प्र.: वास्तविक आनंद क्या है? उ.: चिट्ठाकारी. प्र.: आपके स्वप्न क्या हैं? उ.: एक खूबसूरत दिन जब आपकी अपनी शारीरिक आवश्यकताएँ...
प्र.: वास्तविक आनंद क्या है?
उ.: चिट्ठाकारी.
प्र.: आपके स्वप्न क्या हैं?
उ.: एक खूबसूरत दिन जब आपकी अपनी शारीरिक आवश्यकताएँ भी बेमानी हो
जाएँ और आप ब्लागिंग के अलावा कुछ नहीं करें.
प्र.: जब आप ब्लागिंग नहीं करते हैं तो क्या करते हैं?
उ.: वही काम करता हूं जो मुझे यथासंभव ब्लागिंग में वापस ले जाते हैं.
प्र.: यदि दुनिया में चिट्ठाकारी नहीं होती?
उ.: काल्पनिक प्रश्नों के उत्तर नहीं होते – काल्पनिक उत्तर भी नहीं.
प्र.: आपने किस उम्र में ब्लागिंग प्रारंभ किया?
उ.: काश मैं और पहले ब्लागिंग प्रारंभ कर सकता.
प्र.: अपने एक सम्पूर्ण दिन की व्याख्या करेंगे?
उ.: ब्लागिंग खाना, ब्लागिंग पीना और हां, ब्लागिंग सोना!.
प्र.: एक अच्छे ब्लॉगर के क्या सीक्रेट हैं?
उ.: हमेशा दिल लगाकर, तन-मन-धन से ब्लॉग करो!
प्र.: क्या आपको किसी से प्यार हुआ है?
उ.: हाँ, जाहिर है, चिट्ठाकारी से, और मैं अपने चिट्ठे से भी बेहद प्यार करता हूँ.
प्र.: यदि आप ब्लागिंग की दुनिया में नहीं होते तो किस क्षेत्र में होते?
उ.: ओह! यह प्रश्न हमेशा से मुझे सताता रहा है. मैं इसका उत्तर नहीं दे सकूंगा.
(आंखें डबडबा जाती हैं)
प्र.: आपके जीवन का दर्शन क्या है?
उ.: मैं ब्लॉगिंग में यकीन करता हूं… हमेशा.
प्र.: अपने खाली समय में आप क्या करते हैं ?
उ.: ब्लॉग लिखता हूँ. दूसरों के ब्लॉग पढ़ता हूं.
प्र.: आपकी प्रेरणा कौन है?
उ.: ब्लॉग्स. और वे हमेशा मुझे और ज्यादा संजीदगी से और ब्लॉग लिखने को प्रेरित करते हैं.
प्र.: ब्लॉगिंग की परिभाषा देंगे?
उ.: ब्लॉगिंग तो आपके दिल की आंतरिक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है जिसे आप अपने लेखन, चित्र, ऑडियो, वीडियो, और ऐसे ही अन्य विविध माध्यमों के द्वारा समस्त विश्व को प्रस्तुत करते हैं.
प्र.: आपके ब्लॉग की विशेषताएँ क्या हैं?
उ.: मैं सिर्फ ब्लॉग लिखना चाहता हूं. वास्तविक मनुष्यों के लिए वास्तविक ब्लॉग.
प्र.: आप किसे पसंद करेंगे – बुद्धि या धन?
उ.: दोनों में से किसी को भी नहीं. मैं ब्लॉगों, ब्लॉगरों को पसंद करता हूँ. यदि फिर भी आप जोर देंगे तो मैं धनी होना पसंद करूंगा चूंकि फिर मैं ढेरों ब्लॉगरों को मेरे लिए ब्लॉगिंग के लिए हायर कर सकूंगा.
प्र.: आपके विचार में प्यार का बोध क्या हो सकता है?
उ.: प्यार तो मन की एक अवस्था है जिसमें हर वस्तु – अच्छी हो या बुरी - अत्यंत प्रिय लगती है. उदाहरण के लिए, जब आप ब्लॉग लिखते हैं तो ब्लॉग के प्रथम कुछ पंक्तियों में ही जो गूढ़ार्थ निकल आता है – आपको वह अच्छा लगता है.
मुझे तो लगता है कि हर किसी को ब्लॉग और ब्लॉगरों से प्यार करना चाहिए.
प्र.: “रविरतलामी के ब्लॉग” के बारे में आपके विचार?
उ.: शानदार. जब ब्लॉगिंग के बीच कभी कोई ब्रेक मैं ले लेता हूँ, जो जाहिर है, कभी कभार ही होता है, तो यहाँ ब्लॉग पढ़ने आता हूँ.
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ati sundar..inki mahanata ke aage hum kya chij hain
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
जवाब देंहटाएंजवाब नहीं आपका.
सो रहा था चैन से मैं फ़ुर्सतों के शहर में
जवाब देंहटाएंजब जगा तो ख़ुद को पाया हादसों के शहर में
फ़ासले तो फ़ासले हैं दो किनारों की तरह
फ़ासले मिटते कहाँ हैं फ़ासलों के शहर में
दोस्तों का दोस्त है तो दोस्त बन कर ही तू रह
दुश्मनों की कब चली है दोस्तों के शहर में
थक गये हैं आप तो आराम कर लीजे मगर
काम क्या है पस्तियों का हौसलों के शहर में
मिल नहीं पाया कहीं सोने का घर तो क्या हुआ
पत्थरों का घर सही, अब पत्थरों के शहर में
हर किसी में होती है कुछ प्यारी प्यारी चाहतें
क्यों न डूबे आदमी इन ख़ुशबुओं के शहर में
धरती-अम्बर, चाँद-तारे, फूल-ख़ुशबू, रात-दिन
कैसा-कैसा रंग है इन बंधनों के शहर में
हम चले हैं ‘प्राण’ मंज़िल की तरफ़ लेकर उमंग
आप रहियेगा भले ही हसरतों के शहर में
बहुत रोचक शैली में लिखा है। आनन्द आगया।
जवाब देंहटाएंवाह रविजी! बढिया साक्षात्कार. ब्लॉगर महाराज से एक सवाल आप अगली बार मेरी ओर से पूछ लीजिएगा, 'अभी-अभी लोकसभा में 'नाटक एक करोड़' खेला गया, उस पर इनकी क्या राय है'. आपके यहां अलग हटकर तो मिलता ही है पढ़ने के लिए.
