कोई छः वर्ष पूर्व, स्थानीयकरण में गुणवत्ता और मानकीकरण के उद्देश्य से हिंदी भाषा में प्रारंभ किया गया फ़्यूल नामक यह छोटा सा प्रयास अब तक 6...
कोई छः वर्ष पूर्व, स्थानीयकरण में गुणवत्ता और मानकीकरण के उद्देश्य से हिंदी भाषा में प्रारंभ किया गया फ़्यूल नामक यह छोटा सा प्रयास अब तक 60 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं और विभिन्न मॉड्यूलों में विस्तृत हो चुका है, जिसकी तो कल्पना नहीं ही थी. और इसका विस्तार जारी है. इन पंक्तियों के लिखते समय जर्मनी भाषा के भी इस आयोजन में जुड़ने की खबरें आ रही हैं.
स्थानीयकरण में गुणवत्ता और मानकीकरण कितना आवश्यक है, यह आप नीचे दिए गए स्क्रीनशॉट से स्वयं समझ सकते हैं. ये स्क्रीनशॉट नवीनतम एंड्रायड फ़ोन के आधिकारिक हिंदी (नेक्सस 5 पर हिंदी इंटरफ़ेस) से लिए गए हैं. साथ ही, यदि आप गूगल मैप्स का उपयोग हिंदी में करते आ रहे हों तो शायद आपको पता हो कि पूर्व में यह हिंदी में गूगल मानचित्र कहलाता था, फिर इसे बीच में गूगल नक्शे कहा जाने लगा और अभी अभी इसे फिर से गूगल मानचित्र कहा जाने लगा है. यदि मानकीकरण हो, तो ऐसी समस्याओं से दूर रहा जा सकता है.
स्थानीयकरण में गुणवत्ता और मानकीकरण को बढ़ावा देने और उसे चहुंओर विस्तार देने के उद्देश्य से फ़्यूल गिल्ट (FUEL - Frequently Used Entries in Localization तथा GILT - Globalization, Internationalization, Localization and Translation) संगोष्ठी का आयोजन पिछले दिनों यशदा (यशवंतराव चव्हाण विकास प्रशासन प्रबोधिनी), पुणे में हुआ. आयोजन की शुरुआत डॉ विजय भाटकर के दिलचस्प उद्बोधन से हुआ, जिसमें उन्होंने भारत के प्रथम सुपर कंप्यूटर के निर्माण के समय के अपने अनुभवों को साझा किया. स्थानीयकरण से जुड़े व इतर क्षेत्र के कई पंडितों ने भी इस द्विदिवसीय आयोजन में अपने विचार रखे. समानांतर सत्र में कई वर्कशॉप भी चले.
इस आयोजन की उपलब्धि रही – फेलिक्स द्वारा फ़्यूल एग्रीकल्चर मॉड्यूल का आरंभिक संस्करण जारी करना तथा रविकांत द्वारा प्रस्तावित फ़्यूल फ़िल्म मॉड्यूल की सशक्त भूमिका पेश करना.
इस बेहद सफल आयोजन के पीछे राजेश रंजन, चंद्रकांत धूतामल, अंकित कुमार पटेल, मनोज गिरी, प्रवीण सातपुते समेत तमाम अन्य लोगों का सक्रिय, समर्पित भाव से सहयोग रहा.
उम्मीद करते हैं कि फ़्यूल अपने मकसद में कामयाब होगा, और आशा करें कि हमें नीचे दिए गए स्क्रीनशॉट जैसे अनुभव भविष्य में न हों!
COMMENTS