tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post6266124760232335315..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: आपके चिट्ठे अब बहुभाषीलिपि में!रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-44661855534736542622007-05-06T12:23:00.000+05:302007-05-06T12:23:00.000+05:30पीयूष जी,आपने बढ़िया औजार बनाया है इसके लिए बधाई व...पीयूष जी,<BR/>आपने बढ़िया औजार बनाया है इसके लिए बधाई व शुभकामनाएँ स्वीकारें.<BR/><BR/>मेरा कहना यह है कि आप कोई प्रॉक्सी सर्वर की कड़ी दें जैसा कि पीकेब्लॉग्स वाले देते हैं, जिसमें कि मैं अपने इस चिट्ठे को अंग्रेजी या गुजराती लिपि में पढ़ सकूं. <BR/><BR/>उदाहरण के लिए, <BR/>http://english.bhomio.com/raviratlami<BR/><BR/>या<BR/>http://bhomio.com/english/raviratlami<BR/><BR/>तो यह मेरे इस चिट्ठे को रोमन लिपि में दिखाने का यूआरएल हो. इसी तरह आप और भाषाओं के लिए भी कर सकते हैं. प्रॉक्सी सर्वर इसलिए कि फिर इसमें एकत्र डाटा गूगल के जरिए सर्च कर इस्तेमाल में भी लिया जा सके - यानी मेरी हिन्दी सामग्री को लोग रोमन में भी ढूंढ कर रोमन में पढ़ सकें!<BR/><BR/>उम्मीद है कुछ स्पष्ट हुआ होगा. नहीं तो अवश्य पूछें.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-87606531094829284332007-05-05T02:23:00.000+05:302007-05-05T02:23:00.000+05:30रविजी,ट्रान्सलीटरेशन वाली बात सबको बताने के लीए धन...रविजी,<BR/><BR/>ट्रान्सलीटरेशन वाली बात सबको बताने के लीए धन्यवाद. मैने आपका अंग्रजी ब्लोग पढा और वहा उत्तर दीया है. मेरे पास आपका इ-मेइल नहि है वरना व्यक्तिगत लिखता.<BR/><BR/>भोमियो मेरा सिर्फ शौक है. वो आप सबको उपयोगी है वो जानकर बहुत खुशी हुइ. आप सब को जो भी उसमे गलतिया दिखाये वो बताये मे उसे सुधारने के प्रयास जरुर करुंगा. मुश्कील इतनी ही है के मैं खुद हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती के सिवा और कोइ भाषा नहि जानता. वरना उनका ट्रान्सलीटरेशन भी सही होता. फीर भी आप जो प्रोक्सी सर्वर की बात कर रहे है वो जरा विस्तार से बतायये तो मै कुछ कर सकु. <BR/><BR/>-पीयुषAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-68817256134600607422007-04-30T05:55:00.000+05:302007-04-30T05:55:00.000+05:30रवी जी आप ने ठीक कहा। तमिल में लिपि में व्यंजन कम ...रवी जी आप ने ठीक कहा। तमिल में लिपि में व्यंजन कम और मलयालम में ज़्यादा हैं। जैसे रोमन हिंन्दी में blog लिखते तो मलयालम में सही आने केलिये blOg लिखना होगा। मलयालम में 53 letters हैं। तमिल में कम हैं। जैसे roman hindi हैं वैसे मलयालम में manglish हैं। इन दोनों मे भी अंतर हैं। बारिष को मलयालम में mazha लिखते हैं और वह हिन्दी में नहीं आयेगा। <BR/>चन्द्रशेखरन नायरkeralafarmerhttps://www.blogger.com/profile/08708028903823266280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-55442113046524702422007-04-30T05:51:00.000+05:302007-04-30T05:51:00.000+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.keralafarmerhttps://www.blogger.com/profile/08708028903823266280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-69982720994303202442007-04-29T12:22:00.000+05:302007-04-29T12:22:00.000+05:30Keralafarmer जी,स्वचालित मशीनी प्रयासों में अकसर ऐ...Keralafarmer जी,<BR/>स्वचालित मशीनी प्रयासों में अकसर ऐसी गलतियाँ तो अवश्यंभावी हैं ही. उम्मीद है आगे के संस्करणों में इन्हें दूर कर लिया जाएगा.