tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post7660479542542349377..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: कंटेंट इज द किंग बनाम आंकड़ों की बाजीगरीरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-91424097968057226092008-05-20T17:55:00.000+05:302008-05-20T17:55:00.000+05:30आज की गति के हिसाब से सन २०१६ में मिलते हैं १००० प...आज की गति के हिसाब से सन २०१६ में मिलते हैं १००० पोस्ट पूरी करके. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-84988985129331690842008-05-20T17:29:00.000+05:302008-05-20T17:29:00.000+05:30विश्लेषण अच्छा रहाविश्लेषण अच्छा रहाआशीष कुमार 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/12024916196334773939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-17670700821250526682008-05-20T13:33:00.000+05:302008-05-20T13:33:00.000+05:30ह्म्म, क्या कहा जाए।कंटेंट का लोचा बड़ा लोचा है।रचन...ह्म्म, क्या कहा जाए।<BR/>कंटेंट का लोचा बड़ा लोचा है।<BR/>रचनाकार की तो बात ही अलग है, मैं खुद अक्सर इसके पिछले पन्ने खंगालता रहता हूंSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-27984530167130017452008-05-20T11:22:00.000+05:302008-05-20T11:22:00.000+05:30विश्लेषण अच्छा रहा. सामग्री की प्रचुरता वाली बात स...विश्लेषण अच्छा रहा. सामग्री की प्रचुरता वाली बात सही है. पहले मेरे जैसे का लिखा पढ़ने मुश्किल से पचास लोग आते थे, अभी जब मैं नहीं लिखता तब भी पचास से ज्यादा लोग दैनिक आते है...यानी ज्यादा से ज्यादा लिखा हुआ होना चाहिए...संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-88538712872241652832008-05-20T11:02:00.000+05:302008-05-20T11:02:00.000+05:30दो आँकड़े मुख्यतः सामने आते हैं - आपके स्थल पर पहु...दो आँकड़े मुख्यतः सामने आते हैं - <BR/>आपके स्थल पर पहुँचे लोगों की संख्या<BR/>फ़ीड के जरिए पढ़ने वाले लोगों की संख्या<BR/><BR/>अगर आप विज्ञापन केन्द्रित विश्लेषण कर रहे हैं तो फ़ीड के जरिए पढ़ने वाले पढ़ने वालों का कोई मायने नहीं है। मायने रखता है तो यही कि आपके अपने पन्ने पर कितने लोग आए।<BR/><BR/>उसमें भी, खोज के जरिए पहुँचे लोग ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वही लोग विज्ञापनों पर अधिक चटके लगाते हैं, न कि बन्धे बन्धाए पाठक।<BR/><BR/>इसलिए फ़ीड से अधिक महत्वपूर्ण है आपके स्थल का खोजी स्थलों पर मौजूद होना, और इसमें अधिक पन्ने होने से लाभ तो निश्चित रूप से होगा ही। <BR/><BR/>आप यह भी पाएँगे कि आपके पुराने पन्नों पर समय के साथ अधिक लोग पहुँचते हैं - क्योंकि वह अधिक समय से जाल पर पड़ा हुआ है - बिल्कुल स्वाभाविक सी बात लगती है पर इसका महत्व हम नहीं समझ पाते हैं।<BR/><BR/>अन्ततः <A HREF="http://devanaagarii.net/hi/jaal/" REL="nofollow">मेरा निष्कर्ष</A> भी वही है जो आपका है - अपने स्थल पर हर रोज एक पन्ना बढ़ाओ। और गुड़ खाओ।<BR/><BR/>अगर आप अपने स्थल पर एक साल में तीन सौ पैंसठ पन्ने पैदा करते हैं तो बिल्कुल सही दिशा में जा रहे हैं।आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-54951897642322910192008-05-20T10:37:00.000+05:302008-05-20T10:37:00.000+05:30यही तो !अभी से अपने को आँकड़ों में उलझा लेना, उसी ...यही तो !<BR/>अभी से अपने को आँकड़ों में उलझा लेना, उसी प्रकार से है<BR/>जैसे अधपकी रसोई के भगोने का ढक्कन उठा उठा कर यह<BR/>देखना कि कैसी खुशबू है ।<BR/><BR/>ज़िन्दगी के आँकड़ों को लाँघ कर ब्लागर पर आते हैं, और<BR/>यहाँ भी आँकड़ें ?<BR/><BR/>फिर तो सोचना पड़ेगा !<BR/>सादर ।डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-34201797933810082472008-05-20T10:27:00.000+05:302008-05-20T10:27:00.000+05:30आपने अच्छा टारगेट दे दिया,हजार पोस्ट का. चलिये तो ...आपने अच्छा टारगेट दे दिया,हजार पोस्ट का. चलिये तो कल से शुरु हो जाते हैं. <BR/><BR/>हजार पोस्ट के बाद मिलते हैं.. ज्ञान जी के साथ..राखी सावंत को आप बुलवा लीजियेगा.