. अब तो खुदै क्लास चलाने की सोच रहे हैं. अभिनव सोच वाले स्टूडेंटों का स्वागत है.
- रूस गए – सोच तो रहे हैं, पहले बेलारूस होकर आते हैं.
- लंगर/भंडारे में लोगों को खाना परोसा – जाते तो हैं इसी विचार में, पर पंगत में बैठ जाते हैं, और फिर उठा नहीं जाता...
- ब्वॉय स्कॉऊट पॉपकार्न अथवा गर्ल स्कॉऊट कुकीज़ बेची – हिन्दी में व्यवसायिक चिट्ठाकारी की संभावना तलाशने वाले मुझ जैसे ब्लॉगरों को अब तो आगे पॉपकार्न बेचने का ही काम करना पड़ेगा लगता है.
- समुद्र में व्हेल देखने गए – गए तो थे, पर समुद्र किनारे गंदगी देखकर वापस हो लिए.
- खामखा बिना वजह किसी ने फूल दिए – हाँ, 1 अप्रैल को बहुतों ने.
- रक्त दान किया – आपका इशारा रामसेना वालों की तरह रक्त दान का है, तो नहीं!
- स्काई डाईविंग करी – हाँ, रोज ही करते हैं. भारतीय, गड्ढों युक्त सड़कों पर ड्राइविंग करना और स्काई डाइविंग करना दोनों एक ही बात है.
- नाज़ी कॉन्सनट्रेशन कैम्प देखा – क्या अब भी वहां कॉन्सनट्रेशन कैम्प चल रहा है? यदि हाँ, तो ऐसा कोई इरादा नहीं है हमारा.
- खुद का दिया बैंक चैक बाऊंस हुआ – हाँ, हुआ. कहें तो आपको भी चेक ईशू कर दें इस बात को सत्यापित करने के लिए?
- हैलीकॉप्टर में सवारी करी – बड़े बड़ों के हैलीकॉफ़्टरों के ईंघन टैंक में पत्थर और रेत मिलने के बाद भी यदि कोई ऐसा सोचे, तो उसे मेरा सलाम!
- बचपन के किसी मनपसंद खिलौने को बचा के रखा – किससे बचा के? वैसे, इधर के कम्पीटीशन युक्त जमाने में किसी का बचपन ही बच जाए यही ग़नीमत है!
- राज घाट पर गांधी समाधि देखी – हाँ, और गांधी पर हो रही राजनीति भी!
- कैवियार (मछली के अंडों का अचार) खाया – पीटा के भय से नहीं.
- रजाई का कवर सिला – कथरी ओढ़ने वालों से रज़ाई की बातें – ये तो अत्याचार है! ह्यूमनराइट्स में जाना पड़ेगा.
- चांदनी चौक गए – चाँदनी चौक टू चाइना भी (देखने) गए.
- घने जंगल में सैर की – जी हाँ. अपनी तो कंक्रीट के घने जंगलों में रोज सैर होती है.
- नौकरी से निकाले गए – नहीं. तलाक की नौबत ही नहीं आई है अब तक.
- लंदन के बकिंघम महल में पहरेदारों की बदली देखी – क्या कहा? लंदन के? नहीं. वैसे, यहाँ सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस की वसूली की बदली जरूर देखता आ रहा हूं मैं.
- हड्डी टूटी – बिना रीढ़ वालों की हड्डी नहीं टूटा करती जो आप ये बात पूछ रहे हैं.
- तेज़ रफ़्तार मोटरसाइकल की सवारी करी – रफ़्तार तो ठीक है, पर तेज़ की क्या परिभाषा है? भारतीय गड्ढेदार सड़कों पर क्या ये अधिकतम 5-10 या 15 किमी प्रघं है?
- अमेरिका में ग्रैन्ड कैनयन देखी – जब देखो अमरीका इंग्लैंड की बात करते हैं. नागपुर कानपुर की भी तो कुछ पूछें.
