tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post7238316056774945502..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: गूगल ने गूगल से कुछ कहा...रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-1261199685385231092007-07-23T04:54:00.000+05:302007-07-23T04:54:00.000+05:30वाह, रोचक जानकारी।वाह, रोचक जानकारी।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-86025610164618949982007-07-22T10:53:00.000+05:302007-07-22T10:53:00.000+05:30अनूप भाई,शुक्र है, आज आप खुश हुए :)अमित जी,हाँ, ये...अनूप भाई,<BR/>शुक्र है, आज आप खुश हुए :)<BR/><BR/>अमित जी,<BR/>हाँ, ये सच है. लोगों को पता ही नहीं होता है आमतौर पर कि कुकीज़ कहाँ और किस फ़ाइल में किस फोल्डर में होते हैं. तो एक ही सीधा रास्ता बचता है - हार्डडिस्क फ़ॉर्मेट करो यार!<BR/><BR/>परमजीत जी,<BR/><BR/>हाँ, और जो साइबर कैफ़े विंडोज 98 चलाते हैं, उनके पीसी में हर दूसरे दिन तक ढेरों वायरस आ जाते हैं - तो वे भी आमतौर पर यही करते हैं - हार्डडिस्क फ़ॉर्मेट. कारण ये भी है - छोटी जगहों में उतनी तकनीकी दक्षता वाले लोग नहीं होते आमतौर पर.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-83549044464658547272007-07-22T10:40:00.000+05:302007-07-22T10:40:00.000+05:30रवि जी,हमारे लिए तो एकदम नयी जानकारी है कि उनके पी...रवि जी,हमारे लिए तो एकदम नयी जानकारी है कि उनके पीसी को हर हफ्ते फार्मेट किय़ा जाता था। सच है धन की खातिर इन्सान क्या-क्या कर गुजरता है।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-53634634977476938802007-07-22T00:32:00.000+05:302007-07-22T00:32:00.000+05:30उनके पीसी को हर हफ़्ते फ़ॉर्मेट किया जाता था ताकि ...<I>उनके पीसी को हर हफ़्ते फ़ॉर्मेट किया जाता था ताकि कुकीज वगैरह से पहचान स्थापित दुबारा नहीं की जा सके. शायद तब आईपी पते से पहचानने की सुविधा नहीं जोड़ी गई रही हो.</I><BR/><BR/>कुकीज़ साफ़ करने के लिए पीसी फॉर्मेट करते थे??!!! लानत है!!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-49319665019182104662007-07-21T18:12:00.000+05:302007-07-21T18:12:00.000+05:30एक् समय हम कहा करते थे रतलामीजी के ब्लाग् में मसाल...एक् समय हम कहा करते थे रतलामीजी के ब्लाग् में मसाला विज्ञापनों के जंगल् में खोजना पड़ता है। आज् ऐसा नहीं हुआ।Anonymousnoreply@blogger.com