tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post115937882193573533..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: ये मरफ़ी महोदय कौन हैं?रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-1159437996764683082006-09-28T15:36:00.000+05:302006-09-28T15:36:00.000+05:30मरफ़ियाना कैफ़ियत से देखते तो संजय भाई उक्त तबादला...मरफ़ियाना कैफ़ियत से देखते तो संजय भाई उक्त तबादला ए ख़्याल ना करते.. ही ही. क्योंकि मरफ़ी की आत्मा रवि जी के शरीर में प्रवेश करे महीने हो चुके हैं. अब तो जो रवि जी का ख़्याल होगा वो भी मरफ़ी के खाते में जाएगा. वाह उस्ताद वाह मरफ़ीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-1159420481782261722006-09-28T10:44:00.000+05:302006-09-28T10:44:00.000+05:30हां, संजय, सही कहा आपने.मरफ़ियाना खयालात हों, बस. ...हां, संजय, सही कहा आपने.<BR/><BR/>मरफ़ियाना खयालात हों, बस. वे ही मरफ़ी के नियम बन जाते हैं. परंतु वे चाहे जितने अजीब हों, जीवन के सत्य के बहुत करीब होते हैं. :)रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-1159420312571952282006-09-28T10:41:00.000+05:302006-09-28T10:41:00.000+05:30यानी जितने नियम मर्फि के नियम के नाम से हम पढ़ रहे ...यानी जितने नियम मर्फि के नियम के नाम से हम पढ़ रहे हैं वे जरूरी नहीं की मर्फि मोहदय ने खोजे हो. <BR/>इन्हे खोजने वाले हममे से ही कोई हो सकता हैं बस नियमो का प्रकार मर्फि होता हैं. <BR/>या फिर मर्फि के नियम तभी मर्फि के नियम हो सक्ते हैं जब वे मर्फि प्रकार के हो.Anonymousnoreply@blogger.com