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प्रिये तुझे पुकारे मेरे अनुगूंज...

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में प्यार की गूंज *-*-* अनुगूँज के इस दफा के आयोजन के लिए आज से करीब अठारह वर्ष पहले, अपनी प्रेयसी [वर्तमान में भाग्य (दुर् या सौ ¿¿) स...

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में प्यार की गूंज

*-*-*
अनुगूँज के इस दफा के आयोजन के लिए आज से करीब अठारह वर्ष पहले, अपनी प्रेयसी [वर्तमान में भाग्य (दुर् या सौ ¿¿) से पत्नी] को लिखे गए प्रेम पत्र के एक हिस्से की एक झलक आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है:


आज, ऐसे शब्द, काफ़ी कुछ सोचता हूँ तो, लिखने की तो बात ही क्या, ज़ेहन में ही नहीं आ पाते.. मैं थोड़ा रोमांटिक होने लगता हूँ तो बीवी को बच्चे, घर-परिवार दिखने लगते हैं और कभी वह मूड में होती है तो मुझे मेरा टर्मिनल और डेड लाइन... वाह क्या खूबसूरत दिन थे वे भी...

धन्यवाद अनुगूँज, तूने पुराने दिनों के खूबसूरत लम्हों को एक बार फिर याद दिला दिया...

COMMENTS

BLOGGER: 4
  1. धन्यवाद रवि भाई, मै इसको शामिल कर लूँगा.
    लेकिन सर जी, बड़ा करके देखने पर पत्र का मजमून साफ नही दिख रहा है,
    कृप्या करके साथ मे अपने ब्लाग लिख भी दीजिये, बड़ी कृपा होगी.

    कम से कम मुझे इमेल कर दीजिये, ताकि मै कुछ प्रतिक्रिया भी तो लिख सकूँ.

    जवाब दें हटाएं
  2. मजमून यूँ है:

    --



    ... तेरी उस समय की सूरत मेरी नज़रों में कौंध जाती थी, जब मैंने तेरे चेहरे को
    अपने हाथों में थामा था और तेरे होंठ लरज़ रहे थे और तब उनकी थिरकन को अपने
    होठों से मैंने शान्त करने की कोशिश की थी.

    और पता है अभी तेरी कौन सी सूरत मेरी आंखों में कौंध रही है? ज़रा कोशिश
    करो... नहीं जमा... मोहतरमा तेरी वही सूरत घूम रही है मेरे इर्द गिर्द जब तूने
    बहाना किया था साथ नहीं आने का. सोचता हूँ तेरी इस बेइमानी का बदला किस तरह से
    लूँ. तुझसे पूछूंगा तो ज़रूर मगर सज़ा ज़रूर अपनी मर्जी से दूंगा, बहरहाल अभी
    इतना तो कह ही सकता हूँ कि – रीयली! शी इज़ इन लव.

    रवि

    ---

    ---

    जवाब दें हटाएं
  3. pyar ....... .
    hummm...
    pata nahi kya hai??? shayad sirf lavab...ya vasna nmatra....

    जवाब दें हटाएं
  4. mama ji ka love letter.
    aapki bhaji ne bhi para .
    ab to hum sabko batayege.

    जवाब दें हटाएं
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