कंटेंट इज द किंग बनाम आंकड़ों की बाजीगरी

SHARE:

100? 200? 500? 1000? आपके चिट्ठे आखिर कितने लोग पढ़ते हैं? इस पर लिखने की जिम्मेदारी जब अंतत मुझ पर ठेल दी गई (बॉल अगले की कोर्ट में फे...

100? 200? 500? 1000?

आपके चिट्ठे आखिर कितने लोग पढ़ते हैं? इस पर लिखने की जिम्मेदारी जब अंतत मुझ पर ठेल दी गई (बॉल अगले की कोर्ट में फेंक दी गई,) तो इस विषय में भले ही मेरी जानकारी सीमित हो, परिपूर्ण न हो, मेरी अपनी जानकारी के अनुसार मामले में कुछ उलटा सीधा दरियाफ़्त करने की कोशिश तो कर ही सकता हूं.

जैसे ही आप अपना चिट्ठा प्रकाशित करते हैं, इसमें लगे हुए यंत्र और स्क्रिप्ट तमाम दुनिया को सूचना (पिंग) देते हैं कि भाई एक नया चिट्ठा प्रकाशित हो गया है. आइए इसे पढ़िए. सर्च इंजनों, चिट्ठा संकलकों से लेकर व्यक्तिगत ग्राहकों - सभी तक ये अलग अलग जरिए से पहुँचता है. यहां से शुरू होता है आंकड़ो का अजूबा खेल.

आइए, देखते हैं कि रचनाकार की रचनाओं को कौन, कितना पढ़ता है.

ब्लॉगवाणी के जरिए रचनाकार के किसी चिट्ठे में पहुँचने वाले पाठक शायद ही कभी दो अंकों की संख्या को पार कर पाए होंगे. चित्र गवाह है – विवादित विषय पर भी संख्या 14 से पार नहीं गई.


रचनाकार के नियमित ग्राहक जो फ़ीडबर्नर से सब्सक्राइब करते हैं उनकी औसत संख्या है – 80.

यदि आप अपने चिट्ठे की पूरी फ़ीड प्रकाशित करते हैं, जैसे कि रचनाकार में होता है, तो चिट्ठाजगत की फ़ीड के जरिए पढ़ने वालों की संख्या भी शामिल की जा सकती है. मेरी जानकारी के अनुसार चिट्ठाजगत की फ़ीड के कोई चार सौ से अधिक ग्राहक हैं और इनके एक चौथाई भी यदि आपके चिट्ठे इसके जरिए पढ़ते हैं (इसके जरिए मैं बहुत से चिट्ठे नियमित पढ़ता हूं वऑपेरा ब्राउजर के फ़ीडरीडर के जरिए फुरसत से ऑफलाइन पढ़ने का यह बढ़िया तरीका है) तो यह संख्या 100 मानी जा सकती है. इसी तरह की सुविधा नारद के साथ भी है. परंतु उसके आंकड़े अनुपलब्ध हैं.

इन नियमित तौर तरीकों के अलावा हिन्दी पृष्ठों पर अब ज्यादातर पाठक सर्च इंजिनों के जरिए पहुँचने लगे हैं. रचनाकार का स्टेटकाउंटर का पिछले हफ़्ते का स्क्रीनशॉट देखें –


औसतन, प्रतिदिन कोई पाँच सौ पेज लोड हो रहे हैं जो औसतन 200 पाठकों द्वारा पढ़े जा रहे हैं. ये पाठक सीधे ही बुकमार्क के जरिए या सर्च इंजिनों के जरिए पहुँच रहे हैं. जैसा कि इनका आगे का परिवीक्षण बताता है -


तो, जाहिर है, रचनाकार के पृष्ठों को कोई चार सौ से अधिक पाठक नित्य पढ़ रहे होते हैं – यानी महीने के कोई बारह हजार से अधिक पाठक. ठीक इसी तरह, आपके चिट्ठा पृष्ठों को भी ढेरों लोग पढ़ रहे होते हैं, जिनका अंदाजा आपको नहीं होता है.

