tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post3687746363581166649..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: क्या कभी आप भी गाय की सवारी करना चाहेंगे...?रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-39775250247345381882016-10-22T20:58:45.343+05:302016-10-22T20:58:45.343+05:30ईमेल से प्राप्त टिप्पणी -
सुरेश चन्द्र करमरकर
वा...ईमेल से प्राप्त टिप्पणी -<br />सुरेश चन्द्र करमरकर<br /><br /> वाह ,रविजी ,मजा आ गया, गोभक्तों और गौरक्षको से क्षमा ली यह अच्छा किया, एक बात मैं कहना चाहता था की उक्त गे के आलावा एक नील गाय हमारे इलाके में होती है। जो बड़ी ताकतवर ,होती है,दौड़ने में तेज होती है गरीब होने का प्रश्न ही नहीं ''गरीब ''विशेषण जो गाय के आगे लगता है वह इसके काबिल नहीं। उलटे किसानों की फसलों को उजाड़ देती है। इस नस्ल को काबू करने के लिए इनकी नसबंदी आवश्यक है, किन्तु रक्षकों से डर लगता है. एक बात और कहानी थी लंबे समय से कोई ब्लॉग नहीं लिखा तो मेरा ब्लॉग गूम हो गया.अब मैं नया बनाओं या उसीको खोजूं?रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com