आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ संकलन – सुनील हांडा अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी 449 सभी को एक समान प्रेम करो एक ब...
आसपास की बिखरी हुई शानदार कहानियाँ
संकलन – सुनील हांडा
अनुवाद – परितोष मालवीय व रवि-रतलामी
449
सभी को एक समान प्रेम करो
एक बार चार बच्चों की माँ ने श्री शारदा देवी से पूछा - "सभी से एक समान प्रेम कैसे करें?"
उन्होंने उत्तर दिया - "जिनसे तुम प्रेम करते हो, उनसे कोई अपेक्षा मत करो। यदि तुम उनसे कुछ मांगोगी, तो कुछ तुम्हारे ऊपर सर्वस्व न्यौछावर कर देंगे और कुछ कम देंगे। जो तुम्हें अधिक देंगे, उनसे तुम अधिक प्रेम करोगी और जो कम देंगे, उनसे कम प्रेम करोगी। इससे तुम सभी से एक समान प्रेम नहीं कर पाओगी।"
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हाथों में हाथ लिए - पिता और पुत्री
एक छोटी बच्ची और उसके पिता एक पुल को पार कर रहे थे। चिंतित पिता ने अपनी बेटी से कहा - "बेटी, तुम मेरा हाथ कसकर पकड़ लो ताकि तुम नदी में न गिर जाओ।"
छोटी बच्ची ने कहा - "नहीं पापा, आप मेरा हाथ पकड़ लीजिए।"
पिता ने पूछा - "इससे क्या फ़र्क पड़ता है।?"
बच्ची ने उत्तर दिया - "इसमें बहुत फ़र्क है। यदि मैं आपका हाथ पकड़ती हूं और मेरे साथ कुछ घटित होता है तो संभव है कि मुझसे आपका हाथ छूट जाये। किंतु यदि आप यदि मेरा हाथ पकड़ेंगे तो चाहे कुछ भी हो जाए, आप मेरा हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे।"
गुरू नारायण जी प्रायः एक बिल्ली और बंदरिया की कहानी का उदाहरण दिया करते थे। बिल्ली अपने बच्चों को मुँह में दबाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती है। उसके बच्चे उस समय पूर्ण उदासीन रहते हैं तथा इस परिवहन में उनका कोई योगदान नहीं होता। सारी जिम्मेदारी बिल्ली की ही होती है। जबकि बंदरिया के बच्चों को एक जगह से दूसरी जगह जाने के दौरान जोर लगाकर अपनी माँ के पेट से चिपके रहना होता है। बंदरिया अपने बच्चों को सिर्फ सहारा प्रदान करती है और बाकी कार्य उसके बच्चों को ही करना होता है।
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सवाल यह है कि आपकी मूर्खता कहाँ से झांकती है
महान वैज्ञानिक न्यूटन अपने हास्यबोध व हाजिरजवाबी के लिए भी जाने जाते थे. वे अपने पहनावे पर अधिक ध्यान नहीं देते थे.
एक दिन एक पार्टी में न्यूटन को किसी ने उनके पुराने कोट में हो गए छेद की ओर दिखाते हुए टोका – “सर, आपकी गरीबी आपके इस फटे पुराने कोट के इस छेद से झांक रही है.”
परंतु न्यूटन ने उन्हें अपने जवाब से शर्मसार कर दिया. न्यूटन ने कहा – “नहीं सर, दरअसल आपकी मूर्खता इस छेद के भीतर कुछ झांक लेने की कोशिश कर रही है.”
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प्रोफ़ेसर केल्विन की कक्षाएं
प्रोफेसर केल्विन आज अन्यत्र व्यस्त थे, और अपनी कक्षा ले नहीं सकते थे तो उन्होंने कक्षा के दरवाजे पर यह सूचना चिपका दी –
प्रोफेसर केल्विन आज अपनी classes नहीं लेंगे.
बच्चों में से किसी को शरारत सूझी तो क्लास का ई मिटा दिया. इस तरह नई इबारत हो गई –
प्रोफेसर केल्विन आज अपनी lasses नहीं लेंगे.
परंतु अगले दिन जब बच्चे अपनी कक्षा में पहुँचे तो देखते हैं कि प्रोफेसर केल्विन पहले से ही कक्षा में मौजूद हैं, और दरवाजे पर सूचना कुछ यूँ दिख रही थी –
प्रोफेसर केल्विन आज अपनी asses नहीं लेंगे.
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(सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित. कहानियाँ किसे पसंद नहीं हैं? कहानियाँ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं. नित्य प्रकाशित इन कहानियों को लिंक व क्रेडिट समेत आप ई-मेल से भेज सकते हैं, समूहों, मित्रों, फ़ेसबुक इत्यादि पर पोस्ट-रीपोस्ट कर सकते हैं, या अन्यत्र कहीं भी प्रकाशित कर सकते हैं.अगले अंकों में क्रमशः जारी...)
कम और अधिक के द्वन्द्व से निकलना कठिन है।
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