<BR/><BR/>फिर भी, आप इसका विस्तृत विवरण दे सकते हैं कि किस तरह की समस्या आई?<BR/><BR/>जैसे कि हिन्दी से अंग्रेज़ी तथा गुजराती लिपि में परिवर्तित होने पर तो ग़लतियाँ कम दिखाई दे रही हैं. संभवतः तमिल लिपि में व्यंजन कम होने के कारण ऐसा हो सकता है?रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-42024200116859997152007-04-28T19:46:00.000+05:302007-04-28T19:46:00.000+05:30भाषा ज़रूर बदल जाता हैं। लेकिन कुच्छ कमियाँ रह गया...भाषा ज़रूर बदल जाता हैं। लेकिन कुच्छ कमियाँ रह गया। लिपियों सब सही नहीं आरहा हैं।keralafarmerhttps://www.blogger.com/profile/08708028903823266280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-4345057912751383872007-04-28T14:39:00.000+05:302007-04-28T14:39:00.000+05:30लगभग ऐसी ही एक सेवा आपको यहाँ देखने को मिल सकती है...लगभग ऐसी ही एक सेवा आपको <A HREF="http://uni.medhas.org/girgit.php5" REL="nofollow">यहाँ देखने</A> को मिल सकती हैं।<BR/>इसका मूल आलोक कुमार द्वारा निर्मित <A HREF="http://devanaagarii.net/hi/girgit/" REL="nofollow">गिरगिट सुविधा </A>से जुडा हुवा हैं। <BR/>ट्रान्स्लीटरेशन का यह काम आटोमेटिक हो जाए इसलिये पद्मा जैसा एक्स्टिंशन लिखने की कोशिश कर रहा हूँ।<BR/>किसी का सहयोग मिला तो जल्द ही काम पूरा हो जाएगा...shantanuhttps://www.blogger.com/profile/04386423685935921709noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-44037170730974028812007-04-27T22:09:00.000+05:302007-04-27T22:09:00.000+05:30वाह रवि जी क्या काम की चीज बताई है । अब मुझे बार ब...वाह रवि जी क्या काम की चीज बताई है । अब मुझे बार बार एक ही पोस्ट रोमन और हिंदी दोनों में टाइप नहीं करनी पड़ेगी । जैसा यूनुस भाई ने बताया मेरे भी कई दोस्त देवनागरी में चिट्ठा पढ़ने में तकलीफ महसूस करते हैं और चूंकि वे सब अहिंदीभाषी प्रदेश से आते हैं इसलिए मुझे भी उन्हें force करना अच्छा नहीं लगता ।<BR/><BR/>एक बार फिर बहुत बहुत शुक्रिया ! अब देखना ये है कि ऐसा कब होगा जब एक भाषा में लिखें और दूसरी भाषा में उसका अनुवाद हो जाए तब हम सभी सिर्फ चिट्ठाकार रह जाएँगे..भाषा की दीवारों से कहीं ऊपर..............Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-69189926673895152632007-04-27T21:05:00.000+05:302007-04-27T21:05:00.000+05:30रवी जी आप ने एक अच्छी जानकारी दी हमें। मैं ने इसी ...रवी जी आप ने एक अच्छी जानकारी दी हमें। मैं ने इसी बात लेकर एक मलयालम <B><A HREF="http://chandrasekharannair.wordpress.com/2007/04/27/literation/" REL="nofollow">ब्लोग पोस्ट</A></B> डाला।keralafarmerhttps://www.blogger.com/profile/08708028903823266280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-65077781272010280832007-04-27T18:19:00.000+05:302007-04-27T18:19:00.000+05:30वाह ये तो धांसू औजार है भाई! मजा आ गया।वाह ये तो धांसू औजार है भाई! मजा आ गया।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-9714329181136962372007-04-27T14:10:00.000+05:302007-04-27T14:10:00.000+05:30तव चरणौ प्रणमाम:। बलिहारी गुरुदेव की जो भोमियो दिय...