आ ह, सच कहा है. सुंदरता तो, देखने वाले की आँखों में बसती है. और ग्लैमर? आज का ग्लैमर तो अधिकांश खच्चरिया ही होता है. ज्ञानदत्त जी को खच्चर म...
आह, सच कहा है. सुंदरता तो, देखने वाले की आँखों में बसती है. और ग्लैमर? आज का ग्लैमर तो अधिकांश खच्चरिया ही होता है. ज्ञानदत्त जी को खच्चर में ग्लैमर भले ही दिखाई न दिए हों, मगर यहाँ देखिए – एक से एक ग्लैमरस खच्चर. खच्चर एक रूप अनेक. बस थोड़ा सा रंग रोगन की जरूरत है और ग्लैमर हाजिर.
(कलाकार की खच्चरिया कूंची?)
(चिक में से झांकती हसीना?)
(ग्लैमरस प्रतिबिम्ब?)
(बर्निंग सेंशेसन…)
और.. अंत में -
(पिन अप सुंदरी?)
अब तो आप मानेंगे कि वास्तविक ग्लैमर कम्प्यूटर प्रोग्रामों के जरिए ही मिलता है? आप भी अपने दीगर चित्रों में निजी प्रयोग के लिए फ्री-फोकट में उपलब्ध प्रोग्राम फ़ोटोफ़िल्टर के फिल्टर औजारों के जरिए ऐसे ही ग्लैमरस प्रभाव डाल सकते हैं.
अभिभूत हुआ! सही में आपमें एक कलाकार कर्मयोगी का दिल है।
जवाब देंहटाएंज्ञान जी के खच्चर को ग्लेमर प्रदान करने के लिए धन्यवाद! और तरकीब बताने के लिए भी कि वे खुद उसे ग्लेमर प्रदान कर सकें।
जवाब देंहटाएंआज का दिन तो खच्चर के लिए बड़ा ही शुभ निकला....पता नहीं किसका मुंह देखकर उठा होगा....सभी उसपर मेहरबान हैं..
जवाब देंहटाएंGayan dutt ji ka pehla comment apekshit hi tha..
जवाब देंहटाएंhahaha :)
बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंवाह ये खच्चर तो वाकई बड़ा ही ग्लैमरस है...
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