य ह निबंध श्री आलोक पुराणिक के एक छात्र के परचे से ली गई है. निबंध का विषय था – अगर मैं गृहमंत्री होता... --- अगर मैं गृहमंत्री होता तो ...
यह निबंध श्री आलोक पुराणिक के एक छात्र के परचे से ली गई है. निबंध का विषय था – अगर मैं गृहमंत्री होता...
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अगर मैं गृहमंत्री होता तो बहुत बड़े बड़े काम करता. यूं ही नहीं बैठा रहता. जैसे कि यदि कोई विमान अपहर्ता विमान अपहरण कर उसे कांधार ले जाता और 5 आतंकवादियों की मांग करता तो मैं बापू की शांतिप्रियता का उदाहरण देकर 5 के बदले 50 आतंकवादियों को खुद ले जाकर उन्हें सौंपता.
यदि मैं गृह मंत्री होता तो मुम्बई में आतंकवादी हमलों के समय कैमरे में इंटरव्यू देते समय हर घंटे कोई 2-3 ड्रेस बदलता. दिन भर में इस तरह 20-25 ड्रेस बदलता. स्मार्ट गृहमंत्री होने के नाते स्मार्ट दिखाई देना गृहमंत्री का धर्म है. और, करात-माया-लालू के जमाने में गृहमंत्री को वैसे भी इन दिनों लाइव कैमरे वाले, टीवी वाले रोज रोज पूछते कहां हैं भला?
यदि मैं गृहमंत्री होता तो देश की तमाम ईमानदार जनता को हाथी के पांवों तले कुचलवा देता. इन ईमानदार जनता के कारण ही देश का बेड़ा गर्क हो रहा है. भारत का एक ही धर्म घोषित करता – बेईमानी. तब जातपांत धरम के दंगे फसाद फुर्र से दूर हो जाते. भारत की जनता बेईमानी करने लगे तो यहाँ की गरीबी और भुखमरी को दूर होने में एक सेकण्ड की देर नहीं लगती. तब सारे भारतीयों का स्विस बैंक में खाता होता.
अगर मैं गृहमंत्री होता तो एक जूते खाने के बाद दूसरे की मांग करता चूंकि भई, एक जूते का भला क्या काम? एक जूता न फेंकने वाले के किसी काम का, न पाने वाले का.
अगर मैं गृह मंत्री होता...
(पर्चे का समय खतम हो गया था, अत: छात्र से जबरदस्ती उसकी कॉपी ले ली गई)
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वाह, क्या बात है, आलोक सर अपने छात्रों की कापी से चुरा चुराकर अख़बारों और ब्लाग पर माल पेश करते है और आप तो उनके भी उस्ताद निकले. लेकिन यह सेटिंग आपने कैसे की जो उनके छात्र के कापी से टीप लिया. मतलब उनकी दुकान में सेंध लग चुका है.
हटाएं.. बहुत खूब.. इस निबंध पर 100 में से पूरे 100
हटाएंविद्यार्थियों के निबन्ध चुरा कर ठेलना एक बिमारी है, इसके किटाणूं पुराणिकजी से शिवजी को लगे थे और आप इससे ग्रस्त हो गए है. खतरनाक व्याधी है, बचें
हटाएंहोनहार छात्रों को अतिरिक्त समय मिलना चाहिए..
यदि होते तो ब्लॉग लिखने का समय न होता...फुरसत के दो पल जनता के बारे में सोचने में ही फनाह हो जाते
हटाएंयदि गृहमंत्री होते तो क्या ब्लॉग लिखने का समय मिलता, फुरसत के दो पल जनता की एसी तैसी करने में ही निकल जाते
हटाएंSIR
हटाएंSAADAR ABHIVADAN
NAT MASTAK HO GAYAA
वाह ... बहुत बढिया।
हटाएंबड़ा स्लो है छात्र। तीन घण्टे में इतना ही लिख पाया?
हटाएंउत्पल जी की बात से आलोक जी पर संदेह हो जाता है…वैसे अनुपम जी की बात ध्यान देने लायक है लेकिन हमें लगता है कि इनके पास खूब समय होता है, वे इस्तेमाल भले कहीं और करें…यह समय का नियम लगभग सभी बड़े लोगों के लिए लागू होता है जो कहते हैं कि उनके पास समय कम है…
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