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चिट्ठाचर्चा की एक हजार एक वीं पोस्ट तो गब्बर पहले ही लिख चुका है!

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पता चला है कि चिट्टाचर्चा की हजारवीं पोस्ट आई है. पर, एक हजार एक वीं पोस्ट तो चिट्ठाजगत् का गब्बर पहले ही लिख चुका है .  तो गब्बर की चर्च...

नुक्ता चीनी कादम्बिनी नवंबर 04 अंक में अवतरित
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मेरी ग़ज़लें

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पता चला है कि चिट्टाचर्चा की हजारवीं पोस्ट आई है. पर, एक हजार एक वीं पोस्ट तो चिट्ठाजगत् का गब्बर पहले ही लिख चुका है.  तो गब्बर की चर्चा आप पढ़ना नहीं चाहेंगे?

गब्बर - अरे ओ सांभा
सांभा - जी, सरकार...

ग.- तो कितने हिन्दी चिट्ठाकार हैं?

सां.- जी, सरकार पांच सौ...

ग.- और दिन में कितने चिट्ठे चर्चा के लिए आ जाते हैं?
सां.- जी, सरकार, यही कोई पंद्रह बीस...

ग.- और तू पंद्रह-बीस चिट्ठों की भी ढंग से चर्चा नहीं कर पाता. ऊपर से बहाने बनाता है कि चिट्ठों पर ताला लगा है? बहूत नाइंसाफी है ये बहूत नाइंसाफ़ी.

सां.- सरकार,...

ग.- और क्यों क्या तेरे कन्ने कोई और काम धाम नईं था क्या जो तू बेमतलब और फ़ालतू चिट्ठाचर्चा लिख-लिख कर तमाम जनता को बोर करता फिरता है?
सां.- जी, सरकार...

ग.- उदर ये भासा ऊसा का क्या चक्कर है? कबी तू बंगाली मोशाय बनके लीखता होय, कबी तू मद्रासी बोन जाता है, कबी तू कविता करता है और कबी तू फ़ोकट का कुंडलियां तो कबी व्यंज़ल मारता है? कबी तू मध्याह्न में आ जाता है तो कबी फुरसत में लिखता बेठा रहेता है और कबी हैदराबादी तो कबी कुवैती बानी बोलता है. तो क्या तू पूरे देस-परदेस में घुमता फिरता है और क्या तेरे में बहुभाषी आत्मा घुस रहेला है?
सां.- हाँ, सरकार...

ग.- हाँ सरकार के बच्चे? क्या तू पाठकों को बेवकूफ़ समझता है? तू सुद्द हीन्दी क्यों नहीं लीखता है? और ई का चक्कर है कि तू कुछ चिट्ठों को तो बड़े प्रेम प्यार से बांचता है चर्चा करता है, और बाकी को छोड़ देता है? स्त्री नाम धारी चिट्ठाकारों के चिट्ठे तो तू बांच लेता है बाकी को फेंक देता है? कुछ चिट्ठों की बड़ी प्रशंसा मारता है तो कुछ चिट्ठों की खिल्ली उड़ाता है. बड़ी यारी दुसमनी निभाता है अपने चिट्ठाचर्चा के जरिए? सुना है तूने बहुत ग्रुप बना लिया है कोटरी बना लीया है?
सां.- सरकार, सरकार...

ग.- सरकार के बच्चे, ये बता तू चिट्ठाचर्चा में फोकट की खाली चरचा मारता है कि कुछ गंभीर समीक्षा-वमीक्षा भी करता है? कि बेफ़ालतू की खाली कड़ियाँ थमाकर भाग जाता है. जब तू चिट्ठाचर्चाकार बन गएला है तो अपने काम में प्रोफ़ेशनल एटीट्यूड क्यों नहीं लाता? चलताऊ काम क्यों करता है? या तो तेरे को चिट्ठाचर्चाकार नहीं बनना था, और जब बन गएला है तो गाहे-बगाहे बहाना क्यों बनाता है?
सां.- नहीं, सरकार...

