टेक्नोलॉज़ी नित्यप्रति तिगप्र की राह में है. आप कहेंगे – तिगप्र? अरे भाई, यह प्रगति है, बस उल्टा लिखा है. ठीक वैसे ही जैसे कि प्रगति मेरे ज...
टेक्नोलॉज़ी नित्यप्रति तिगप्र की राह में है. आप कहेंगे – तिगप्र? अरे भाई, यह प्रगति है, बस उल्टा लिखा है. ठीक वैसे ही जैसे कि प्रगति मेरे जैसे कुछ लोगों के लिए उलटी ही होती है – समस्या बढ़ाने वाली!
उदाहरण के लिए टेलीविज़न को ही ले लो. पुराने जमाने में श्वेतश्याम टीवी होता था. दो या तीन तरह के 14 इंची या 20 इंची मॉडल होते थे, और तीन-चार निर्माता. आज की तरह खरीदने के लिए कोई झंझट नहीं होता था – कि आठ सौ पचहत्तर किस्म के टीवी सेटों में से कौन सा खरीदा जाए! और, चैनल भी एक ही होता था. दूरदर्शन. टीवी का प्लग लगाया, बिजली का बटन चालू किया और बस. टीवी चालू. फिर आप आराम से बैठकर चित्रहार और कृषिदर्शन देख सकते थे सरकारी समाचार नुमा प्रोपेगंडा के बीच.
आह! क्या दिन थे वे. टीवी चालू-बंद करना, टीवी के प्रोग्राम देखना कितने आसान थे. फिर अचानक टेक्नोलॉज़ी क्रांति हुई, और एक अदद रिमोट कंट्रोल आ गया टीवी को चालू बंद करने को. रिमोट कंट्रोल से आप अपने सोफे से उठे बिना ही दूर से टीवी चालू बंद कर सकते थे. यह टेक्नोलॉज़ी की प्रगति थी – परंतु मेरे जैसे लोगों की तो दुर्गति थी.
मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया कि रिमोट को किस तरह सीधा उल्टा पकड़ा जाए, कौन सा बटन चालू करने के लिए दबाया जाए, एक ही बटन क्यों चालू और बंद दोनों ही काम के लिए लिया जाता है, आवाज बढ़ाने वाले बटन को दबाता हूँ तो चैनल क्यों बदल जाता है, जब टीवी चालू करने के लिए कोई बटन दबाता हूँ तो क्यों ऑडियो रिसीवर से आवाज आनी बंद हो जाती है आदि आदि... और जब मैं सोच समझ कर याद कर कोई बटन दबाकर टीवी बंद करने की कोशिश करता हूँ तो आवाज और बढ़ जाती है, तब मैं सोचता हूँ कि रिमोट को ईंट की तरह उपयोग कर टीवी को ही पूरी तरह सदा सर्वदा के लिए क्यों न बंद कर दूँ!
खैर, नियमित उपयोग से अंततः रिमोट का थोड़ा बहुत उपयोग करना मैंने सीख ही लिया और जब मैं ठीक ढंग से रिमोट से टीवी चालू बंद कर लेता था, तो इस बीच प्रगति फिर से चली आई. अब आ गया मैजिक रिमोट. यह मैजिक रिमोट तो आपके हाथ में जादू की छड़ी है. एक तो सामान्य रिमोट से बटन बहुत ही कम मगर काम करने में दस गुना ज्यादा सक्षम. अब आप इसी एक मैजिक रिमोट के न केवल बटन को अबा-दबा कर बल्कि मैजिक रिमोट को जादुई छड़ी की तरह घुमा-फिरा कर – जेस्चर बनाकर - भी न केवल टीवी को चालू बंद किया जा सकता है बल्कि फ़िल्में देख सकते हैं, गाने सुन सकते हैं, यूएसबी ड्राइव चला सकते हैं, ईमेल भेज सकते हैं और मेरे विचार में तो मंगल ग्रह के निवासियों से भी इस जादुई रिमोट से संपर्क कर सकते हैं!
जाहिर है, इस जादुई रिमोट से मैं बेहद घबराता हूँ. न जाने क्या क्या करम कर डालने की ताकत रखता है यह. शायद नाम भी इसीलिए इसका जादुई रिमोट रखा गया है. घर में जब तक जानकार नहीं होते हैं, इस जादुई रिमोट के आसपास भी मैं नहीं फटकता. यदि किसी दिन मुझसे इसका कोई बटन दब गया या मेरे हाथ से कोई जेस्चर बन गया तो पता चला कि टीवी सेट ही ग़ायब हो गया. भई, प्रगति की बात हो रही है, टेक्नोलॉज़ी एडवांसमेंट की बात हो रही है, कुछ भी हो सकता है.
मैंने तो अपने हिस्से की प्रगति देख और भुगत ली है. अब और नहीं! नहीं तो हमारे जैसे लोगों के लिए तो यह तिगप्र ही रहेगी!
(जग सुरैया के व्यंग्य – मेकिंग स्सेरगोर्प से प्रेरित)
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