123...20331 / 2033 POSTS
Homeव्यंग्य

मरफ़ी के नए नए नियम कुछ ऐसे ही तो बनते हैं...

SHARE:

मरफ़ी के नए नियमों का जन्म... पिछले सप्ताह एक कार्यशाला के सिलसिले में मैं प्रवास पर था. सोचा था कि समय चुराकर कुछ कार्यों तो इस बीच नि...

रात में और क्या क्या बंद हो सकते हैं?
साहब-ठेकेदार संवाद...
और, %$#^ तो होते ही हैं देश लूटने के लिए...

मरफ़ी के नए नियमों का जन्म...

पिछले सप्ताह एक कार्यशाला के सिलसिले में मैं प्रवास पर था. सोचा था कि समय चुराकर कुछ कार्यों तो इस बीच निपटा ही लिया जाएगा - मसलन साप्ताहिक, सोमवारी चिट्ठाचर्चा लेखन - चूंकि अब जालस्थल पर बहुत से औजार उपलब्ध हैं जिनसे ऐसे कम्प्यूटरों पर भी हिन्दी में काम किया जा सकता है जिनमें हिन्दी की सुविधा नहीं भी हो. परंतु कार्यक्रम बहुत ही कसा हुआ था, और अंतिम क्षणों में अनूप जी से निवेदन करना पडा.

कितना सही है मरफ़ी का यह नियम:

जब आप सोचते हैं कि कोई कार्य आप जैसे भी हो कर ही लेंगे, तो किसी न किसी बहाने, हर हाल में वह कार्य नहीं ही हो पाता है!

कार्यशाला के आयोजकों ने हमें इंटरनेशनल हॉस्टल पर ठहराया था, जहाँ सुविधाएँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की थीं. इसका स्नानागार ही मेरे मकान के लिविंग रूम जितना बड़ा था, जिसका फर्श इटालियन मार्बल का था, और डिजाइनर शॉवर लगा हुआ था - यानी सब कुछ भव्य, क्लास था.

भले ही मैं अपने घर में पत्नी द्वारा स्नान के लिए स्नानागार में अकसर धकिया कर भेजा जाता हूँ, परंतु इस भव्य स्नानागार को देखते ही लगा कि अरे! मैं तो सदियों से नहीं नहाया हूँ, और रात्रि का समय होने के बावजूद स्नान के लिए मन मचल उठा.

विटामिन युक्त गार्निए शॅम्पू की खुशबू उस विशालकाय, भव्य स्नानागार में जरा ज्यादा ही आनंदित कर रही थी.

मरफ़ी का यह नियम भी सत्य है-

मुफ़्त के साबुन को ज्यादा मात्रा में और ज्यादा देर तक मलने में ज्यादा आनंद आता है, भले ही उसमें ज्यादा मैल निकालने की ज्यादा क्षमता न हो!

और, इससे पहले कि मैं अपने मुँह पर फैले साबुन के झाग को धो पाता, अचानक ही शॉवर में पानी आना बंद हो गया. शायद मैं स्नानागार में अधिक देर रह चुका था और शायद इंटरनेशनल हॉस्टल का सारा पानी इस्तेमाल कर चुका था. परंतु, अरे नहीं! मैंने तो बस, अभी शैम्पू लगाया ही था.

पानी कहीं नहीं आ रहा था. बेसिन में भी नहीं, और फ़्लश के टैंक में भी नहीं. थोड़ी देर पहले ही तो मैंने फ़्लश चलाया था.

जैसे तैसे मैंने अपने चेहरे का साबुन थोड़ा सा पोंछा और स्वागत कक्ष को फोन लगाया. मुझे बताया गया कि ऊपर टंकी में पानी चढ़ाने वाले पम्प में कुछ खराबी आ गई है, और लोग लगे हुए हैं उसे दुरूस्त करने में और कोई पाँचेक मिनट में पानी आ जाएगा.

.


.

पाँच के बदले पच्चीस मिनट बीत गए. पानी नहीं आया. स्वागत कक्ष को फिर फोन किया. पता चला कि कुछ कह नहीं सकते कि पम्प कब ठीक होगा. चार आदमी ठीक करने में लगे हुए हैं. गोया कि एक खराब पम्प को ठीक करने में जितने ज्यादा आदमी लगेंगे वह उतनी ही जल्दी ठीक होगा! मगर मैं विद्युत पम्पों के बारे में पहले से जानता था और इसीलिए इस बात से मुझे खुशी नहीं मिली. ऐसे उत्तर तो मैं अपने उच्चाधिकारियों और जनता को अपनी नौकरी के दौरान दिया करता था - ट्रांसफ़ार्मर ठीक करने में दो-गुने, तीन गुने आदमी लगे हुए हैं - जल्दी से जल्दी बिजली सप्लाई चालू कर दी जाएगी. मुझे समस्या का अहसास हो गया. मैंने असहज होते हुए कहा कि भाई, मैं नहा रहा था और बीच में ही पानी चला गया. मेरे बदन पर तो पूरा साबुन लगा हुआ है. मैं ऐसे कब तक रहूँगा? रात बीत रही है.

स्वागत कक्ष को मेरी विकट स्थिति का भान हुआ होगा लिहाजा वहाँ से कोई दर्जन भर मिनरल वॉटर की बोतलें भिजवा दी गईं. जैसे तैसे मैंने अपने बदन से साबुन छुड़ाया. भव्य स्नानागार मुँह चिढ़ा रहा था. मरफ़ी के कुछ बढ़िया नियमों का जन्म हो चुका था -

- भव्य स्नानागार के बारे में जब आप सोचते हैं कि सब कुछ भव्य है तो पता चलता है कि उसके शॉवर में तो पानी ही नहीं है!