- अपनी किताब छपवाई – हाँ हाँ, प्रिंट ऑन डिमांड इसीलिए तो है. एक किताब की एक प्रति. अपने लिए. अपने ड्राइंग रूम के आले में सबसे सामने रखने के लिए.
- वैटिकन गए – फिर वही बात. पचमढ़ी की पूछें तो बताएंगे.
- नई नवेली गाड़ी खरीदी – गाड़ी तो नई नवेली ही होती है, पर वो दूसरे दिन ही जाने क्यों पुरानी हो जाती है.
- जेरूसलम की सैर करी - धार्मिक प्रश्नोत्तरी बंद है.
- अखबार में फोटो छपी – नो थैंक्स. न तो हमें पप्पू यादव और शहाबुद्दीन बनना है, न कसाब और न पीएम इन वेटिंग और न ही कमजोर पीएम.
- नव वर्ष की पूर्व संध्या की मध्यरात्रि किसी अंजान का चुंबन लिया – इच्छा तो वर्षों पुरानी है, पर फिर रामसेना वालों (बीवी समेत) का भी तो भय है.
- राष्ट्रपति भवन की सैर करी – नहीं. सोच रहे हैं किसी दिन तकदीर ने जोर मारा तो क्या पता किसी पार्टी के उम्मीदवार ही न बन जाएँ किसी दिन...
- किसी जानवर का शिकार कर खाया – नहीं. वैसे भी आजकल जानवर नहीं मिलते. आदमियों ने जानवर का चोला पहन लिया है, और इसी कारण आदमी ही आदमी के खून का प्यासा हो चला है.
- चिकन पॉक्स झेला – झेला है कई बार. बेस्वाद और मिर्च मसालों से भरपूर नमकीन भी. क्या इसका स्वाद चिकन चिली जैसा होता है? अपने इधर शायद इसे चिकन रोस्ट कहते हैं...
- किसी की जान बचाई – हाँ, कल एक मच्छर काट रहा था. उसे मारने ही वाला था कि पीटा वालों की याद आई तो मैंने उसे मारा नहीं और बस, उड़ा दिया.
- जज अथवा जूरी बन निर्णय सुनाया (किसी प्रतियोगिता में या न्यायालय में) – हाँ, – बाद में डिस्को रूदन करना पड़ा था – ये भी याद है.
- किसी प्रसिद्ध व्यक्ति से मुलाकात करी – आज सुबह ही आईना देखा था. वैसे मेरे अत्यंत सड़ियल कॉम्पैक लॅपटॉप की बेहद चमकीली स्क्रीन पर अभी भी दिख रहा है वो प्रसिद्ध व्यक्ति.
- बुक क्लब की सदस्यता ली – गुटेनबर्ग और दपायरेटबे और टोरेन्ट के जमाने में? हैरी पॉटर का आने वाला नया संस्करण टोरेन्ट पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है. लिंक भेजूं?
- किसी अज़ीज़ को खोया – अजीज को तो नहीं, पर अजीज पोस्ट को खोया. लिखते लिखते बिजली चली गई, लॅपटॉप की बैटरी उड़ गई, ड्रॉफ़्ट में से पोस्ट उड़ गया. जाने कैसे...
- शिशु को जन्म दिया – अभी ये तकनॉलाजी इवॉल्यूशन ट्रैक पर है. पर, मैं इसका अनुभव जरूर लेना चाहूंगा.
- जॉन वेन की फिल्म “द अलामो” देखी – नहीं, पर मौका मिलते ही देखेंगे. वैसे, पूछा जाना चाहिए था - तस्वीर 8x10 देखी? कोई माई का लाल नहीं कहता कि देखी, और ये भी नहीं कि हाँ, मौका मिलते ही देखेंगे.
- अमेरिका के ग्रेट सॉल्ट लेक में तैराकी करी – अभी तो भोपाल के बड़े तलाब में तैराकी की सोच रहे हैं. वैसे अवर्षा और गर्मी के कारण यहाँ भी पानी तेजी से सूख रहा है और बाकी फिर रॉक और सॉल्ट ही बचेगा.
