आप चौंकेंगे कि इस पोस्ट का ये अजीब सा शीर्षक क्या बला है? मैं भी चौंक गया था इस शीर्षक को पढ़कर. सदा की तरह कुछ खोजबीन कर रहा था तो यह ल...
आप चौंकेंगे कि इस पोस्ट का ये अजीब सा शीर्षक क्या बला है?
मैं भी चौंक गया था इस शीर्षक को पढ़कर.
सदा की तरह कुछ खोजबीन कर रहा था तो यह लिंक मिला. म्लूवी – स्पीक टू योर वर्ल्ड!
और, वहीं पर मिला मेरे ब्लॉग – रविरतलामी का हिंदी ब्लॉग - छींटें और बौछारें का अंग्रेज़ी संस्करण!
यह रहा म्लूवी पर मेरे ब्लॉग का अंग्रेज़ी संस्करण :
यह रहा मूल हिंदी संस्करण :
म्लूवी क्या है?
म्लूवी – एक ऐसी सेवा है जो आपके ब्लॉग के आरएसएस फ़ीड को गूगल अनुवाद की सहायता से विश्व की 43 भाषाओं में अनुवाद कर नए पोस्ट जनरेट करती है और उसे प्रकाशित कर देती है. सब कुछ स्वचालित तरीके से.
तो मैंने आज एक पोस्ट लिखी थी – जीवन के शर्त में शामिल है रिश्वत.
इसे म्लूवी ने अंग्रेज़ी में अनुवादित कर प्रकाशित किया – और उसका शीर्षक दिया – लाइफ़ इज इनक्लूडेड इन द टर्म्स ऑफ़ द ब्राइब…
स्वचालित, मशीनी अनुवाद और स्वचालित पोस्टिंग के लिहाज से क्या बुरा है? और खासकर तब, जब आपकी पोस्टें स्वयंमेव विश्व की 43 भाषाओं में अनुवादित होकर पोस्ट हो रही हैं?
यानी आपने इधर चार लाइन हिंदी में लिख मारा नहीं, और उधर आपकी सर्जना 43 भाषाओं में अनुवादित होकर प्रकाशित हुई नहीं! मान लिया कि अनुवाद परिशुद्ध नहीं है, मगर बंदा कहना क्या चाह रहा है इसकी झलक तो वो पा ही लेता है.
तकनॉलाजी की ख़ूबसूरती का एक और प्रमाण? या फिर नेट पर कचरा फेंकने और फैलाने का एक और अद्वितीय प्रयास?
नेट पर कचरा फेंकने और फैलाने का एक और प्रयास
जवाब देंहटाएंthey claim 53, not 43 languages. more garbage than you calculated first.
जवाब देंहटाएंयह कचरा नहीं है। जो भाषा बिलकुल नहीं जानते उनके लिए अमूल्य सुविधा है।
जवाब देंहटाएं- आनंद