- साबुन लगाने के बाद ही पता चलता है कि शॉवर में पानी आना बंद हो गया है.

- स्नानागार में साबुन लगाने से पहले अपने लिए पानी की एक बाल्टी भर रखें - और भव्य स्नानागार में दो बाल्टी.

**-**

COMMENTS

BLOGGER: 9
  1. अब पता चला मरफि के नियम कैसे जन्म लेते है.
    समझने में जितना सरल नियम होता है, वह उतनी ही मुश्किल परिस्थीतियों में बना होता है.

    जवाब दें हटाएं
  2. अब समय आ गया है जब आप इन्हें मरफी की जगह रवि के नियम कहने लगे और प्रयास कर इन्हें माध्यमिक शिक्षा पाठ्यक्रम में सम्मलित करवायें, बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिये बहुत उपयोगी सिद्ध होंगे.

    वाह, रवि भाई, बहुत सही नियम लाते/बनाते हैं, बधाई.

    जवाब दें हटाएं
  3. बेनामी12:03 pm

    रवि जी, आप भी शेम्पू लगाते हैं ?

    जवाब दें हटाएं
  4. हां, नितिन, जब शैम्पू मुफ़्त में मिलता है. वैसे भी, विज्ञापनों के अलावा, शैम्पू का बालों से कोई संबंध होता भी है?

    जवाब दें हटाएं
  5. बेनामी1:02 am

    Bhai sahib aab mujey pata chala ki meri hindi ka kitna band baj chuka hai. Likhna too door aapka blog theek sai padheney main bhi mujey jor aa raha hai. Shyad yeh theek say nahi likhey honey ki veje sey hai ya phir na janey kya.

    Kyunki roj hum jo newpaper padthey hai woh aur jo aap key blog ki hindi hai usmey kuch farak hai.
    Kya main sahi keh raha hun?
    Agar aisa hai to phir aisa kyun hai?

    Shailendra
    shailyji@gmail.com
    http://apnitally.blogspot.com

    जवाब दें हटाएं
  6. शैलेंद्र,

    आम अखबारी भाषा, आप जानते हैं कि बहुत सरल किस्म की होती है. आमतौर पर एक वाक्य में छः से आठ शब्द होते हैं और वाक्य बड़े होने पर उन्हें तोड़ कर दो या अधिक वाक्यों में लिखा जाता है.

    मैं इस चिट्ठे पर कोशिश करता हूँ कि कुछ साहित्यिक हिन्दी लिखूं.

    लगता है अब थोड़ी सरल हिन्दी लिखनी पड़ेगी.

    जवाब दें हटाएं
  7. बेनामी5:08 pm

    Ravi ji,
    I have been to your blog often and I admire you work but I still feel that your language is slightly tough and often Sanskritised words cause a stumbling block. This is my personal feeling because I feel the language that connects a person in Lucknow to that in Bhopal and Hyderabad is different from this Hindi. I have experienced this over and over again at your blog. Don't take it as criticism though.
    Madhu

    जवाब दें हटाएं
  8. मधु जी,

    धन्यवाद. आपकी व शैलेन्द्र की सलाह पर आगे से अवश्य ध्यान रखूंगा कि भाषा सरल रहे.

    जवाब दें हटाएं
  9. बेनामी5:48 pm

    शेम्पू वाली बात सही कही !!!

    वैसे मुझे शुद्ध हिन्दी पढने में कोई दिक्कत नही होती अतः मुझे आपके ब्लाग पर भी कभी परेशानी नही हुई, किन्तु मैने शैलेन्द्र जी और मधु जी की टिप्पणी पढ के इस पोस्ट को दोबारा पढा..और वाकई कुछ शब्द जो प्रयोग किये है..आजकल आम बोलचाल में लोग कम प्रयोग करते हैं यथा, स्नानागार/स्नान, भव्य, साप्ताहिक,आयोजक, उच्चधिकारी आदि.
    ये सब बहुत कठिन शब्द नही है, पर वाकई इनका प्रयोग हम अपनी आम बोलचाल में नही करते..शायद यही हिन्दी की वर्तमान स्थिति है...

    जवाब दें हटाएं
आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
कृपया ध्यान दें - स्पैम (वायरस, ट्रोजन व रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त)टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहां पर प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

तकनीकी ,1,अनूप शुक्ल,1,आलेख,6,आसपास की कहानियाँ,127,एलो,1,ऐलो,1,कहानी,1,गूगल,1,गूगल एल्लो,1,चोरी,4,छींटे और बौछारें,148,छींटें और बौछारें,341,जियो सिम,1,जुगलबंदी,49,तकनीक,56,तकनीकी,709,फ़िशिंग,1,मंजीत ठाकुर,1,मोबाइल,1,रिलायंस जियो,3,रेंसमवेयर,1,विंडोज रेस्क्यू,1,विविध,384,व्यंग्य,515,संस्मरण,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,स्पैम,10,स्प्लॉग,2,हास्य,2,हिंदी,5,हिन्दी,509,hindi,1,
ltr
item
छींटे और बौछारें: मरफ़ी के नए नए नियम कुछ ऐसे ही तो बनते हैं...
मरफ़ी के नए नए नियम कुछ ऐसे ही तो बनते हैं...
छींटे और बौछारें
https://raviratlami.blogspot.com/2006/11/blog-post_03.html
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/2006/11/blog-post_03.html
true
7370482
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content