बड़ी हलचल मच रही थी बिंग के लिए, और सुनने में आ रहा था कि बिंग के लिए माइक्रोसॉफ़्ट ने बड़ी मेहनत की है, और बड़े तामझाम (विज्ञापन और मीडि...
बड़ी हलचल मच रही थी बिंग के लिए, और सुनने में आ रहा था कि बिंग के लिए माइक्रोसॉफ़्ट ने बड़ी मेहनत की है, और बड़े तामझाम (विज्ञापन और मीडिया कवरेज) के साथ इसे जारी किया गया.
पर, क्या ये हम हिन्दी वालों के लिए खरा उतरता है? क्या ये वाकई हमारे काम का है? आइए, कुछ जांच पड़ताल करें.
सबसे पहले सर्च करते हैं – रचनाकार. पर ये क्या – हिन्दी में गूगल सजेस्ट जैसा बिंग में आता ही नहीं! (अंग्रेज़ी में तो बढ़िया आ रहा है – जैसे ही मैंने bho टाइप किया, सबसे ऊपर Bhopal आ गया!) क्या मेरे ब्राउजर की समस्या है? पता नहीं. पर ये मोजिल्ला, ओपेरा और इंटरनेट एक्सप्लोरर पर तो नहीं चला. अलबत्ता एकल शब्द का सर्च तो बढ़िया प्रतीत होता है -
सर्च परिणाम के पास एक छोटा सा नारंगी बिन्दु कमाल का है. उस पर माउस फिराने से कुछ अतिरिक्त जानकारी मिलती है, तत्काल. फिर मैंने एक छोटा सा वाक्यांश सर्च करने की कोशिश की. परिणाम ये रहा -
अरे! ये क्या? परिणामों में से अधिकतर तो कचरा सामग्री है, जो हिन्दी टेकफैक जैसी साइटों से निकाले गए हैं! तौबा!!
अब इसी सर्च को गूगल में देखते हैं -
कचरा तो यहाँ भी है, पर कुछ काम की भी कड़ियाँ हैं.
परिणाम?
अरे बाबा! परिणाम तो स्वयं सिद्ध है – बिंग हिन्दी में फेल.
# अद्यतन : अंकुर गुप्ता ने भी बिंग पर एक बढ़िया रीव्यू लिखा है.
बहुत जल्दी फैल हो गया.. गेट्स साब फिर से पढाई करो!!
जवाब देंहटाएंसर्च के मामले में गूगल ही सिरमौर है यह एक बार फिर सिद्ध हो गया।
जवाब देंहटाएंगूगल का कोई मुकाबला नही इसमें कोई शक नही किंतु ये अभी नया है हो सकता है कुछ समय हिंदी के साथ बिताने के बाद ये भी कुछ सीख जाए ।
जवाब देंहटाएंहिन्दी में फेल >: कोई बहाना नहीं चलेगा...पूरा फेल करो.
जवाब देंहटाएंचुंकी मेरा ब्राउजर हिन्दी का है, अतः बिंग भी हिन्दी में खुला और इसकी भाषा अच्छी है.
जवाब देंहटाएंजब "संजय बेंगाणी" को खोजा तो 204 परिणाम मिले. वहीं गूगल 110000 परिणाम बता रहा है. हाँ बिंग का केसरिया बिन्दू वाला विकल्प अच्छा लगा.
हिन्दी के लिये यदि बहुत कुछ नहीं है यहाँ तो असफल ही कहेंगे इसे हमारे लिये । बाकी तो बहुत कुछ अच्छा भी होगा दूसरी बातों में ।
जवाब देंहटाएंये क्यों भूलते हैं कि गूगल की हिन्दी सर्च भी कुछ समय पहले ऐं-वैं फालतू थी। माइक्रोसॉफ़्ट का यह शगूफ़ा नया आया है, थोड़ा टैम दो, हो सकता है कि सुधर जाए और बेहतर नतीजे दिखलाए!!
जवाब देंहटाएंबाकी अपन तो अभी तेल और तेल की धार देख रहे हैं! :)
रविशंकरजी,
जवाब देंहटाएंसंयोग की बात है, मैंने भी आज शाम बिंग आजमाया।
मैंने अपना नाम तलाशा, पहले दस नतीजों में ही छींटे और बौछारें का कुंजीपटल वाला लेख आ गया।
गूगल ने भी पहले दस नतीजों में इसे दिखाया।
हमारे लिए तो इनकी प्रतिस्पर्धा अच्छी ही होगी।
कुछ मामलों में तो बढ़िया है ! हिंदी में ट्राई तो नहीं किया अब तक.
जवाब देंहटाएंरवि जी , में काफी समय से आपका ब्लॉग पढ़ रहा हु , हिंदी में आपके योगदान के लिए साधुवाद , और रही बात बिंग की तो वो गूगल क्रोम में तो सही नहीं चला शायद गूगल ही नहीं चाहता होगा , लेकिन Fire-Fox में ये एकदम बढ़िया चला हिंदी में ,
जवाब देंहटाएंशायद मैंने हिंदी आपने xp में इनेबल कर रखी है ,शायद इसलिए ये Fire-Fox में सही चला हो
main abhi try karta hoon..
जवाब देंहटाएंprerit karne k liye badhai!
I am old user of yahoo. but to my disapointment for the last two days I am not able to open my emails because yahoo site is not connecting, even I tried to search yahoo help but it again goes to some other site.
जवाब देंहटाएंPlease do something at the earliest.
B M Agrawal
agrawal_bm@yahoo.com