tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post7430819257037168387..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: करम करे तो फल की इच्छा क्यों न करे चिट्ठाकार?रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-49181385446437565342007-09-14T00:25:00.000+05:302007-09-14T00:25:00.000+05:30बहुत ही मुबारक कदम है. सरल और सहज काम हो जाता है....बहुत ही मुबारक कदम है. सरल और सहज काम हो जाता है. क्या यह नेट के सिवा कारगर है? हिन्दी को साधनों से सजाया जाने का उत्तम प्रयास है ये.<BR/>शुभकामनाओं सहित<BR/><BR/>देवी नागरानीDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-6657498228973120862007-09-13T18:18:00.000+05:302007-09-13T18:18:00.000+05:30"जब आप अपने अनवरत चिट्ठा-पोस्टों से अपने पाठकों का..."जब आप अपने अनवरत चिट्ठा-पोस्टों से अपने पाठकों का मनोरंजन करते हैं, उनके ज्ञान में वृद्धि करते हैं तो क्या उनका दायित्व नहीं बनता कि वे भी आपको कुछ वापस दें?"<BR/><BR/>दायित्व जरूर बनता है. हां पे पेल को आपने समय से पहले ही हटा दिया क्योंकि अभी कितने हिन्दी चिट्ठाकार हैं जिनके पास उसकी सद्स्यता है. आप उसे चिट्ठे पर लगाये रखते तो कल कम से कम पांच दस लोग पूछते कि यह क्या बला है. फिर वहा से चालू होता एक नया अध्याय!!<BR/><BR/> -- शास्त्री जे सी फिलिप<BR/><BR/><BR/><BR/>आज का विचार: चाहे अंग्रेजी की पुस्तकें माँगकर या किसी पुस्तकालय से लो , किन्तु यथासंभव हिन्दी की पुस्तकें खरीद कर पढ़ो । यह बात उन लोगों पर विशेष रूप से लागू होनी चाहिये जो कमाते हैं व विद्यार्थी नहीं हैं । क्योंकि लेखक लेखन तभी करेगा जब उसकी पुस्तकें बिकेंगी । और जो भी पुस्तक विक्रेता हिन्दी पुस्तकें नहीं रखते उनसे भी पूछो कि हिन्दी की पुस्तकें हैं क्या । यह नुस्खा मैंने बहुत कारगार होते देखा है । अपने छोटे से कस्बे में जब हम बार बार एक ही चीज की माँग करते रहते हैं तो वह थक हारकर वह चीज रखने लगता है । (घुघूती बासूती)Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-30913982913603535882007-09-13T18:05:00.000+05:302007-09-13T18:05:00.000+05:30अपन तो बहुत ही गम्भीरता से खुश हुए और आप ने कह दिय...अपन तो बहुत ही गम्भीरता से खुश हुए और आप ने कह दिया हँसी ठट्ठा कर रहा हूँ :( <BR/><BR/>सपनो पर पानी फेर दिया. :)Anonymousnoreply@blogger.com