- किसी कानूनी मुकदमे में शरीक हुए/रहे – इतने सारे 99 प्रश्न में उलझने के चक्कर में सोच रहा हूं कि इस विचार को जन्म देने वाले पर एक मुकदमा ठोंक ही दूं.
- सेल फोन के मालिक हैं/रहे – हैं? ये भी कोई प्रश्न है जी. एक दो नहीं, ड्यूअल सिम वाले तीन-तीन सेलफोन हैं अपने पास जो छै नेटवर्क सपोर्ट करते हैं. सेलफोन के बगैर आजकल का जीना भी कोई जीना है लल्लू?
- मधुमक्खी ने डंक मारा – हाँ, पर मेरी जेब पर. हाल ही में बाजार से किलो भर मधुरस लाया तो पता चला कि वो नक़ली है! हद है, अब मरी मधुमक्खियों ने डंक मारने का नया तरीका ईजाद कर लिया है. वो नकली मधुरस भी बनाने लगी हैं!
लो जी आपने तो १५ मिनट में सारे कर लिये.....वैसे आपके लिये प्रश्न कोड दूसरा था ये पर्चा तो आपने ऐंवे ही खोल लिया...
हटाएंआपके लिये तो दूसरे प्रश्न थे मसलन....
अभी तक ब्लोगिंग की जिंदगी में कितनी बार मन मारकर "बहुत बढ़िया " कहकर टिप्पणी लिखी है "?
इत्ते सालो से ब्लोगिंग में वो कौन सी चाय है जो रतलाम सेल के साथ खाकर आपको बोर नहीं होने देती ?
दिल पे हाथ रखके बाटिये कभी मन किया की इस साले टिप्पणीकार की टांग तोड़ दूँ ?
कुल जमा कितनी बार अनामी टिप्पणी की है ?
कितनी पहेलियों के हल आपने किये है ?
.....वगेरह वगेरह.......
जय हो। सेंचुरी मार दो भाई!
हटाएंही ही ही, पढ़कर मज़ा आ गया!!
हटाएंइन उत्तरों के बाद जिसने भी इन सवालों की कल्पना की थी उसके सवाल नंबर 46 का उत्तर हो जाएगा...हॉं......हॉं रविरतलामी के जबाव पढ़कर एंबुलेंस से ले जाना पडा था।
हटाएंमस्त उत्तर
सवाल जरूर औपनिवेशिक सोच से उपजे हैं यूरोप-अमरीका के बाहर झांकते ही नहीं।
आप तो नाराज हो गए!! और 52वें में बेईमानी कर गए
हटाएंवैसे सभी मजेदार रही. 99 में 99 अंक दिये जाते है.
हा हा हा, मजेदार , सभी के सभी…।
हटाएंहा हा ! आपने तो हिट लिस्ट को हिट कर दिया :-)
हटाएंहिट लिस्ट वाकई हिट है..
हटाएंऔपनिवेशिक सोच????
हटाएंकोई अंग्रेज लिखेगा तो वहीं के तो लिखेगा...अमित ने किसी ब्लॉग से उठाए थे. खेल में जिसे मजा आया, उठाता गया.....
haa haa!! अब मजेदार हुई बात!!
हटाएंjai ho! ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha . bahut majedaar
हटाएंवाह वाह मजा आ गया, शतकीय प्रश्न है कोई ऐसी लिस्ट पूरी करी?
हटाएंबहुत बड़ी बीमारी है ये तो...
हटाएंमान गए ब्लोगश्री भ्राता जी ,सरे प्रश्नों का उत्तर पूरा दीमाग को के तलहटी में जमी हुए ,गियान को खुरच कर बाहर निकाला है ? प्रश्न करता ने आप के धैर्य का पूरी तरह परिक्षण की कसुटी पर कस के कशा है ,दोनों ही साधुवाद के पात्र है . kcverma
हटाएंpoint number 22, achha laga jaankar ki Baba Bharti aaj bhi dilon mein baste hain.
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