tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post111001796742776001..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: हर शख्स को अब ग़ज़ल कहना होगारवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-63637973871859273842011-11-17T19:49:21.545+05:302011-11-17T19:49:21.545+05:30बातें सही तो हैं लेकिन एक बार देखा जाय कि जब गजलों...बातें सही तो हैं लेकिन एक बार देखा जाय कि जब गजलों को गाएँ तो लय-सुर-ताल सब बेहाल होने लगते हैं कि नहीं। गजल में जो बातें हैं, वे बहुत आवश्यक, सुन्दर और गम्भीर हो सकती हैं लेकिन छंदबद्ध रचना में लय तो होना चाहिए।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.com