मीठी, रसीली टेक्नोलॉजी का इससे बढ़िया उदाहरण और क्या हो सकता है भला? टाइगर टैक्स्ट नाम की एसएमएस सेवा से आप किसी की ऐसी तैसी करते एसएमएस ...
मीठी, रसीली टेक्नोलॉजी का इससे बढ़िया उदाहरण और क्या हो सकता है भला? टाइगर टैक्स्ट नाम की एसएमएस सेवा से आप किसी की ऐसी तैसी करते एसएमएस करते हैं, वो एसएमएस सामने वाले के स्क्रीन पर 60 सेकंड के लिए नमूदार होता है, और इससे पहले कि वो कोई एक्शन ले पाए, आपका गाली भरा एसएमएस अपना काम कर खुद हाराकिरी कर लेता है. साथ ही आपके फोन से भी उसका नामोंनिशां मिट जाता है. इस तरह से इसका कोई सुराग कहीं बचा नहीं रह पाता. वैसे, इस तरह के 60 सेकंड में सेल्फ-डिस्ट्रक्टिव एसएमएस संदेशों का प्रयोग और भी विविध रूपों में किया जा सकता है. नेताओं के लिए पार्टी-छोड़, पार्टी-बदल जैसे ऑफ़र और सुझावों के लिए तो यह एविडेंस रहित बढ़िया विकल्प होगा ही, भ्रष्टाचारियों के लिए नेगोशिएशन और डील का मुफ़ीद हथियार भी रहेगा. मजनुओं के लिए ख़ब्ती लैलाओं जिनके पुलिस के पास जा कर शिकायत दर्ज करवाने का हमेशा भय बना रहता है, यह तो पसंदीदा, माफ़िक और मारक हथियार रहेगा. जाने कितने प्रेम निवेदन जो ऐसे भयों से अनभेजे पड़े रह जाते हैं मोबाइलों की मेमोरी में ड्रॉफ़्ट रूपों में और अनसेंट बक्सों में, उनका तो, कल्याण ही हो जाएगा.
मगर बहुत मामलों में खालिस एसएमएस से बात नहीं बनती. बंदा यदि मेरी तरह मोबाइल प्रेमी न हुआ तो? यदि वो कंप्यूटर सेवी हुआ तो? तब तो टाइगर ईमेल और टाइगर ब्लॉग जैसे प्रकल्पों को रूप देना ही होगा. तब आप बिना किसी भय के किसी को भी उसके सात पुश्तों को कोसते हुए ईमेल लिख सकते हैं. ये बात जुदा है कि सामने वाला भी टाइगर ईमेल की सेवा से आपको वापस आपके दस पुश्तों को कोसते हुए जवाब दे दे. मगर, भइए, मजा इसी में तो है. और, टाइगर ब्लॉगों के जरिए तो, स्थिति की कल्पना करें, कि कितना मजा आएगा. लोगबाग जिनकी एकमात्र योग्यता कम्प्यूटर कीबोर्ड के जरिए टाइप कर लेने की होती है, अनाम बने रहकर तमाम तरह के जहरीले विचार 60 सेकंड के लिए ही सही, इंटरनेट पर छोड़ सकेंगे. धार्मिक जहर फैलाने वाले ब्लॉगरों के लिए तो यह तकनॉलाजी खास मुफ़ीद बैठेगा. एक दूसरे के धर्म पर जम कर उन्मादी रूप से गरिया सकेंगे, 60 सेकंड के लिए प्रकाशित कर सकेंगे जिसका इस निर्धारित समय के बाद नामोनिशां दुनिया से स्वयं मिट जाएगा ताकि पकड़ाई में आने के लिए कोई सनद बाकी ही न रहे. ऐसे कामों के लिए तो, 60 सेकंड भी बहुत होते हैं!
आप तो ये भी कहेंगे कि 60 सेकंड बहुत होते हैं, स्नैपशॉट लेने के लिए, फोरेंसिक जांच पड़ताल के लिए, तो मामला 30 सेकंड के लिए भी सेट किया जा सकता है – ट्विटर जैसे छोटे टाइगर ट्विटर के जरिए. या फिर डबल टाइगर विचार के अनुरूप, स्क्रॉल करते शब्दों में, शब्द-दर-शब्द अपनी टाइगरी बातें रखी जा सकती हैं. टाइगर ब्लॉग और टाइगर ट्विटर को जल्द से जल्द लाया जाना चाहिए. जाने कितने महान विचार कम्प्यूटर कीबोर्ड में टाइप होने के लिए जमाने से तैयार हैं, मगर इस तरह की सेवाएँ उपलब्ध नहीं होने से अंदर ही अंदर घुट कर दम तोड़ रही हैं.
प्रोग्रामरों और डेवलपरों! जरा जल्दी करो. हमें टाइगर ब्लॉग और टाइगर ट्विटर जल्द से जल्द उपलब्ध करवाओ! ऐसी सेवाओं का प्रयोग करने के लिए हम तो दशकों से मरे जा रहे हैं.
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(समाचार कतरन – साभार टाइम्स ऑफ इंडिया)
तकनीक और अविष्कार सदैव मनुष्यता के भले के लिये ही होते है लेकिन मनुष्य अपनी चालाकी और दुर्बुद्धि की वज़ह से इसका उपयोग रचनात्मकता की अपेक्षा विध्वंसात्मक कार्यवाहियो के लिये करता है । इससे मनुष्यता की ही हानि होती है ।
जवाब देंहटाएंटाइगर टिप्पणी भी आनी चाहिए. 60 सेकेंड तक दिखे, फिर फूर्र्र्र्र्र्र्र्र्र स्क्रीन शॉट लेने की कोशिश करे तो भी मिट जाए. आनन्द आ जाए खूदा कसम :)
जवाब देंहटाएंटाइगर बचाओ अभियान में सम्मिलित किया जाए
जवाब देंहटाएंसंजय जी,
जवाब देंहटाएंओह, ये मैं कैसे भूल गया. टाइगर टिप्पणी तो बहुत जरूरी है. ये आ जाए तो, खुदा कसम वाकई बहुत मजा आ जाएगा!
टाइगर नाम गायब होते टाइगरों के कारण ही दिया गया होगा। विचार गजब का है। जिन्हें गाली देना नहीं आता वे भी अब सीखने की कोशिश करेंगे।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
वाह जी टाइगर टिप्पणी वाली बात तो रह गई थी | खैर अब संजय जी ने याद दिला दी |
जवाब देंहटाएंइसके उपयोग की तुलना दुरुपयोग अधिक ही नज़र आते हैं।
जवाब देंहटाएंरवि जी नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंमें एक समस्या पर आपका मार्गदर्शन चाहता हूँ ,
समस्या यह है की मेरे पास " Daul Boot 14 Inch CRT Monitar " कंप्यूटर है,
जिसमे XP और Ubuntu डाल रखा है,अब xp में तो मुझे 1024*768 resolution
मिल जाता है पर Ubuntu में नहीं , में 1024*768 resolution Ubuntu में कैसे पा
सकता हूँ , कृपया बताएं