. गंदे - मातरम् या गन - दे - मातरम् ? अर्जुन सिंह को गुमान नहीं रहा होगा कि उनके कार्यालय से निकला यह फरमान कि 7 सितम्बर को वंदेमातरम् गीत र...
गंदे - मातरम् या गन - दे - मातरम् ?
अर्जुन सिंह को गुमान नहीं रहा होगा कि उनके कार्यालय से निकला यह फरमान कि 7 सितम्बर को वंदेमातरम् गीत रचना के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में समस्त स्कूलों में इसे अनिवार्य रूप से गाया जाना उनके लिए इतनी मुसीबतें पैदा कर देगा.
वंदेमातरम् पर तमाम तरह की ओछी और गंदी राजनीति शुरू हो चुकी है और 7 सितम्बर के आते आते तो यह पता नहीं कहाँ तक जाएगी.
कवियों, रचनाकारों, स्तम्भ लेखकों, चिट्ठाकारों को भी वंदेमातरम् नाम का मसाला मिल गया है- अपनी रचनाधर्मिता को नए आयाम देने का.
हमारे मुहल्ले में भी गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. गणेशोत्सव के दौरान एक कविसम्मेलन का आयोजन भी किया गया. इस कवि सम्मेलन में श्री तुलसी राम शर्मा ने वंदेमातरम् पर अपनी ओजस्वी कविता सुनाई.
श्री तुलसी राम शर्मा 75 बरस के वृद्ध हैं, परंतु उनका कविता सुनाने का अंदाज 20 बरस के युवा जैसा होता है. इस कविता में उनका ओज देखते ही बनता है. आप भी देखें.
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(वीडियो क्वालिटी के लिए क्षमा चाहता हूँ, चूंकि मूल आकार की उच्च गुणवत्ता की फ़ाइल 45 मेबा से अधिक थी, जो अनावश्यक तथा डाउनलोड में भारी थी, अतः कम गुणवत्ता की इस 1.7 मेबा की फ़ाइल में रूपांतरित किया है.)
तो, आइए, सुर से सुर मिलाएँ - वंदेमातरम्!
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