जवाब देंहटाएंअभी थोड़ी सी फूरसत मिली जाहिर है ब्लॉग से ही तो सोचा यहाँ कुछ पढ़ा जाय.
जवाब देंहटाएंइन विभूति का और हमारा अन्तिम प्रश्न का उत्तर एक ही है!
जवाब देंहटाएंwaah...aise hi hote hain sachche blogger.
जवाब देंहटाएंओर तो सब ठीक है गुरुदेव ये तन मन धन में ये ..तन की ब्लोगिंग क्या होती है
जवाब देंहटाएंरविजी कहीं आपकी मुलाकात मेरे पतिदेव से तो नहीं हो गई। लगता है आपने सत्यार्थमित्र के चिठेरे मेरे श्रीमान जी का चरित्रचित्रण कर दिया है।
जवाब देंहटाएंएक प्रश्न और। जब आपका नेटवर्क डाउन होता है, या कभी कंप्यूटर नहीं चल रहा होता, तब कैसा महसूस करते हैं।
जवाब देंहटाएंएक प्रश्न मेरा भी जवाब चाहता है- रोटी-दाल का जुगाड़ कैसे करते हैं?
जवाब देंहटाएंशानदार....
जवाब देंहटाएंसवाल तो अनगिनत हो सकते है , मगर जवाब सबका ब्लागिंग में ही समाता है। बहुत काबिल बंदे को पकड़ा है आपने साक्षात्कार लेने के लिए । पीछे तो आप हाथ धोकर ही पड़े थे , पर बड़ी चतुराई से , सलीके से आपको खत्म करना ही पड़ा। भाई ब्लागिंग के अलावा कुछ जानता ही नहीं।
बढिया , रविवारीय पोस्ट। { एक सच्चे ब्लाग साधक की तरह ये जानते हुए भी कि संडे को भाई लोग कम आते हैं, आपने इसे ठेल कर ब्लागधर्म निभाया। वैसे संडे को यह रिस्क से कम नहीं होता !}
बहूत खूब।
जवाब देंहटाएंडिस्क्लेमर:
जवाब देंहटाएंयह टिप्पणी.. भाई रतलामी के मोडरेशन को पास करके नुमायाँ हुई है ।
अतः इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है, क्योंकि ब्लागर संहिता में केवल अच्छा
अच्छा, मी्ठा मीठा ही प्रकाशित होने देने का प्राविधान है । असुविधा के लिये क्षमा !
@ डा.अनुराग तन से ब्लागिंग का, गुरुदेव का तात्पर्य इतना ही है कि आप ब्लागिंग में जो ग़ुनाह-ए-बेलज़्ज़त अपनी पीठ अकड़ा लेते होंगे, गरदन में दर्द से परेशाँ होंगे,
बस इतना ही ! है न गुरुवर ? आप तो ब्लागिंग स्तंभ हैं, कृपया व्याख़्या देने का कष्ट करें !
बहुत सच
जवाब देंहटाएंमीठा सच
सच्चा सच
साक्षात्कार
कहां है इसमें
यह तो सच है।
रविजी,
जवाब देंहटाएंकुछ और सवाल पेश है।
भविष्य में यदि अवसर मिला तो अवश्य पूछिए।
१)चिट्ठाकारी की नियमितता के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या रोज़ लिखना जरूरी है? या सप्ताह में दो या तीन बार?
२)अभद्र भाषा में अगर कोई टिप्पणी करता है तो क्या आप उसे छापेंगे?
३)क्या अपने ही ब्लॉग का प्रचार करना ठीक है?
४)क्या आप "हिट्स" की गिनती या टिप्पणियों की गिनती में लगे रहते हैं?
५)यदि कोई आपके ब्लॉग की नकल करके अपने नाम से छाप देता है तो आप कैसा महसूस करेंगे और क्या काररवाई करेंगे?
६)ऐसा कौनसा ब्लॉग है जिसे पढ़कर आपके मन में यह विचार आया था "वाह! काश यह चिट्ठा मेरा लिखा हुआ होता?"
७)आपके परिवार वाले आपके अपने ब्लॉग पर इतना समय बिताने पर क्या कहते हैं? क्या वे आपके ब्लॉग को पढ़ते है? यदि एक दिन पत्नि आपसे पूछती है कि इस ब्लॉग - वॉग के चक्कर में आप को कितनी आमदनी हुई है तो आप क्या उत्तर देंगे?
८)यदि अस्वस्थता या किसी और कारण आप ब्लॉग नहीं कर पाते तो आप कितने दिनों तक बिना छटपटाये इस क्रिया से दूर रह सकते हैं?
९)क्या आप केवल नियमित समय पर ब्लॉग करते हैं ? क्या कभी देर रात को आप उठकर कंप्यूटर ऑन करके देखते हैं कि मेरे हाल ही में छपे पोस्ट पर क्या प्रतिक्रिया है?
और भी सवाल मन में आते रहेंगे । आज के लिए इतना ही।
शुभकामनाएं