ग.- चोप्प! अब सुन. अबी मेंने जो तेरे को सुनाया, उसपर ध्यान मार. भेजा उसपे लगा. मेरे को कोई कंट्रोवर्सी नईं मांगता. जो जो पिराबलम मेंने तेरे को ऊपर बताया उसे ठीक करके फिर चिट्ठाचर्चा लिखना. और, जरा जल्दी जल्दी सीख, अपने चिट्ठाचर्चा मैं स्टैंडर्ड ला. समझा क्या? और नहीं समझा तो ये बी समझ - आज मेरे सामने आदमी अकेला तू है और मेरे इस पिस्तौल में गोली पूरी की पूरी छ: है. हा हा हा हा हा हा हा हा हा ...

सां.- जी, सरकार.

चिट्ठाचर्चाकार सांभा तब से अपने टर्मिनल का कुंजीपट टिपियाते बैठा है. उसकी उंगलियाँ धड़ाधड़ चल रही हैं, परंतु गोली के भय से वह एक लाइन टाइप करता है और चार लाइन मिटाता है. उसकी पोस्ट माइनस में चली गई है. वह पोस्ट करे तो करे क्या? --- इस बीच वो एक व्यंज़ल लिख मारता है -

--

 

चर्चा पर एक एंटी व्यंज़ल

 

अच्छी चर्चा बुरी चर्चा

ऐसी चर्चा कैसी चर्चा

 

क्यों किसलिए चर्चा

चर्चा, इसलिए चर्चा

 

बहुत प्रायोगिक चर्चा

बेहद अप्रायोगिक चर्चा

 

फूहड़ और बेकार की चर्चा

बढ़िया बड़े काम की चर्चा

 

आज की, कल की चर्चा

नहीं, परसों की चर्चा

 

अरे! सिर्फ दो की चर्चा

बाप रे! दो सौ की चर्चा

 

उन्हीं उन्हीं की दीगर चर्चा

घूमफिरकर एक ही चर्चा

 

असमय की गई चर्चा

कुसमय क्यों हुई चर्चा

 

बस, तेरी मेरी चर्चा

हद है! यही है चर्चा?

 

वाह! वाह!¡ खूब चर्चा

जित्ते मुंह उत्ती चर्चा

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COMMENTS

BLOGGER: 14
  1. बेनामी12:37 pm

    5 वषों में, 27 चर्चाकारों वाली मंडली के चर्चित सामूहिक चिट्ठाचर्चा की 1000वीं पोस्ट पर बधाई व शुभकामनाएँ।

    यह प्रथम चिट्ठाचर्चा मंच नित नई ऊँचाईयाँ छुए, यही कामना

    बी एस पाबला

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  2. कुल मिला कर गब्बर की चिट्रठा चर्चा अच्छी रही .

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  3. बहूत मजा आया....हेहहेह...

    जवाब दें हटाएं
  4. चिट्ठा चर्चा के सभी लेखकों को बहुत बहुत बधाइयाँ और आभार कि वे इस यात्रा को वहाँ तक लाए कि हम भी उस के पाठकों में शामिल हो सके।

    जवाब दें हटाएं
  5. पांच से आठ वर्ष की यात्रा . हज़ारों ब्लॉग . दो दर्ज़न से अधिक चर्चाकार . और चर्चा की एक हज़ारवीं पोस्ट का ’माइलस्टोन’ . सब आशाजनक है . खास तौर पर इसलिये कि यह वीराने में बस्ती बसाने जैसा काम था . जो इसके शुरुआती सूत्रधार और कार्यकर्त्ता थे उन्हें एक गुलाब का फूल मेरी ओर से और हिंदी चिट्ठा-परिवार के सभी सदस्यों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं .

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  6. एंटी व्यंजल कमाल का है रवि जी...

    जवाब दें हटाएं
  7. चर्चा की 1000वीं पोस्ट पर सभी को बधाई व शुभकामनाएँ.

    जवाब दें हटाएं
  8. चर्चा में क्या खर्चा
    ना स्याही ना पर्चा

    जवाब दें हटाएं
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छींटे और बौछारें: चिट्ठाचर्चा की एक हजार एक वीं पोस्ट तो गब्बर पहले ही लिख चुका है!
चिट्ठाचर्चा की एक हजार एक वीं पोस्ट तो गब्बर पहले ही लिख चुका है!
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