tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post3554335859331383979..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: कमरे कमरे में लिखा है रहने वाले का नाम...रवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-84899827156299747542008-09-04T08:26:00.000+05:302008-09-04T08:26:00.000+05:30रवि जी,नमस्कार...!काफी समय से में आपके ब्लॉग का नि...रवि जी,<BR/>नमस्कार...!<BR/><BR/>काफी समय से में आपके ब्लॉग का नियमित पाठक हु. रतलाम से भोपाल जाने की ख़बर सुखद आश्चर्य है... वैसे में इंदौर से हु और रतलाम और भोपाल, दोनों ही नगरो से सामान रूप से परिचित हु, पर मालवी होने के नाते, रतलाम से थोड़ा ज्यादा लगाव है...!<BR/><BR/>भविष्य मैं आपके ब्लॉग का इंतजार रहेगा, चाहे वह रवि रतलामी के नाम से आए या रवि भोपाली के नाम से...<BR/><BR/>भविष्य मैं आपसे मिलने की ख्वाइश है...<BR/><BR/>विवेकVivekhttps://www.blogger.com/profile/03695830868123281532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-24551342511815988422008-09-04T02:13:00.000+05:302008-09-04T02:13:00.000+05:30रवि भाई, आशा है व शुभकामना भी कि यह परिवर्तन आपके ...रवि भाई, आशा है व शुभकामना भी कि यह परिवर्तन आपके लिये व हम पाठकों के लिये हितकर ही होगा।Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-40582117082245843282008-09-03T20:13:00.000+05:302008-09-03T20:13:00.000+05:30इतनी सुंदर जगह पर घर के लिए बधाइयाँ। आपका स्थायी न...इतनी सुंदर जगह पर घर के लिए बधाइयाँ। आपका स्थायी निवास भी इतनी ही सुंदर जगह पर हो, यही कामना है। <BR/>रवि भैया, आप कहीं भी रहें आपके नाम के साथ रतलामी ही अच्छा लगता है। <BR/>यदि अन्यथा न लें तो बीस वर्षों बाद इस स्थानांतरण के बारे में जानने की उत्सुकता ज़रूर है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-66468371940619737822008-09-02T15:17:00.000+05:302008-09-02T15:17:00.000+05:30रवि जी भोपाल पहुंचने पर आपका स्वागत। शानदार शहर ह...रवि जी भोपाल पहुंचने पर आपका स्वागत। शानदार शहर है। अब भोपाल में आपसे मुलाकात होगी, मेरा भी वहां आना होता रहता है। अपना नया नंबर ई मेल कर देवें। अब रवि रतलामी की जगह रवि भोपाली....तो नही ना।चलते चलतेhttps://www.blogger.com/profile/00891524525052861677noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-60113039313706639932008-08-31T21:27:00.000+05:302008-08-31T21:27:00.000+05:30इधर तो सरकार की कृपा से औसतन हर दूसरे साल घर और शह...इधर तो सरकार की कृपा से औसतन हर दूसरे साल घर और शहर बदल जाता है। जब आस-पास के पेड़-पौधे और पक्षी पहचानना शुरू करते हैं तभी डेरा कूच करना पड़ता है। आपको २० साल की यादें और ‘रतलामी’ जैसा specific नाम देकर इस शहर ने अच्छी जगह के लिए विदा किया, इसका यह कर्ज़ याद रखिएगा। <BR/><BR/>और हाँ, रतलामी को ‘भोपाली’ बनाने की जरूरत नहीं है। भोपाल वाले आपको रतलामी कहकर भी खुश होंगे।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-78264628701240784802008-08-31T20:26:00.000+05:302008-08-31T20:26:00.000+05:30रविजी,शनिवार को मेरी टिप्प्णी दफ़्तर से लिखकर भेजी ...रविजी,<BR/><BR/>शनिवार को मेरी टिप्प्णी दफ़्तर से लिखकर भेजी थी आपको<BR/>अब ३० घंटे बीत चुके है और अब तक मेरी टिप्प्णी छपी नहीं है।<BR/>कहिए तो कल सोमवार फ़िर से भेज दूँ?<BR/>समय रविवार शाम ८:२५ लिख रहा हूँ।G Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-52412534847579477682008-08-30T20:52:00.000+05:302008-08-30T20:52:00.000+05:30नमस्कार रवि जी, नया बसेरा मुबारक हो.