tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post5148599507975287631..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: हिन्दी के अगले सूर और तुलसी ब्लॉगिंग के जरिए ही पैदा होंगे….रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-25211693785248890612010-04-22T17:49:57.523+05:302010-04-22T17:49:57.523+05:30बिल्कुल सही ........बिल्कुल सही ........सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-52189526820368106172010-04-22T11:58:50.274+05:302010-04-22T11:58:50.274+05:30@राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ -
लगता है आपने मेरी बिम्बो...@राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ -<br />लगता है आपने मेरी बिम्बो में कही बात को सीधे अर्थों में ले लिया. मेरा कहना है कि उन जैसे वजन के रचनाकार ब्लॉगों के जरिए ही पैदा होंगे - जैसा कि नामवर सिंह ने ब्लॉग माध्यम की संभावना को देखते हुए कहा था - पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं - तो मेरा ये मानना है, और मैं ऐसे ढेरों प्रतिभा सम्पन्न रचनाकारों और एकदम विशिष्ट - बोल्ड एंड ब्यूटीफ़ुल लेखन शैली हिन्दी ब्लॉगों में देख रहा हूँ - जो मेरे इस विचार को और भी संबल प्रदान करते हैं!रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-83490381778074563332010-04-22T09:49:13.302+05:302010-04-22T09:49:13.302+05:30सत्य वचन !सत्य वचन !अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-61682514975528743822010-04-22T08:53:31.834+05:302010-04-22T08:53:31.834+05:30यह कल्पना अत्यंत हास्यापद ही है कि..
,,हिन्दी म...यह कल्पना अत्यंत हास्यापद ही है कि..<br />,,हिन्दी में सूर तुलसी..आप देखिये कि लगभग<br />पाँच सौ सालों में कोई कबीर हुआ .दूसरा<br />वाल्मीक ..तुलसी हुआ ..जाहिर है कि नहीं<br />दरसल ये अपनी प्रतिभा से नहीं हुये बल्कि<br />निमित्त मात्र थे..आप क्या प्रायः प्रत्येक ही<br />धर्म का स्थूल अध्ययन करते हैं और इसी लिये<br />धर्म में भ्रांतियों की भरमार है..किसी बङी बात<br />पर समीक्षा करने से पूर्व हमें यह आत्मवलोकन<br />अवश्य करना चाहिये कि हम जो कह रहे है उसकी<br />कोई ठोस वजह भी है या नहींmukta mandlahttps://www.blogger.com/profile/15157348406429932150noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-79045591228017097212010-04-22T04:47:48.242+05:302010-04-22T04:47:48.242+05:30पढ़ आये. :)पढ़ आये. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com