मगर ये बात भी तय है कि रचनाकार के कोई 850 पोस्टों में सामग्री की प्रचुरता है जिसके जरिए इसके पृष्ठों पर सीधे व सर्च इंजिनों के जरिए पहुँचने वाले पाठकों की संख्या ज्यादा है. किसी दिन चिट्ठा पोस्ट प्रकाशित नहीं भी होता है तब भी ये संख्या बरकरार रहती है. इसका अर्थ क्या हुआ? अर्थ वही हुआ जो इस चिट्ठे के शीर्षक में दिया गया है.

प्रोब्लॉगर डेरेन रोज ने कभी कहा था – कोई फोटोग्राफर सफल फोटोग्राफर तब बनता है जब तक कि वो दस हजार फोटोग्राफ खींचकर फेंक नहीं देता. उसी तरह कोई चिट्ठाकार (चिट्ठा समझें,) तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि वो एक हजार पोस्ट नहीं लिख लेता.

तो, जब तक आप अपनी हजारवीं पोस्ट न लिख लें, (मेरे चिट्ठे को भी इस जादुई संख्या को पार करने में वर्षों लगेंगे) आंकड़ों के जाल में न उलझें. आपकी एक हजार एक वीं पोस्ट, यकीन मानिए, उतने ही संख्या में पाठकों को खींच लाएगी.

आमीन!

COMMENTS

BLOGGER: 13
  1. पाठकों के पठन विश्लेषण की अच्छी शुरूआत है.

    ब्लॉगवाणी के जरिए रचनाकार के किसी चिट्ठे में पहुँचने वाले पाठक शायद ही कभी दो अंकों की संख्या को पार कर पाए होंगे. से असहमति है.

    ब्लागवाणी सिर्फ नये लेखों पर ही नहीं आपके पुराने लेखों पर भी बहुतायत में पाठक भेजता है. रचनाकार की पोस्टों पर ब्लागवाणी द्वारा 200 तक पाठक भेजे गये हैं. नीचे के चित्र की गवाही भी देखिये.
    http://cafehindi.com/images/rachanakar.jpg

    नीचे दिये गये लिंक को भी किलकाकर देखिये
    http://blogvani.com/Default.aspx?mode=blog&blogid=449&span=250&count=300

    रचनाकार की ब्लागवाणी ने 478 प्रविष्टियां संकलित की जिनपर 29,118 बार पाठक भेजे गये. यानी 60 पाठक प्रति प्रविष्टि से अधिक का औसत है.
    http://blogvani.com/Bloggerdetail.aspx?BlogID=449

    और फिर हमारी कोशिश जारी है कि ब्लागावणी द्वारा पहुंचाये पाठक तीन अंको तक ही नहीं चार अंकों तक पहुंचे.

    जवाब देंहटाएं
  2. एक बार गूगल एनालिटिक्स का भी प्रयोग करके देखें.

    जवाब देंहटाएं
  3. मैथिली जी,
    धन्यवाद. आभार. मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई यह जानकर कि रचनाकार में औसतन 60 पाठक ब्लॉगवाणी के जरिए आए. और, कुछेक प्रविष्टियों में 200 से अधिक पाठक पहुँचे.

    जवाब देंहटाएं
  4. रवि जी,
    सच में, अब सर्च इंजनों से लोग हिंदी चिठ्ठों तक पहुंचने लगे है। मेरे चिठ्ठे पर भी कई लोग ढ़ूढ़ते हुये आते हैं। ये हिंदी चिठ्ठाकारी के लिये अच्छी खबर है।

    लेकिन गूगल ऐडसेंस आजकल हिंदी चिठ्ठों से गायब है, ये बात नये और पुराने हिंदी चिठ्ठाकारों को हिंदी से दूर कर सकती है।

    मनीषा
    http://hindibaat.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  5. मनीषा जी, आपका ये कहना कि गूगल एडसेंस हिन्दी वालों को दूर कर सकती है, तो कुछ मामलों में ये भले ही संभव हो, पर ये भी सही है कि अभी तक एडसेंस से आय उतनी हो नहीं रही थी जिसके बिना पर चिट्ठाकारी पर निर्भर रहा जा सके. हालाकि कुछ सपने टूटेंगे, मेरा इंटरनेट खर्च निकलना बंद हो जाएगा, मगर फिर भी आगे की उम्मीद है कि एडसेंस हिन्दी में धमाके के साथ आएगा. आज नहीं तो कल. इंतजार करें. :)

    जवाब देंहटाएं
  6. चलिये, आंकड़े की मोह-माया से आपने दूर कर दिया। हजार स्तरीय पोस्ट लिखने तक अगर चुक न गये तो फिर आपसे बात करेंगे!
    पोस्ट लिखने के लिये धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. आपने अच्छा टारगेट दे दिया,हजार पोस्ट का. चलिये तो कल से शुरु हो जाते हैं.