बडा ही कष्टदाय...नमस्कार रवि जी, नया बसेरा मुबारक हो.<BR/><BR/>बडा ही कष्टदायक होता है पुराने घर को छोडकर नये घर में जाना, मैं ये कष्ट 8 वर्ष पूर्व झेल चुका हूँ. मैं अलीगढ में जन्म से 25 वर्ष तक रहा और सन 2000 से अपने पूर्वजों के ग्रह मेरठ में रह रहा हूँ, जो कि मेरा मूल निवास है. लेकिन अब भी यदा-कदा पुराने साथियों की याद आ जाती है, बहुत प्यारे थे वो दिन...Ajay Tomar (अजय तोमर)https://www.blogger.com/profile/07033813654271276897noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-28833557893105062292008-08-30T15:49:00.000+05:302008-08-30T15:49:00.000+05:30बहुत संवेदन शील रचना है। दिल को छू गई। सस्नेहबहुत संवेदन शील रचना है। दिल को छू गई। सस्नेहशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-87706808857823575492008-08-30T13:38:00.000+05:302008-08-30T13:38:00.000+05:30तो आप रतलामी से भोपाली बन गये।हैदराबाद से घर आते/ज...तो आप रतलामी से भोपाली बन गये।<BR/>हैदराबाद से घर आते/जाते समय भोपाल होकर गुजरना होता है। उम्मीद है कभी मुलाकात होगी।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-54955000490536676092008-08-30T12:55:00.000+05:302008-08-30T12:55:00.000+05:30jaldi se address deejiye...ham aa rahe hain coffee...jaldi se address deejiye...ham aa rahe hain coffee peene. welcome to bhopal.....pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-15100623451955930682008-08-30T12:15:00.000+05:302008-08-30T12:15:00.000+05:30भोपाल पहुँचने पर बधाई।रतलाम स्टेशन देखी हुई है। (द...भोपाल पहुँचने पर बधाई।<BR/>रतलाम स्टेशन देखी हुई है। (दिल्ली जाते और आते समय रास्ते में पढ़ता था)<BR/>लेकिन भोपाल अभी तक देखी नहीं।<BR/>बहुत सुन चुका हूँ और आशा है कभी मौका मिल जाएगा भोपाल आने का और आप से भेंट करने का। तसवीर बहुत सुन्दर है।<BR/><BR/>हमारी कहानी तो भिन्न है। हम तो "यायावर" हैं। पिताजी १९४० में केरळ के पालक्काड जिला हमेशा के लिए छोड़कर नौकरी की तलाश में मुम्बई आकर बस गए थे। मुम्बई में ज्न्मा हूँ, और स्कूल की पढाई भी वहीं हुई थी, फ़िर पिलानी(राजस्थान) में पाँच साल तत्पश्चात रूड़की(उस समय यू पी) में दो साल तक रहने का अवसर मिला पढ़ाई के सिलसिले में। नौकरी लगी थी बोकारो (उस समय बिहार) में और फ़िर वहाँ से बेंगळूरु में पोस्टिन्ग हुई थी। सर्विस के सालों में यहाँ से केरळ (Quilon) और गुजरात (हज़ीरा) को एक एक साल के लिए मेरा तबादला हुआ था। कुछ महीनों के लिए विदेश में पोस्टिन्ग हुआ था (South Korea में)। सर्विस करते समय कई बार मंगळूरु, भद्रावति, कुद्रेमुख, हैदराबाद, चेन्नै, भिलाइ, दिल्ली, रांची, राउरकेला, दुर्गापूर, कोलकाता, विशाखपट्टनम, वगैरह में कई हफ़्तों तक अकेले रहना पढ़ा था। <BR/><BR/>हमारे लिए एक ही जगह रहने और बसने का अवसर हमें स्वयं निश्चय करके उसके लिए काररवाई भी करनी पड़ी। सरकार पर या अपने भाग्य पर यह निर्णय छोड़ दिया होता तो अब तक बेधर रहता। १९८५ में हमने निश्चय किया था को जो भी हो, इस विशाल देश हमारा अपना एक ठिकाना होना चाहिए, चाहे कहीं भी हो और मौका पाकर यहीं बंगळूरु में एक छोटा सा प्लॉट खरीदकर अपना घर बना लिया। <BR/><BR/>अब शान्ति से रह रहा हूँ। लेकिन यह शान्ति कितने दिन तक कायम रहेगी यह कहना कठिन है। बेटी अमरीका में बस गयी है और बार बार बुलाती है उसके साथ रहने के लिए। बेटा भी विदेश में पढ़ाई कर रहा है और उसके भविष्य के बारे में अब कुछ नहीं कहा