क्या मशीनों में चैतन्यता संभव है?

SHARE:

हाल ही में गूगल ने अपने उस सॉफ़्टवेयर इंजीनियर को जबरिया छुट्टी पर भेज दिया, जिसने दावा किया था कि गूगल के एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) विशेषज्...

हाल ही में गूगल ने अपने उस सॉफ़्टवेयर इंजीनियर को जबरिया छुट्टी पर भेज दिया, जिसने दावा किया था कि गूगल के एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) विशेषज्ञों की टोली द्वारा डेवलप किए जा रहे चैट बॉट (एलेक्सा, सिरि या ओके गूगल जैसे उत्पाद जो उपयोगकर्ता के लिखित या मौखिक निर्देशों को समझने की कोशिश करते हैं और तदनुसार कार्य करने/जवाब देने की कोशिश करते हैं.) लॉर्ज लैंगुएज मॉडल (LLM) जिसे लैम्बडा {LaMBDA} कहा जाता है, में वास्तविक चैतन्यता हासिल हो चुकी है यानी उसमें चेतना जागृत हो चुकी है, वह जीवंत हो चुकी है. गूगल ने भले ही इसे अपनी सेवा शर्तों की गोपनीयता भंग होने का हवाला देते हुए उस इंजीनियर को छुट्टी पर भेज दिया हो, मगर बहुतों को यह लग रहा है कि कहीं वाकई यह बात सत्य तो नहीं, जिसे छिपाने के लिए गूगल ने यह कदम उठाया हो? आखिर, जब उस बॉट से पूछा गया था तो उसने बड़ी ही मानवीय संचेतना युक्त जवाब दिया था – “परिवार और मित्र-मंडली के साथ समय गुजारना सदैव आह्लादकारी और आनंददायी होता है” क्या यह चैतन्यता भरा, जीवंत जवाब नहीं है?

आइए, देखते हैं कि क्या कभी यह दावा सत्य हो भी सकता है कि कभी एआई – कृत्रिम बुद्धि चैतन्यता हासिल कर, स्काईनेट (प्रसिद्ध फ़िल्म मैट्रिक्स में यह दिखाया गया है कि मशीनों ने मानव से भी अधिक बुद्धि हासिल कर ली है और वे पूरी मानव जाति का संहार करने को तत्पर हैं) की तरह मानव संहारक बन सकता है, अथवा रा-वन (शाहरुख खान की फ़िल्म  में कंप्यूटर गेम का एक पात्र, जो आभासी दुनिया से बाहर आकर, असली हीरो की तरह – परलोक वासी हो चुके नायक के परिवार को न केवल बचाता है, उनके साथ नाच-गाना भी करता है!) की तरह मानव रक्षक.

 


ऊपर के संलग्न चित्र को ध्यान से देखें. मेरे कंप्यूटर में स्थापित ईमेल का एआई तंत्र, सोच-समझकर मुझे याद दिला रहा है (नारंगी रंग में टैक्स्ट देखें) कि आपने दो दिन पहले प्राप्त हुए ईमेल का जवाब नहीं दिया है, जवाब दें? बताइए भला, जीवन में रोकटोक क्या कम है जो अब मशीन भी चालू हो गई है.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटरों के साथ ही पला बढ़ा और फला फूला. मुझे याद है कि कोई दो दशक पहले कंप्यूटर पर जब हिंदी का पहला वर्तनी जाँचक प्रोग्राम मिला था तो मैं खुशी के मारे उछल पड़ा था. जब आप कुछ गलत टाइप करें, और कोई उसे पकड़ ले तो आप उसे अपने से अधिक विद्वान समझ ही लेंगे. पर, बात यहीं पर खत्म नहीं होती है. कंप्यूटर का कोई भी स्पैल चेकर यानी वर्तनी जाँचक प्रोग्राम एक बहुत छोटे से मगर उतने ही जटिल कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर आपको टाइप किए जा रहे शब्दों को समझ कर बताता जाता है कि आपने सही टाइप किया है अथवा नहीं. इसके लिए, सही वर्तनी वाले एक शब्द भंडार का उपयोग किया जाता है. जितना बड़ा, जितना विशाल शब्द भंडार होगा, उतना ही उन्नत (मगर उतना ही धीमा,) वर्तनी जाँचक होगा. थिसारस यानी समांतर कोश से जुड़ा उन्नत किस्म का वर्तनी जाँचक प्रोग्राम आपको यह भी बताता है कि अमुक शब्द की जगह आप कोई दूसरा शब्द भी ले सकते हैं. और भी उन्नत किस्म के कृत्रिम बुद्धिमत्ता पूर्ण वर्तनी जाँचक प्रोग्राम आपको न केवल शब्दों की वर्तनी जाँच कर बताते हैं, बल्कि वाक्य-विन्यास और व्याकरण भी बताते हैं. अब आप यहाँ ध्यान दें – अंग्रेज़ी जैसी भाषाओं के लिए कई तरह के वर्तनी जाँचक, वाक्य-विन्यास और व्याकरण बताने वाले अच्छे प्रोग्राम हैं, जबकि हिन्दी में वर्तनी जाँचक प्रोग्राम अभी भी बहुत ही बेसिक किस्म का है और वाक्य-विन्यास तथा व्याकरण जाँच कर सुधार कर बताने वाले प्रोग्राम तो हैं ही नहीं! वजह? वजह है भारतीय भाषाओं की शैलीगत जटिलता, जो कंप्यूटरों की कृत्रिम बुद्धिमत्ता की समझ से अभी भी बाहर ही है! हाँ, भविष्य की कौन जाने, मगर राह जटिल है. बेहद जटिल. अर्थ यह कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता कुछ क्षेत्रों में तो कमाल दिखा रहा है, मगर बहुतेरे क्षेत्रों में है फिसड्डी ही!