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-89571785845170671112008-05-20T10:18:00.001+05:302008-05-20T10:18:00.001+05:30चलिये, आंकड़े की मोह-माया से आपने दूर कर दिया। हजार...चलिये, आंकड़े की मोह-माया से आपने दूर कर दिया। हजार स्तरीय पोस्ट लिखने तक अगर चुक न गये तो फिर आपसे बात करेंगे! <BR/>पोस्ट लिखने के लिये धन्यवाद।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-23227760642115892812008-05-20T10:18:00.000+05:302008-05-20T10:18:00.000+05:30मनीषा जी, आपका ये कहना कि गूगल एडसेंस हिन्दी वालों...मनीषा जी, आपका ये कहना कि गूगल एडसेंस हिन्दी वालों को दूर कर सकती है, तो कुछ मामलों में ये भले ही संभव हो, पर ये भी सही है कि अभी तक एडसेंस से आय उतनी हो नहीं रही थी जिसके बिना पर चिट्ठाकारी पर निर्भर रहा जा सके. हालाकि कुछ सपने टूटेंगे, मेरा इंटरनेट खर्च निकलना बंद हो जाएगा, मगर फिर भी आगे की उम्मीद है कि एडसेंस हिन्दी में धमाके के साथ आएगा. आज नहीं तो कल. इंतजार करें. :)रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-36874067198114645352008-05-20T10:05:00.000+05:302008-05-20T10:05:00.000+05:30रवि जी, सच में, अब सर्च इंजनों से लोग हिंदी चिठ्ठो...रवि जी, <BR/>सच में, अब सर्च इंजनों से लोग हिंदी चिठ्ठों तक पहुंचने लगे है। मेरे चिठ्ठे पर भी कई लोग ढ़ूढ़ते हुये आते हैं। ये हिंदी चिठ्ठाकारी के लिये अच्छी खबर है।<BR/><BR/>लेकिन <A HREF="http://hindibaat.blogspot.com/2008/05/blog-post_07.html" REL="nofollow">गूगल ऐडसेंस आजकल हिंदी चिठ्ठों से गायब है, </A> ये बात नये और पुराने हिंदी चिठ्ठाकारों को हिंदी से दूर कर सकती है।<BR/><BR/>मनीषा<BR/><A HREF="http://hindibaat.blogspot.com" REL="nofollow">http://hindibaat.blogspot.com</A>Manishahttps://www.blogger.com/profile/07335662336498803553noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-91114731702649337802008-05-20T09:53:00.000+05:302008-05-20T09:53:00.000+05:30मैथिली जी,धन्यवाद. आभार. मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई...मैथिली जी,<BR/>धन्यवाद. आभार. मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई यह जानकर कि रचनाकार में औसतन 60 पाठक ब्लॉगवाणी के जरिए आए. और, कुछेक प्रविष्टियों में 200 से अधिक पाठक पहुँचे.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-5580969768779389752008-05-20T09:27:00.000+05:302008-05-20T09:27:00.000+05:30एक बार गूगल एनालिटिक्स का भी प्रयोग करके देखें.एक बार गूगल एनालिटिक्स का भी प्रयोग करके देखें.अंकुर गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/11895780087694607022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-51422505113996076632008-05-20T08:39:00.000+05:302008-05-20T08:39:00.000+05:30पाठकों के पठन विश्लेषण की अच्छी शुरूआत है.ब्लॉगवाण...पाठकों के पठन विश्लेषण की अच्छी शुरूआत है.<BR/><BR/><B>ब्लॉगवाणी के जरिए रचनाकार के किसी चिट्ठे में पहुँचने वाले पाठक शायद ही कभी दो अंकों की संख्या को पार कर पाए होंगे. </B> से असहमति है.<BR/><BR/>ब्लागवाणी सिर्फ नये लेखों पर ही नहीं आपके पुराने लेखों पर भी बहुतायत में पाठक भेजता है. रचनाकार की पोस्टों पर ब्लागवाणी द्वारा 200 तक पाठक भेजे गये हैं. नीचे के चित्र की गवाही भी देखिये.<BR/>http://cafehindi.com/images/rachanakar.jpg<BR/><BR/>नीचे दिये गये लिंक को भी किलकाकर देखिये<BR/>http://blogvani.com/Default.aspx?mode=blog&blogid=449&span=250&count=300<BR/><BR/>रचनाकार की ब्लागवाणी ने 478 प्रविष्टियां संकलित की जिनपर 29,118 बार पाठक भेजे गये. यानी 60 पाठक प्रति प्रविष्टि से अधिक का औसत है. <BR/>http://blogvani.com/Bloggerdetail.aspx?BlogID=449<BR/><BR/>और फिर हमारी कोशिश जारी है कि ब्लागावणी द्वारा पहुंचाये पाठक तीन अंको तक ही नहीं चार अंकों तक पहुंचे.मैथिली गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/09288072559377217280noreply@blogger.com