जा सकता। अब रिटायरमेंट के दिन समीप आ रहे हैं और मेरे भविष्य पर फ़िर प्रश्नचिह्न है। बेंगळूरु में ही हम पति-पत्नि यदि रहना भी चाहें तो क्या हमें रहने दिया जाएगा? अब दोनों का स्वास्थ्य ठीक है लेकिन आगे चलकर कौन जाने क्या होगा? मेरे पिताजी ८८ वर्ष के हैं और बार बार केरळ में पालक्काड़ वापस जाने की रट लगा रखे हैं लेकिन मैं और मेरे दो भाईओं उन्हें जाने नहीं दे रहे हैं। कौन करेगा उनका वहाँ देखबाल? समझाने पर भी वे समझते नहीं हैं और परिवार के लिए समस्या खड़ा कर रहे हैं।<BR/><BR/>आशा करता हूँ कि आप भी जल्द ही कहीं न कहीं अपना स्थायी पता बना लेंगे। कभी मन हुआ और अधिक निजी न हो तो कभी रतलाम छोड़कर भोपाल आने के पीछे कारण और परिस्थिति के बारे में अवश्य लिखिए। अनिताजी के साथ, हम भी उत्सुक हैं जानने के लिए।<BR/>शुभकामनाएं।G Vishwanathhttps://www.blogger.com/profile/13678760877531272232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-49850613113878402032008-08-30T10:59:00.000+05:302008-08-30T10:59:00.000+05:30बधाई स्वीकारें.तो अब आप भोपाली हो गए :)बधाई स्वीकारें.<BR/><BR/>तो अब आप भोपाली हो गए :)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-31658302448792199452008-08-30T10:46:00.000+05:302008-08-30T10:46:00.000+05:30दिनेश जी, धन्यवाद. भोपाल पहुँचने की कथा उतनी निजी ...दिनेश जी, धन्यवाद. भोपाल पहुँचने की कथा उतनी निजी भी नहीं है, पर हाँ, परिस्थितियाँ कुछ निर्मित हो गईं.<BR/><BR/>सिरिल जी, आपका कहना शायद सही है. भोपाल वाकई खूबसूरत शहर है. और, नाम में रखा क्या है - पर फिर नाम ही तो है जो पहचान देता है. रतलामी टैग तो अब चिपक गया लगता है :)<BR/><BR/>यूनुस जी, आपको अपने बचपन के शहर की सैर का निमंत्रण है.<BR/><BR/>अनिल जी, धन्यवाद.<BR/>अभिषेक जी, धन्यवाद और हाँ, अपना नया सपना पूरा होते ही खबर करूंगा.<BR/>ज्ञानदत्त जी, धन्यवाद. भोपाली तो बन ही गए हैं अब :)<BR/><BR/>मनीषा जी, जी हाँ, भोपाल दो बड़े ताल के मध्य और पहाड़ियों पर बसा है अतः प्राकृतिक सुंदरता बहुत है.<BR/><BR/>समीर भाई, धन्यवाद. विस्तार से चर्चा मिलने पर. आपका पिछला वादा पूरा नहीं हुआ.<BR/><BR/>मित्र चंद्रकुमार जी, धन्यवाद. बूढ़ा सागर और रानी सागर कोई नंदगइहाँ भूल सकता है भला?<BR/><BR/>अनिता जी, कारण सुखद ही हैं. और, हालचाल सब ठीक-ठाक हैं.<BR/><BR/>उन्मुक्त जी, आपके लिए, व ब्लॉगजगत के लिए तो वही रतलामी :)रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-82938083417915153492008-08-30T07:59:00.000+05:302008-08-30T07:59:00.000+05:30तो क्या अब आप रवी भोपाली के नाम से लिखेंगे :-)तो क्या अब आप रवी भोपाली के नाम से लिखेंगे :-)उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-41370095529310598532008-08-29T23:34:00.000+05:302008-08-29T23:34:00.000+05:30" यदि आप दो दशक तक एक स्थान पर रह रहे हों और अचानक..." यदि आप दो दशक तक एक स्थान पर रह रहे हों और अचानक आप को वहां से बेदखल कर दिया जाए तो आप अपनी स्थिति किस तरह से बयान करेंगे?"<BR/>ये दर्द बंबई और नासिक से भागे उत्तर भारतियों और कशमीर से निकले पंडितों से ज्यादा कौन जानता होगा। आशा है कि आप सुखद कारणों के चलते ही अपनी मर्जी से रतलाम से भोपाल गये होगें । <BR/>ऐसे क्या कारण रहे होगें जानने की उत्सुकता तो है पर अगर आप ठीक समझे तभी बताइएगा। दरअसल कुछ दिनों की ब्लोगिंग ने ही यहां के सभी निवासियों से इतना मन से जोड़ दिया है कि सब अपने ही परिवार के लगते हैं। हम सिर्फ़ ये जानना चाह्ते हैं कि सब ठीक है न?Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-18817901063082302962008-08-29T23:14:00.000+05:302008-08-29T23:14:00.000+05:30मित्रवर आप राजधानी पहुँच गए.घर तो बहुत खूबसूरत लोक...मित्रवर आप राजधानी पहुँच गए.<BR/>घर तो बहुत खूबसूरत लोकेशन में है.<BR/>भोपाल ताल और <BR/>यहाँ राजनांदगांव में <BR/>रानी सागर और बूढा सागर की <BR/>बात ही निराली है न ?<BR/>शुभकामनाएँ<BR/>===========<BR/>चन्द्रकुमारDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-61219897853549665722008-08-29T21:27:00.000+05:302008-08-29T21:27:00.000+05:30भोपाल कैसे भाई-जरा विस्तार से बतायें.वैसे तो बहुत ...भोपाल कैसे भाई-जरा विस्तार से बतायें.<BR/><BR/>वैसे तो बहुत सुन्दर जगह है.<BR/><BR/>आज रवि रतलामी नाम का उदगम 'याहू' है जानकर सुखद लगा.<BR/><BR/>अनेकों शुभकामनाऐं नये शहर की नई जिन्दगी के लिए.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-35919212281797089892008-08-29T20:08:00.000+05:302008-08-29T20:08:00.000+05:30रवि जी,लोकेशन तो जबर्दस्त है। दिल्ली में तो ऐसा ख्...रवि जी,<BR/><BR/>लोकेशन तो जबर्दस्त है। दिल्ली में तो ऐसा ख्वाब भी नहीं देख सकते। <BR/><BR/>क्या अब आप रवि भोपाली कहलायेंगे?<BR/><BR/>मनीषा<BR/><A HREF="http://hindibaat.blogspot.com" REL="nofollow">हिंदीबात</A>Manishahttps://www.blogger.com/profile/07335662336498803553noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-49475369723271650742008-08-29T19:58:00.000+05:302008-08-29T19:58:00.000+05:30नये स्थान की बधाई! अब क्या कहें रविभोपाली?!नये स्थान की बधाई! अब क्या कहें रविभोपाली?!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-45798913856088196252008-08-29T19:41:00.000+05:302008-08-29T19:41:00.000+05:30बधाई नए घर की... !सपने पूरा करते रहिये और हमें उसस...बधाई नए घर की... !<BR/>सपने पूरा करते रहिये और हमें उससे अवगत कराते रहिये :-)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-44031026263156299222008-08-29T18:47:00.000+05:302008-08-29T18:47:00.000+05:30han kam-se-kam sapne to dekhna hi chahiyehan kam-se-kam sapne to dekhna hi chahiyeAnil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-86046308778130414862008-08-29T18:42:00.000+05:302008-08-29T18:42:00.000+05:30रवि भाई भोपाल हमारे बचपन का शहर है । एक खूबसूरत शह...रवि भाई भोपाल हमारे बचपन का शहर है । <BR/>एक खूबसूरत शहर में पहुंचने के लिए बहुत बधाईयां ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-91474476986998492502008-08-29T18:04:00.000+05:302008-08-29T18:04:00.000+05:30भोपाल में आना मुबारक हो. रतलाम छोड़ने की टीस तो शा...भोपाल में आना मुबारक हो. रतलाम छोड़ने की टीस तो शायद होगी लेकिन भोपाल जल्द भुला देगा. भोपाल में मैंने भी अपना बचपन बिताया है, और उससे बेहतर शहर मुझे कोई नहीं लगा.<BR/><BR/>:) क्या अब आप अपना नाम रवि भोपाली रखना चाहेंगे? :)CGhttps://www.blogger.com/profile/01338787191916748749noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-81093683912618243082008-08-29T17:57:00.000+05:302008-08-29T17:57:00.000+05:30तो आप भोपाल पहुँच गए। क्यों और कैसे तो नहीं पूछूँग...तो आप भोपाल पहुँच गए। क्यों और कैसे तो नहीं पूछूँगा, जरा निजि सवाल हो जाएगा। पर जैसे भी, आप को सपनों का घर मुबारक हो। जल्दी ही इसी झील किनारे आप का खुद का घर भी हो।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com