भोपाल में एक प्रेमी जोड़े ने आपस में अंतर्जातीय-अंतर्धर्मीय विवाह क्या कर लिया, सांप्रदायिक तत्वों ने, समाज के तथाकथित कर्णधारों ने जो मन...
भोपाल में एक प्रेमी जोड़े ने आपस में अंतर्जातीय-अंतर्धर्मीय विवाह क्या कर लिया, सांप्रदायिक तत्वों ने, समाज के तथाकथित कर्णधारों ने जो मनुष्य को मनुष्यता की नहीं, धार्मिक चश्मे से, जाति और वर्ण से, ऊंच-नीच से देखते हैं, सांप्रदायिकता और सौहार्द्रता की बुझती हुई चिंगारी में घी के कनस्तर डाल दिए हैं.
इतना ही नहीं, समाज के वे अज्ञानी तत्व जो अपने कूप मंडूकों से निकलना ही नहीं चाहते, अपने समाज की लड़कियों में तालिबानी किस्म की बंदिशें लगाने की पहल कर रहे हैं - और जिसकी गूंज रतलाम जैसे छोटे से कस्बे में भी सुनाई दे रही है.
शुक्र इस बात का है कि इन तालिबानी निर्णयों पर विरोध के पुख्ता स्वर तमाम क्षेत्रों से निकल चले आ रहे हैं. वह दिन दूर नहीं जब मेरे शहर के मुहल्ले में मनुष्य, मनुष्य रहेगा, वो किसी जाति-धर्म-वर्ण का नहीं रहेगा.
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व्यंज़ल
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चंद दीवाने तो हैं मेरे मुहल्ले में भी
बातें बहुत हैं कुछ पड़ें पल्ले में भी
आखिर किस तरह आएगा इंकलाब
तुम तो चुपचाप बैठे हो हल्ले में भी
सच तो ये है मेरे यार मेरे दोस्त
इज्जत की दरकार है दल्ले में भी
कितने नासमझ हैं ये मुहल्ले वाले
धर्म ले आए प्यार के छल्ले में भी
इतना भी नादान न समझो रवि को
कुटिलता है उसके बल्ले-बल्ले में भी
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Tag प्रियंका,उमर,सिंधी,विवाह
व्यंजल अच्छी है।
हटाएंअगर इन्ही कूप मंडूपों से ही आज का समाज है तो बेहतर है कि मनुष्य एक समाजिक प्राणी न रहे.
हटाएंइन मुर्खाधीराजों का विरोध करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उनकी बातों पर ध्यान ना देकर अपनी सामान्य जिन्दगी जीते रहो. तब तक जब तक पानी सिर के उपर से ना गुजर जाए..
हटाएंअगर कोई तालीबान स्टाइल में हाथ पैर भी चलाने लगे तब तो अदालत का दरवाजा खटखटाना ही हितकर है. वही आखिरी उम्मीद बची है.
वैसे भोपूँछाप टीवी समाचार चैनलों में भी शरण ले सकते हैं.. दो चार तो मौहल्ले में होंगे.
दुख इस बात का होता है की भुगतना महिलाओं को पड़ता है, कोई नहीं कहेगा लड़का बाहर नहीं जाएगा, या मोबाइल नहीं रखेगा. सारी बंदीशे लडंअकियों पर लादी जाएगी. जैसे तैसे थोड़ी आजादी मिली है....
हटाएंपूरा भोपाल पगला गया है क्या?
हटाएंरवि जी, ऐसे मौके आते हैं किंतु समाज विशेष के बीच बंधन लोगों को रास नहीं आता। मेरे मन से भी यही आवाज़ निकली थी। और उसे मैंने अपने चिट्ठे पर तत्काल चस्पा दिया। [url=http://www.gammat.blogspot.com]यहाँ[/url] देखिए
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