tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post8410270125191466769..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: साक्षात्कार बनाम रचनाकाररवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-35323283962312390332008-12-04T11:11:00.000+05:302008-12-04T11:11:00.000+05:30अनूप जी, विष्णु जी,नई तकनॉलाज़ी बेहतर विकल्प प्रस्...अनूप जी, विष्णु जी,<BR/>नई तकनॉलाज़ी बेहतर विकल्प प्रस्तुत करती है. आने वाले समय में तमाम किताबें इलेक्ट्रॉनिक फ़ॉर्म में ही मिला करेंगी. ये काग़ज जैसे फोल्डेबल डिस्प्ले पर नेचुरल कागज जैसा दिखेंगी और इनमें हजारों लाखों किताबें डाउनलोड कर दिखाने की क्षमता होगी.<BR/><BR/>कल्पना कीजिए, कि आपके पास एक ऐसी जादुई किताब है, जिसमें जब जी चाहे, रामायण भी पढ़ लें और हैरी पॉटर भी! और, सुबह का समाचार पत्र भी.<BR/>याने कि - भविष्य ऑनलाइन का ही है. यह ग्रीन और इको फ्रेंडली भी है - टनों काग़ज की आवश्यकता नहीं रहेगी - वैसे भी जब वन नहीं रहेंगे तो कागज भी नहीं रहेगा तब ऑनलाइन विकल्प ही बचा रहेगा - लूज - लूज सिचुएशन?रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-46067185393180441302008-12-04T00:43:00.000+05:302008-12-04T00:43:00.000+05:30मुझे नहीं लगता कि आपका अनुमान सच साबित होगा । आपके...मुझे नहीं लगता कि आपका अनुमान सच साबित होगा । आपके दिए आंकडे और सूचनाएं निस्सन्देह सच हैं किन्तु मुद्रित शब्द के बिना जीवन शायद ही चल पाए ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-43132291284125524042008-12-01T07:16:00.000+05:302008-12-01T07:16:00.000+05:30अच्छी जानकारी लेकिन प्रिंट के तमाम विकल्प आनलाइन म...अच्छी जानकारी लेकिन प्रिंट के तमाम विकल्प आनलाइन में कभी न हो सकेंगे!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-4860570597705999622008-12-01T05:03:00.000+05:302008-12-01T05:03:00.000+05:30साक्षात्कार के लगभग दस अंक मेरे पास हैं, निश्चय ही...साक्षात्कार के लगभग दस अंक मेरे पास हैं, निश्चय ही यह पत्रिका उत्कृष्ट साहित्य का प्रकाशन करती है . ऐसी पत्रिकाओं का ऑनलाइन होना इनकी सेहत और साहित्य दोनों के लिए जरूरी है. <BR/>रचनाकार का महत्व असंदिग्ध है . रचनाकार के संचालन के लिए आभार .Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-13802788507203781212008-11-30T23:17:00.000+05:302008-11-30T23:17:00.000+05:30'साक्षात्कार' का कोई सानी नही।सहमत हूं कि निश्चित ...'साक्षात्कार' का कोई सानी नही।<BR/><BR/>सहमत हूं कि निश्चित तौर पर उदंती डॉट काम का उदय एक अच्छी बात है उपर से खास बात यह कि इस पत्रिका का प्रिंट वर्जन भी काफी आकर्षक है।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-20835651259578471072008-11-30T18:17:00.000+05:302008-11-30T18:17:00.000+05:30निश्चित तौर पर आनलाइन पत्रिका बहुत से नये ग्राहक ज...निश्चित तौर पर आनलाइन पत्रिका बहुत से नये ग्राहक जोडने में सफल होगी लेकिन नीम के पेड़ के नीचे बिजली के बगैर, पलंग पर लेट कर ये कैसे पढ़ी जा सकेगी?<BR/>नयी जानकारी के लिये धन्यवाद्Hamara Ratlamhttps://www.blogger.com/profile/02895238645153199038noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-68639257795980778282008-11-30T16:57:00.000+05:302008-11-30T16:57:00.000+05:30सार्थक और सामयीक जानकारी के लिए धन्यवाद!सार्थक और सामयीक जानकारी के लिए धन्यवाद!ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-32398955242887359802008-11-30T15:39:00.000+05:302008-11-30T15:39:00.000+05:30दादा,शायद ये बदलती तकनीक और लोगों की प्राथमिकता दे...दादा,शायद ये बदलती तकनीक और लोगों की प्राथमिकता देने के चलते हो रहा है यही परिवर्तन तो एक मात्र अपरिवर्तशील नियम है बाकी सब तो कहीं न कहीं अपवाद लिये होते हैं।डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)https://www.blogger.com/profile/13368132639758320994noreply@blogger.com