आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 181 ऑर्म-चेयर एक्सप्लोरर्स अमेजन नदी...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
181
ऑर्म-चेयर एक्सप्लोरर्स
अमेजन नदी की लंबी यात्रा कर वापस आए खोजी यात्री को लोगों ने घेर लिया. सबके मन में कौतूहल था – यात्रा कैसी थी, नदी का स्वरूप जगह जगह कैसा था...
परंतु वह यात्री किस तरह से अपने अनुभवों को बयान कर सकता था कि प्राकृतिक सुंदरता व सुंदर सुंदर फूल-पत्तों के बीच खूंखार जंगली जानवरों और कीट-पतंगों के खतरे कैसे थे व यात्रा भर नदी के प्रवाह की उत्तेजना के दौरान भोजन की व्यवस्था की कठिनाईयाँ कैसी-कैसी थीं.
तो उसने कहा – आप स्वयं यात्रा पर जाएँ और खुद अनुभव करें!
और उनकी यात्रा के दिशानिर्देश स्वरूप उसने नदी का एक नक्शा बनाया और उसकी प्रतियाँ लोगों के बीच बांट दीं ताकि लोग यात्रा पर उसे ले जा सकें और उस नक्शे का सहयोग ले सकें.
परंतु कई लोगों ने उसे फ्रेम करवा कर दीवार पर टाँग लिया. कई ने किताब की शक्ल में मोड़ कर बाइंडिंग करवा ली. अब चूंकि इनके पास नदी का नक्शा था, अतः वे सब यात्रा के विशेषज्ञ बन गए और बड़ी बड़ी बातें करने लगे.
हालांकि उनमें से किसी को भी यह नहीं पता था कि नदी कहाँ उठती गिरती है, किस क्षेत्र में कितनी गहरी है, कितनी चौड़ी है और कहाँ रौद्र है तो कहाँ शांत बहती है!
बुद्ध को ईश्वर का ज्ञान था, परंतु उन्होंने ईश्वर संबंधी कोई बातें किसी को भी नहीं बताईँ. उन्हें भी आर्म चेयर एक्सप्लोरर के खतरे का भान था.
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कौन कम तौलता है
एक गांव के पंचायत में एक सब्जी बेचने वाला पहुँचा और शिकायत की कि उसने गांव के दूध वाले से एक किलो पनीर खरीदी थी परंतु पनीर को कम तौला गया और उसे मात्र 900 ग्राम पनीर दिया गया. उसने उस दूध-वाले को सज़ा देने की मांग की.
दूध वाले को पंचायत के सामने बुलाया गया. उससे पूछा गया कि मामला क्या है.
हुजूर, मैंने इस सब्जी वाले से एक किलो कद्दू खरीदा था. मैंने एक किलो पनीर तौलने के लिए उसी एक किलो कद्दू को बाट की तरह इस्तेमाल किया था - दूध वाले ने मासूमियत से बताया.
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वास्तविकता
एक बार एक जुआरी ने मुल्ला नसरूद्दीन से पूछा – “कल जब मैं जुआ खेल रहा था तो मैंने कुछ चीटिंग की जिसे साथी खिलाड़ी ने देख लिया और मुझे मारते हुए खिड़की से नीचे फेंक दिया. मुझे क्या करना चाहिए?”
मुल्ला ने जुआरी को ध्यान से देखा और कहा – “आगे से हमेशा ग्राउन्ड फ्लोर में जुआ खेला करो, ऊपरी मंजिल में नहीं.”
मुल्ला के शिष्य ने अचरज से पूछा – “आपने उसे जुआ खेलने से मना क्यों नहीं किया?”
“क्योंकि मैं जानता था कि वह जुआ खेलना छोड़ नहीं सकता!” – मुल्ला ने बताया.
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हर चीज बेहद पसंद
नसरूद्दीन की परीक्षा लेने की खातिर एक आदमी ने उससे पूछा – “आज का मौसम कैसा रहेगा?”
“बिलकुल वैसा ही होगा जैसा मुझे बेहद पसंद है.” नसरूद्दीन ने जवाब दिया.
“आपको कैसे पता है कि मौसम आपके पसंद का होगा?” उस आदमी ने फिर से प्रश्न किया.
“जो भी जैसा भी उपलब्ध होता है, उसे मैंने बेहद पसंद करना बहुत पहले से सीख लिया है!” - नसरूद्दीन ने फिलासफी झाड़ी.
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकेवल पुस्तकीय ज्ञान का यही खतरा है..
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