tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post3031343460238956313..comments2024-02-27T01:29:00.603+05:30Comments on छींटे और बौछारें: ब्लॉगवाणी और विज्ञापन : भविष्य की उम्मीदेंरवि रतलामीhttp://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-126444460040008692010-03-28T12:51:39.555+05:302010-03-28T12:51:39.555+05:30MONEY IS ' MOTHER TINCTURE ' FOR ALL ACTIV...MONEY IS ' MOTHER TINCTURE ' FOR ALL ACTIVITIES . ,GOOD , BAD OR EVEN UGLY.RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-66298348233355259302010-03-01T16:37:54.057+05:302010-03-01T16:37:54.057+05:30कई बार फंड की कमी के कारण कई उपयोगी प्रकल्प दम तो...कई बार फंड की कमी के कारण कई उपयोगी प्रकल्प दम तोड़ देते हैं। इसलिए स्ववित्तपोषण तो एक अपरिहार्यता है। आपकी बात में दम है। <br><br /><br />होली पर आपको अनेक शुभकामनाएं <br> <a href="http://www.dailyhindinews.com/2010/02/28/holi-in-bundelkhand/" rel="nofollow">उदकक्ष्वेड़िका …यानी बुंदेलखंड में होली </a>Sanjay Kareerhttp://www.dailyhindinews.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-2137866427224176872010-03-01T14:02:40.061+05:302010-03-01T14:02:40.061+05:30सच है कि, किसी उपक्रम के चलने के लिऐ वह जरूरी है क...सच है कि, किसी उपक्रम के चलने के लिऐ वह जरूरी है कि वह अपने आप चल सके। लेकिन ब्लॉगवाणी में मुझे तो केवल तेहलका ही ऐसा दिख रहा है जो विज्ञापन की श्रेणी में कहा जा सकता है।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-74090103439878440342010-03-01T10:29:11.269+05:302010-03-01T10:29:11.269+05:30हमारी कोशिश ब्लागवाणी में लगातार नई सुविधायें जोड़...हमारी कोशिश ब्लागवाणी में लगातार नई सुविधायें जोड़ने की रहेगी. कुछ तो आप देख चुके, और कई सारे नये प्रयोग पाइपलाइन में हैं और समय चलते आते रहेंगे. आपके आब्ज़र्वेशन सटीक हैं. ब्लागवाणी हॉट को भी सुधारने की कोशिश करेंगे, आप इस बारे में अपने सुझाव जरूर दें कि कैसे इसे बेहतर बनाया जाये.<br /><br />धन्यवादcyril guptahttp://cyrilgupta.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-38800007357964058692010-02-28T17:29:11.960+05:302010-02-28T17:29:11.960+05:30हम किसी भी उद्देश्य के लिए कुछ करते हैं तो उस की न...हम किसी भी उद्देश्य के लिए कुछ करते हैं तो उस की निरंतरता तभी बनी रह सकती है जब कि उस के लिए आर्थिक साधन भी निरंतर जुटाए जाते रहें. सांगठनिक काम हो तो उस स्तर पर उस के लिए संसाधन जुटाए जा सकते हैं। लेकिन यदि ये काम वैयक्तिक स्तर पर किए जा रहे हैं तो उन का आय का साधन होना चाहिए। आज के युग में ब्लागवाणी जैसे प्रक्रम को जारी रखने के लिए विज्ञापन का सहारा लेना बिलकुल उचित है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-43465044357790910592010-02-28T17:25:01.558+05:302010-02-28T17:25:01.558+05:30किसी भी प्रकल्प को चलते रहने के लिए उसका स्व-वित्त...किसी भी प्रकल्प को चलते रहने के लिए उसका स्व-वित्तपोषित बने रहना आवश्यक है |<br />आपकी यह बात वाकई दमदार है |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7370482.post-26124774992541355412010-02-28T17:20:56.523+05:302010-02-28T17:20:56.523+05:30रवि जी , आपका सुझाव बिलकुल सही है कि संसाधनों को ज...रवि जी , आपका सुझाव बिलकुल सही है कि संसाधनों को जेनेरेट कर वापस प्रकल्पों में लगाना चाहिए . और ब्लोगवाणी पर विज्ञापन देखकर हमें भी ख़ुशी हुई . एक बात जानना चाहेंगे कि ब्लॉगवाणी पर दिख रहे विज्ञापन अथवा अन्य वेबसाइट जैसे भड़ास आदि पर दिखने वाले विज्ञापन का स्रोत क्या है और किस आधार पर प्राप्त हो सकता है ? यदि समय हो तो अवश्य बताइए ? होली की शुभकामनायें !Jayram Viplavhttps://www.blogger.com/profile/16251643959205358549noreply@blogger.com