tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post110570111159292461..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: चक्कर चाय कारवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-1106866778283335032005-01-28T04:29:00.000+05:302005-01-28T04:29:00.000+05:30सही है गुरू ... पुराने दिनों की याद ताज़ा हो गई .....सही है गुरू ... पुराने दिनों की याद ताज़ा हो गई ... पूरे दिन चाय और पान के दौर , घूमना फिरना , दुनिया भर की लफ़्फ़ाज़ी और बकचोदी .. ऐसे गुजरते थे मेरे दिन ..<br /><br />वैसे देखा जाय तो चाय कभी भी खराब या बेमौका नहीं होती है.. चाय आती है तो अपने आप बातचीत का माहौल बन जाता हैRamanhttps://www.blogger.com/profile/09481877734095247091noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-1105725810178397022005-01-14T23:33:00.000+05:302005-01-14T23:33:00.000+05:30मान्यवर रवि जी,
आपकी चाय गाथा बखान के लिए साध...मान्यवर रवि जी,<br /><br /> आपकी चाय गाथा बखान के लिए साधुवाद | <br /> यहाँ नाइजीरीया में बैठे आपका चिट्ठा पढ़ते और डिप डिप कर बनी चाय पीते, अपनी दिल्ली और इन्दौर की, स्टेशन से लेकर नुक्कड की दुकान तक की, होटल से लेकर घर में बनी किस्म किस्म की चाय की, कुल्लड से लेकर कप और ग्लास की, हर स्वाद, रंग, सुगन्ध की, घासलेट के स्टोव से लेकर एयरपोर्ट पर लगी मशीन से बनी, या यह कहें की हर किस्म की चाय का स्वाद दिला डाला |<br /> <br />जितेन्र्द शर्मा, नाइजीरीया<br />http://jiten99.blogspot.comJitendrahttps://www.blogger.com/profile/10981152801900282178noreply@blogger.com