आई वॉज़ बॉर्न इंटेलिजेंट, फ़ेसबुक रूईन्ड मी! एंड दैट इज व्हाय आई एम हियर...? (पचमढ़ी के एक चाय की गुमटी का चित्र )
आई वॉज़ बॉर्न इंटेलिजेंट, फ़ेसबुक रूईन्ड मी!
एंड दैट इज व्हाय आई एम हियर...?
(पचमढ़ी के एक चाय की गुमटी का चित्र )
आई वॉज़ बॉर्न इंटेलिजेंट, फ़ेसबुक रूईन्ड मी! एंड दैट इज व्हाय आई एम हियर...? (पचमढ़ी के एक चाय की गुमटी का चित्र )
आई वॉज़ बॉर्न इंटेलिजेंट, फ़ेसबुक रूईन्ड मी!
एंड दैट इज व्हाय आई एम हियर...?
(पचमढ़ी के एक चाय की गुमटी का चित्र )
हा हा सही
जवाब देंहटाएंमेरे पास बरसों पहले ऐसा ही एक टी-शर्ट था। उसमें "फेसबुक" की जगह "एज्यूकेशन" लिखा था।
जवाब देंहटाएंकाश!कोई अब भी समझ जाये .....
जवाब देंहटाएंआभार!
हा हा हा...
जवाब देंहटाएंचचा गालिब के दौर मे फेसबूक न था ... नहीं तो वो भी यही कहते ... " फेसबूक ने गालिब निकम्मा कर दिया ... वरना हम भी आदमी थे काम के " ...
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - यह अंदर की बात है ... ब्लॉग बुलेटिन
मार्क द्वारा इसे रिवार्ड मिलना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंयह केवल एक युवक की नहीं, पूरी पीढी की दशा का बखान है।
जवाब देंहटाएं:) bahut sahi.
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