. अश्लीलता का बढ़िया लाभांश : आखिर सर्कुलेशन का सवाल है भाई! लगता है कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया को डीएनए तथा हिन्दुस्तान टाइम्स से कड़ी टक्कर मिल ...
अश्लीलता का बढ़िया लाभांश : आखिर सर्कुलेशन का सवाल है भाई!
लगता है कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया को डीएनए तथा हिन्दुस्तान टाइम्स से कड़ी टक्कर मिल रही है लिहाजा वह अपने गिरते सर्कुलेशन को थामने की कोशिश में अश्लीलता का सहारा लेने लगा है.
वैसे भी अश्लीलता से बढ़िया लाभांश मिलता है - और खुद टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित एक खबर का शीर्षक भी यही कहता है!
उदाहरण स्वरूप, टाइम्स ऑफ इंडिया में पिछले कुछ दिनों में नियमित अंतराल से प्रकाशित इन चित्र युक्त खबरों की ओर गौर फ़रमाएँ -
टाइम्स लाइफ़ - रविवारीय परिशिष्ट में प्रकाशित सेक्स आदतों संबंधी एक आलेख के साथ का चित्र-
‘टिट्स एन क्लिट्स एन एलीफेंट डिक' नाम से मुम्बई के एक आर्ट गैलरी में लगी कला प्रदर्शनी के बारे में बताती खबर के साथ का चित्र-
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टाइम्स इंटरनेशनल पर नित्य प्रकाशित होने वाले चित्रों में से एक. प्रायः नित्य इसी तरह के मसालेदार चित्र प्रकाशित होते हैं-
मस्तराम जैसी सड़कछाप अश्लील किताबों के बारे में तथाकथित खोजपरक आलेख के साथ दिया गया चित्र-
अब आप कहेंगे कि इन चित्रों को दुबारा छाप कर रविरतलामी ने अपने ब्लॉग का सर्कुलेशन बढ़ाने का घटिया प्रयास किया है.
तो संभवतः आप सही कह रहे हैं.
कल इसी विषय पर विस्तृत बात करेंगे - कला जगत की - वहाँ श्लील और अश्लील के बीच की कोई सीमा है भी या नहीं?
हाए - क्या मस्त तसवीरें खींचलाए भाई - आपकी मेहनत को सलाम - इसका मतलब है कि भारती अखबार तरक्की कर रहे हैं
हटाएंशुऐब
You are right Ravi saab! I hate TOI as its is really disfugring the face of journalism.
हटाएंAnurag