16-17 फरवरी 2008 को रायपुर में हुए अंतर्राष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन के दौरान जगार 2008 देखने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ. जगार के बारे में सं...
16-17 फरवरी 2008 को रायपुर में हुए अंतर्राष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन के दौरान जगार 2008 देखने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ. जगार के बारे में संजीव जी ने अपने चिट्ठे पर विस्तार से लिखा है.
लीजिए, आपके लिए प्रस्तुत है जगार में प्रदर्शित एक से एक बेहतरीन हस्तशिल्पों के कुछ नमूने. इनमें से एक दो शिल्प मैंने भी खरीद लाए. रेखा ने ये चित्र देखे तो उसका कलाकार मन जाग उठा और उसने लगभग हर चित्र को देखकर मुझसे पूछा कि ये क्यों नहीं लाए, ये वाला क्यों नहीं और इसे तो लाना ही था! कुल मिलाकर हर लोक शिल्प अपने आप में अनूठा और संग्रह योग्य.
(लकड़ी का शिल्प)
(नारियल की जटाओं से बना बेशकीमती घोड़ा. जीवंत. कीमत सिर्फ साठ रुपए. - क्या कलाकारों को उनकी कला का सही मूल्य मिल पाता है?)
(लकड़ी, हड्डी व ऐसे ही प्राकृतिक वस्तुओं से बना गले का हार, जो किसी भी नवलखा हार से ज्यादा ख़ूबसूरत है )
(लौह शिल्प - असीमित, अनंत कल्पनाओं के रूपाकार...)
(पेपरमैशी की कलाकृति - जीवंत और रंगों से भरपूर)
(इस सुंदर कला नमूने को कोई भी चूमना चाहेगा...)
(बांस के छिलकों व टुकड़ों से बने गुलदस्ते के फूल)
(काष्ठ शिल्पों के बीच लौहशिल्प के रूप में गांधी जी)
लीजिए, आपके लिए प्रस्तुत है जगार में प्रदर्शित एक से एक बेहतरीन हस्तशिल्पों के कुछ नमूने. इनमें से एक दो शिल्प मैंने भी खरीद लाए. रेखा ने ये चित्र देखे तो उसका कलाकार मन जाग उठा और उसने लगभग हर चित्र को देखकर मुझसे पूछा कि ये क्यों नहीं लाए, ये वाला क्यों नहीं और इसे तो लाना ही था! कुल मिलाकर हर लोक शिल्प अपने आप में अनूठा और संग्रह योग्य.
(लकड़ी का शिल्प)
(नारियल की जटाओं से बना बेशकीमती घोड़ा. जीवंत. कीमत सिर्फ साठ रुपए. - क्या कलाकारों को उनकी कला का सही मूल्य मिल पाता है?)
(लकड़ी, हड्डी व ऐसे ही प्राकृतिक वस्तुओं से बना गले का हार, जो किसी भी नवलखा हार से ज्यादा ख़ूबसूरत है )
(लौह शिल्प - असीमित, अनंत कल्पनाओं के रूपाकार...)
(पेपरमैशी की कलाकृति - जीवंत और रंगों से भरपूर)
(इस सुंदर कला नमूने को कोई भी चूमना चाहेगा...)
(बांस के छिलकों व टुकड़ों से बने गुलदस्ते के फूल)
(काष्ठ शिल्पों के बीच लौहशिल्प के रूप में गांधी जी)
बहुत सुन्दर और् नायाब फोटो।
हटाएंहस्तशिल्प एक विरासत है इस देश की लेकिन दुर्भाग्य यह है कि शिल्पियों को उनके अपने ही देश में तिरस्कार मिलता है जबकि विदेशों में इनकी भारी मांग है, जरूरत है इस काम को सही दिशा देने और इस काम में लगे शिल्पियों के प्रोत्साहन की न कि बंदरबांट में फ़ंसे इन सरकारी मुलाजिमों की जो इनका शोषण करते आ रहे हैं
हटाएंबहुत ही बढिया तस्वीरें और बहुत ही उम्दा शिल्प हम सब तक पहुँचाने के लिये धन्यवाद!
आपका
कमलेश मदान
काश कि शिल्पकारों को उनके काम की सही कीमत मिलती।
हटाएंबहुत ही सुंदर फोटो और कैप्शन ।
जे बात । रवि जी हम आपको गुरू ऐसे ही थोड़ी कहते हैं । हमारा मन ललच ललच के लड्डू हुआ जा रहा है , अदभुत हैं चित्र । और हों तो और दिखाईये । कमाल है । कलाकारों की उनकी कला की सही कीमत नहीं मिलती । ये एक चिरंतन सत्य है ।
हटाएंशानदार!
हटाएंबताईए भला, इधर हम जगार में सिरफ़ आई टॉनिक लेते रह गए और आपने तो खजाना क़ैद कर लिया कैमरे मे
bastar ke kalakaro ki halat aur kharab hai
हटाएंवाह भईया, इसका लिंक लगाता हूं अपने जगार वाले पोस्ट पर । धन्यवाद ।
हटाएंजब चित्र इतने अच्छे हैं तो देखने में कितने अच्छे होंगे…॥और दिखाइए
हटाएंछप्पा छप्पा
हटाएंफोटुआं छपे
दिल पे छपने
से कोई न बचे
bahut hi accha chaya chitron ka sangrah hai koi bhi bahas ka ya analisys ki wajah nahi hai sirf ITNA HI SAHI
हटाएंHAI KI
SUNDER HAI TO SUNDER HAI as every Indians know ki
"SATYAM SHIVAM SUNDARAM"
SANJAY NAHI HOTE TO MAHABHARAN AUR GITA KA VICHAR BHI
KISI KE MANN ME NAH
I AATA,,,,,