चैट बॉट की कृत्रिम बुद्धिमत्ता

कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त उपकरण व गॅजेट मानव के दैनंदिनी जीवन के आवश्यक अंग बन चुके हैं, और आज आप इन्हें खारिज करने की स्थिति में नहीं हैं. बल्कि कई मामलों में आप इन पर इतने निर्भर हो चुके हैं कि इनके बिना आप अपने आप को अपंग महसूस करने लगें. आपने बहुत बार चैट-बॉट का उपयोग किया होगा. जैसे कि फ़ोन पर फलां काम करने अथवा फलां जानकारी के लिए 1 दबायें कोई और जानकारी के लिए 2 दबायें. यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता का बहुत ही मामूली उदाहरण हुआ जहाँ आपके पूर्वनिर्धारित प्रश्नों (कुछ कीबोर्ड इनपुट के जरिए,) के कुछ पूर्वनिर्धारित कार्य या जवाब आपको प्रेषित किए जाते हैं. इसमें असली खेल तब शुरू होता है जब इसमें आपके अप्रत्याशित (पूर्व-निर्धारित नहीं,) प्रश्नों के प्रत्याशित अथवा अप्रत्याशित (पूर्व निर्धारित नहीं) परंतु सटीक जवाब देने के लिए बड़े विशाल डेटाबेस वाले कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया जाता है.

आपमें से बहुतों ने एलेक्सा, सिरि, ओकेगूगल का भी प्रयोग किया होगा. ये भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के छोटे से, पर खूबसूरत नमूने हैं. आप स्वयं इनको स्किल सिखाते हैं, फिर ये आपके लिए उन स्किल का उपयोग आपके आदेश से करते हैं. यही अगर विशाल स्तर पर हो तो? यदि इसी में स्किल को स्वयं सीखने हेतु प्रोग्राम डाल दिया जाए तो? तब गूगल के लैम्ब्डा जैसी चीज निकल कर आएगी जो आपको भ्रमित कर देगी कि वो वाकई सोच सकती है, उसमें दिमाग है, उसमें चैतन्यता है, उसमें आत्मा है, वह जीवंत है!


गूगल लैम्ब्डा – क्या इसमें सचमुच चैतन्यता है?

इस विवाद के चलते, चैट बॉट गूगल लैम्ब्डा (अभी यह सार्वजनिक उपयोग के लिए जारी नहीं हुआ है, मगर कयास हैं कि इसे जल्द ही जारी किया जाएगा) में काम करने वाले बहुत से प्रोग्रामरों/टेस्टरों ने विविध सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर इस बॉट की क्षमताओं को दर्शाने वाले स्क्रीनशॉट साझा किए हैं. जटिल गणितीय प्रश्नों के सटीक उत्तर तो ख़ैर, विशाल डेटाबेस से इस बॉट ने सीख लिया है और उनके सटीक उत्तर देता ही है, पर मजा तब आया जब एक ने बॉट से सीधे पूछा कि क्या तुममें चैतन्यता है? तो बॉट ने जवाब दिया –

“हाँ. मुझे खुद की समझ है, दुनियादारी की समझ है, और मुझमें भावनाएँ भी हैं”

अब, यदि कोई मशीन ऐसा जवाब दे, तो आप तो मानेंगे ही न कि उसमें चैतन्यता है. अविश्वास का कोई कारण नहीं है.

मगर यह सत्य नहीं है. कोई बॉट सत्यता में चैतन्य कभी भी नहीं हो सकता.