तव चरणौ प्रणमाम:। <BR/>बलिहारी गुरुदेव की जो भोमियो दियो बताय।<BR/>आज ही जगदीशजी भाटिया का पंजाबी ब्लॉग (http://punjabi1.wordpress.com/) देवनागरी में पढ़ कर देख लिया है।<BR/>ये तो बहुत ही काम की चीज है। आप इस बारे में भी कुछ बताएँ कि क्या लोग अपने चिट्ठों पर इसकी जानकारी दे सकते हैं और किस प्रकार दे सकते हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-26001800959840679642007-04-27T13:50:00.000+05:302007-04-27T13:50:00.000+05:30बहुतई काम की बात बताई आपने।बहुतई काम की बात बताई आपने।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-13983978932166350092007-04-27T13:48:00.000+05:302007-04-27T13:48:00.000+05:30हमेशा की तरह एक उम्दा पोस्ट...और ज्ञानवर्धक भी..वर...हमेशा की तरह एक उम्दा पोस्ट...और ज्ञानवर्धक भी..वरना हम लोग तो इंटरनेट पर ऐसे ही घूमते रहते हैं, कचरा बीनते हुए...आप जैसे लोगों का साथ ना हो तो हम अज्ञानी ही बने रहें हमेशा...एक बार फ़िर साधुवाद..Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-78734627860026357112007-04-27T13:44:00.000+05:302007-04-27T13:44:00.000+05:30रवि भाई जब मैं आपको गुरू कहता हूं तो आप असहज होने ...रवि भाई जब मैं आपको गुरू कहता हूं तो आप असहज होने लगते हैं । अब बताईये आप जैसे लोग गुरू लोग हैं या नहीं । इतनी अद्भुत सामग्री देने के लिए हृदय से धन्यवाद । <BR/>इसे आज़माना होगा क्योंकि मैंने हाल ही में जब अपना चिट्ठा शुरू किया तो मुंबई के नई पीढ़ी के कुछ मित्रों ने समस्या जताई कि उन्हें देवनागरी लिपि पढ़ने में अपार कष्ट है, परेशानी पैदा हो गयी । क्या करूं । फिल्हाल तो इसी चिट्ठे को संभालना है । आपने रोशनी की किरण दिखाई है । धन्यवाद गुरू ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-63244901210276003092007-04-27T13:35:00.000+05:302007-04-27T13:35:00.000+05:30आपके चिट्ठे पर आने का अर्थ होता है अधिक समृद्ध और ...आपके चिट्ठे पर आने का अर्थ होता है अधिक समृद्ध और सम्पन्न होकर लौटना .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-58658444883327138952007-04-27T13:09:00.000+05:302007-04-27T13:09:00.000+05:30(Ye Tippani mein jaanboojh kar Roman mein kar raha...(Ye Tippani mein jaanboojh kar Roman mein kar raha hoon.)<BR/><BR/>Achhi jaankaari dee aapne. Ravi Bhai, is par agar ek lekh, vistrit roop se likh sako (with images) to bahut bhala ho jaaye. Mere paas MeraPanna ke archives hain, lagbhag 700 se upar ke lekh. Publish kar dete hain wahan par. Aur haan, Is baar adsense ke saath...hehe (offcouse all receipt will be donated to Akshargram Projects)<BR/><BR/>ek Achha lekh, lage raho guruji.Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-27218986442933590822007-04-27T13:03:00.000+05:302007-04-27T13:03:00.000+05:30रवि जी बड़े काम की बात बतायी आपने, हमारे बहुत से मि...रवि जी बड़े काम की बात बतायी आपने, हमारे बहुत से मित्र दक्षिण भारत के हैं जो हिन्दी बोल और समझ तो लेते हैं लेकिन लिख पढ़ नही सकते। अब वे भी मेरे (हमारे) ब्लॉग पढ़ सकेंगे [जब कभी हम लिखेंगे :)]।<BR/>ऐसी महत्त्वपूर्ण जानकारी के लिये बहुत भहुत धन्यवाद।RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.com