आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 459 मम्मी , मैं आपसे प्यार करता हूं ...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
मम्मी, मैं आपसे प्यार करता हूं
एक व्यक्ति फूलों की एक दुकान के पास रुका। वह अपनी माँ के लिए फूलों का एक गुलदस्ता भेजना चाहता था जो वहाँ से 200 मील दूर रहती थीं। जैसे ही वह अपनी कार से उतरा, उसने देखा कि एक लड़की वहाँ बैठी सुबक रही थी। उसने लड़की से इसका कारण पूछा। लड़की ने उत्तर दिया - "मैं अपनी माँ के लिए एक गुलाब खरीदना चाहती हूं। लेकिन मेरे पास सिर्फ 75 पैसे हैं जबकि एक गुलाब की कीमत रु. 2/- है।"
उस व्यक्ति ने मुस्कराते हुए कहा - "मेरे साथ आओ, मैं तुम्हें गुलाब दिला देता हूं।" फिर उसने उस लड़की के लिए गुलाब तथा अपनी माँ के लिए फूलों का गुलदस्ता खरीदा। दुकान से बाहर आते समय उस व्यक्ति ने लड़की को घर तक छोड़ने का प्रस्ताव दिया। लड़की ने कहा - "ठीक है, आप मुझे मेरी माँ के पास ले चलिए।"
वह लड़की उसे एक कब्रिस्तान में ले गयी और अपनी माँ की कब्र पर वह गुलाब रखा। जैसे ही उस व्यक्ति ने यह दृश्य देखा, उसने तुरंत अपनी माँ को डाक द्वारा भेजे लाने वाले पार्सल को रद्द किया एवं वह गुलदस्ता लेकर स्वयं अपनी माँ के पास जाने के लिए रवाना हो गया।
माता-पिता के जीवित और स्वस्थ रहते ही उनकी सेवा करना बेहतर है न कि मृत्यु उपरांत आदर व्यक्त करना।
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मैं फिर भी तुम्हें प्यार करती रहूंगी
अस्वीकृति का डर मानव स्वभाव का एक आधारभूत भय है। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने आखिरकार अपने बॉस से वेतन बढ़ाने के लिए बात करने का निर्णय लिया। उस दिन शुक्रवार था। उसने सुबह ही अपनी पत्नी को बता दिया कि आज वो अपने बॉस से दो-टूक बात कर लेगा। पूरे दिन वह व्यक्ति नर्वस और डरा-डरा रहा। शाम के समय उसने बॉस से बात करने की हिम्मत जुटायी। अच्छी बात यह हुई कि बॉस उसका वेतन बढ़ाने को राजी हो गये।
शाम को वह व्यक्ति खुशी-खुशी अपने घर आया। उसकी पत्नी ने बेहतरीन व्यंजन बनाए हुए थे। उसे ऐसे लगा कि शायद ऑफिस के किसी व्यक्ति ने उसकी पत्नी को यह सुराग दे दिया है कि मेरा वेतन बढ़ गया है।
उसने किचन में जाकर अपनी पत्नी को यह शुभ समाचार सुनाया। यह सुनकर पत्नी बहुत खुश हुयी। वे लोग साथ-साथ भोजन करने बैठे। तभी उस व्यक्ति को प्लेट के नीचे एक कागज़ दिखा, जिस पर लिखा हुआ था - "बधाई हो प्रिये! मुझे पता था कि तुम्हारा वेतन बढ़ जाएगा। इससे तुम्हें पता चलेगा कि मैं तुम्हें कितना प्यार करती हूं।"
जब पत्नी कुछ सामान लेने किचन की ओर जाने लगी, उसकी जेब से एक दूसरा कागज़ गिरा। जब व्यक्ति ने दूसरे कागज़ को भी उठाकर पढ़ा। उसमें लिखा था - "क्या हुआ यदि तुम्हारा वेतन नहीं बढ़ा। यद्यपि तुम अधिक वेतन पाने के हकदार थे, लेकिन फिर भी दुःखी होने की जरूरत नहीं है। इससे तुम्हें पता चलेगा कि मैं तुम्हें कितना प्यार करती हूं।"
पूर्ण स्वीकृति! पूर्ण प्रेम! उस व्यक्ति के प्रति उसकी पत्नी का प्यार उसकी सफलता का मोहताज़ नहीं था। बल्कि इसके विपरीत था। भले ही उस व्यक्ति की बात उसके बॉस के द्वारा नकार दी जाती, भले ही वह ऑफिस में असफल रहता, लेकिन फिर भी घर में उसके प्रति पूर्ण स्वीकृति थी। हर परिस्थिति में वह उसके साथ थी। किसी एक व्यक्ति का सच्चा प्यार पाने के लिए हम किसी की भी अस्वीकृति को बर्दाश्त कर सकते हैं।
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सही वरदान
एक राजा शिव भक्त था. उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और अपने भक्त से कोई वरदान मांगने को कहा.