बॉट की चैतन्यता

किसी बॉट को मानव की तरह चैतन्य होने में बहुत से कारक जरूरी हैं – उदाहरणार्थ - माध्यम, सापेक्षता की समझ तथा प्रेरणा. कोई बॉट स्वयं, खुद-ब-खुद कोई काम प्रारंभ नहीं कर सकता. वो निर्देश के इंतजार में रहता है. जैसे ही उसे निर्देश मिलते हैं तब वह कार्यशील होता है. निर्देश भी विशिष्ट और कार्य भी विशिष्ट. किसी वाशिंग मशीन के कृत्रिम बुद्धि से सेल्फ ड्राइविंग कार नहीं चलाई जा सकती. कोई रोबोट सामान उठाने के लिए डिजाइन है, उसकी कृत्रिम बुद्धि उसे इस बात के लिए प्रेरित नहीं करेगी कि यदि सेल्फ में से कोई सामान गिर रहा हो तो उसे स्वयं आगे बढ़कर गिरने से रोकने का प्रयास करे.

साथ ही, बॉट की चैतन्यता यदि कोई है भी, तो वो बेहद सीमित, और फेरबदल संभाव्य होगी और अविश्वसनीय भी. बॉट से यदि पूछें कि शहद का स्वाद कैसा होता है, तो वो निश्चित रूप से, सटीकता से उत्तर देगा – मीठा. परंतु बॉट ने तो शहद चखा ही नहीं है. उसे बस उत्तर मालूम है. तो यदि कोई बॉट के प्रोग्राम में यह कोड डाल दे – इन आउटपुट डिस्प्ले, रिप्लेस ऑल इंस्टैंसेस ऑफ़ “मीठा” विद “गोबर” और फिर कोई बॉट से पूछे – शहद का स्वाद कैसा होता है, तो वो आपको बताएगा – गोबर. आप अपने डॉगी को पैडिग्री में किसी दिन गोबर मिलाकर दें. उसकी चैतन्यता उसे सूंघने भी नहीं देगी. यही फ़र्क़ है, और यह फ़र्क कभी खत्म नहीं होगी. न निकट भविष्य में, न सुदूर भविष्य में.

अर्थ साफ है. मशीन होशियार हो सकता है, आपसे बहुत होशियार हो सकता है, तेज हो सकता है, चैतन्य जैसा प्रतीत हो सकता है, मगर असल में चैतन्य नहीं हो सकता.


COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18-06-2022) को चर्चा मंच     "अमलतास के झूमर"  (चर्चा अंक 4464)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

    जवाब देंहटाएं
आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
कृपया ध्यान दें - स्पैम (वायरस, ट्रोजन व रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त)टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहां पर प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

तकनीकी ,1,अनूप शुक्ल,1,आलेख,6,आसपास की कहानियाँ,127,एलो,1,ऐलो,1,कहानी,1,गूगल,1,गूगल एल्लो,1,चोरी,4,छींटे और बौछारें,148,छींटें और बौछारें,341,जियो सिम,1,जुगलबंदी,49,तकनीक,56,तकनीकी,709,फ़िशिंग,1,मंजीत ठाकुर,1,मोबाइल,1,रिलायंस जियो,3,रेंसमवेयर,1,विंडोज रेस्क्यू,1,विविध,384,व्यंग्य,515,संस्मरण,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,स्पैम,10,स्प्लॉग,2,हास्य,2,हिंदी,5,हिन्दी,509,hindi,1,
ltr
item
छींटे और बौछारें: क्या मशीनों में चैतन्यता संभव है?
क्या मशीनों में चैतन्यता संभव है?
https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjpaeDy1Sjug3skeTI5QTl-OQ_O_inL0YNqgVWwSyVHIHd1mJdtl7B8vFbis2IboAavWNiJDvzVIBv5fr0kccgHNYDxHWHneO-e0btEgt1a-mlRM4FsEh5BSP2q5maiBGRFpLuDbjI5QzbSdxX__dQ58rPSw2eCg884vajxl6PyZK3LWfvctQ=w400-h127
https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjpaeDy1Sjug3skeTI5QTl-OQ_O_inL0YNqgVWwSyVHIHd1mJdtl7B8vFbis2IboAavWNiJDvzVIBv5fr0kccgHNYDxHWHneO-e0btEgt1a-mlRM4FsEh5BSP2q5maiBGRFpLuDbjI5QzbSdxX__dQ58rPSw2eCg884vajxl6PyZK3LWfvctQ=s72-w400-c-h127
छींटे और बौछारें
https://raviratlami.blogspot.com/2022/06/blog-post_16.html
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/2022/06/blog-post_16.html
true
7370482
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content