मैंने तो, खैर इतने देखे भी नहीं थे!
अंग्रेज़ी के वर्डल की तरह हिंदी में शब्दल खेलें -
[नया!]_$type=list$m=0$cate=0$sn=1$rm=0$c=1$va=1$p=1
[आपके पसंद की रचनाएँ]_$type=blogging$m=0$cate=0$sn=1$rm=0$c=10$va=0$p=1$sr=random
[समग्र रचनाएँ]_$type=blogging$m=0$cate=0$sn=1$rm=0$c=7$va=1$p=1
छींटे और बौछारें में खोजें -
छींटे और बौछारें की विशाल लाइब्रेरी में खोजें -
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (14-10-2016) के चर्चा मंच "रावण कभी नहीं मरता" {चर्चा अंक- 2495} पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कुछ कच्चे होंगे कुछ पके , भूरा कद्दू अलग है जिसका पेठा बनता है ,स्वाद सबका एक सा ही होगा है तो कद्दू ही .
जवाब देंहटाएं