राजा दयालु था और अपने देश की जनता का मंगल सदैव चाहता था. तो राजा ने भगवान से यह वरदान मांगा कि उसके पास यह शक्ति आ जाए कि राज्य की तमाम जनता अपने राजा से सदा सर्वदा प्रसन्न और खुश रहे.
भगवान शिव सोच में पड़ गए. फिर बोले – हर किसी को हर समय खुश रखना तो जादू करने जैसा काम होगा. एक राजा यह काम कभी नहीं कर सकता. एक ही समय में आप सेठ और सेठ के घर चोरी करने वाले को एक साथ कैसे खुश रखोगे. तुम्हें न्याय स्वरूप चोर को दंड देना ही होगा और इससे वह खुश कैसे होगा?
राजा को यह बात समझ में आ गई और उन्होंने भगवान से क्षमा मांगते हुए यह वरदान मांगा कि वह अपने राज्य में सबको सही सही न्याय प्रदान करने में समर्थ बने.
राजा की यह इच्छा भगवान शिव ने पूरी कर दी.
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मरते दम तक
प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात को मृत्युदंड की सज़ा सुना दी गई थी. वे अपनी कोठरी में मृत्युदंड के दिन का इंतजार कर रहे थे. एक दिन उन्होंने बगल की कोठरी में एक कैदी को एक गीत गाते सुना.
सुकरात ने उस कैदी से निवेदन किया कि क्या वह उसे यह गीत सिखा सकता है?
उस कैदी ने आश्चर्य से पूछा – तुम्हें तो कुछ ही दिनों में मृत्युदंड दिया जाना है, यह गीत सीख कर क्या करोगे?
“एक न एक दिन मरना सभी को है. तो मैं एक चीज और सीख कर मरूंगा.” सुकरात का जवाब था.
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स्वर्ग में सुई
गुरु नानक एक बार एक धनी सेठ धूनी चंद से मिले. धूनी चंद के कंजूसी के किस्से बहुत प्रचलित थे. गुरु नानक ने एक सुई मंगवाया और धूनी चंद को देते हुए कहा – “इस सुई को अपने पास सम्हाल कर रखो. जब हम स्वर्ग में मिलेंगे तब तुम मुझे इसे लौटा देना.”
धूनी चंद ने आश्चर्य से कहा – “मैं इसे अपने पास सम्हाल कर तो रख लूंगा, परंतु इसे मैं स्वर्ग कैसे ले जा सकता हूँ?”
“यह बात तो -” गुरु देव ने आगे कहा – “तुम्हारे धन के साथ भी लागू होती है!”
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सादगी
लुइ पास्चर को फ्रांसीसी सरकार ने देश का प्रतिनिधित्व करने अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा कांग्रेस लंदन भेजा.
लुइ पास्चर की ख्याति इतनी अधिक थी कि जब वे सम्मेलन स्थल सेंट जेम्स हॉल पहुँचे तो सभी ने खड़े होकर उनके लिए तालियाँ बजाई.
परंतु लुइ पास्चर सीधे सादे इंसान थे. उन्हें इस बात का न तो भान था न प्रत्याशा थी. उन्होंने अपने एस्कोर्ट से कहा – “लगता है मैं थोड़ा लेट हो गया. शायद इंग्लैंड के महाराजा आए हैं और उनके लिए तालियाँ बज रही हैं.”
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
अहसासों की सौगात हैं ..ये कथाएँ!
जवाब देंहटाएंआभार!
सच है, माँ पिता को जीते जी सुख दे दें हम।
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