    हजार पोस्ट के बाद मिलते हैं.. ज्ञान जी के साथ..राखी सावंत को आप बुलवा लीजियेगा.

    जवाब देंहटाएं
  8. यही तो !
    अभी से अपने को आँकड़ों में उलझा लेना, उसी प्रकार से है
    जैसे अधपकी रसोई के भगोने का ढक्कन उठा उठा कर यह
    देखना कि कैसी खुशबू है ।

    ज़िन्दगी के आँकड़ों को लाँघ कर ब्लागर पर आते हैं, और
    यहाँ भी आँकड़ें ?

    फिर तो सोचना पड़ेगा !
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  9. दो आँकड़े मुख्यतः सामने आते हैं -
    आपके स्थल पर पहुँचे लोगों की संख्या
    फ़ीड के जरिए पढ़ने वाले लोगों की संख्या

    अगर आप विज्ञापन केन्द्रित विश्लेषण कर रहे हैं तो फ़ीड के जरिए पढ़ने वाले पढ़ने वालों का कोई मायने नहीं है। मायने रखता है तो यही कि आपके अपने पन्ने पर कितने लोग आए।

    उसमें भी, खोज के जरिए पहुँचे लोग ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वही लोग विज्ञापनों पर अधिक चटके लगाते हैं, न कि बन्धे बन्धाए पाठक।

    इसलिए फ़ीड से अधिक महत्वपूर्ण है आपके स्थल का खोजी स्थलों पर मौजूद होना, और इसमें अधिक पन्ने होने से लाभ तो निश्चित रूप से होगा ही।

    आप यह भी पाएँगे कि आपके पुराने पन्नों पर समय के साथ अधिक लोग पहुँचते हैं - क्योंकि वह अधिक समय से जाल पर पड़ा हुआ है - बिल्कुल स्वाभाविक सी बात लगती है पर इसका महत्व हम नहीं समझ पाते हैं।

    अन्ततः मेरा निष्कर्ष भी वही है जो आपका है - अपने स्थल पर हर रोज एक पन्ना बढ़ाओ। और गुड़ खाओ।

    अगर आप अपने स्थल पर एक साल में तीन सौ पैंसठ पन्ने पैदा करते हैं तो बिल्कुल सही दिशा में जा रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  10. विश्लेषण अच्छा रहा. सामग्री की प्रचुरता वाली बात सही है. पहले मेरे जैसे का लिखा पढ़ने मुश्किल से पचास लोग आते थे, अभी जब मैं नहीं लिखता तब भी पचास से ज्यादा लोग दैनिक आते है...यानी ज्यादा से ज्यादा लिखा हुआ होना चाहिए...

    जवाब देंहटाएं
  11. ह्म्म, क्या कहा जाए।
    कंटेंट का लोचा बड़ा लोचा है।
    रचनाकार की तो बात ही अलग है, मैं खुद अक्सर इसके पिछले पन्ने खंगालता रहता हूं

    जवाब देंहटाएं
  12. आज की गति के हिसाब से सन २०१६ में मिलते हैं १००० पोस्ट पूरी करके. :)

    जवाब देंहटाएं
आपकी अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
कृपया ध्यान दें - स्पैम (वायरस, ट्रोजन व रद्दी साइटों इत्यादि की कड़ियों युक्त)टिप्पणियों की समस्या के कारण टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहां पर प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

तकनीकी ,1,अनूप शुक्ल,1,आलेख,6,आसपास की कहानियाँ,127,एलो,1,ऐलो,1,कहानी,1,गूगल,1,गूगल एल्लो,1,चोरी,4,छींटे और बौछारें,148,छींटें और बौछारें,341,जियो सिम,1,जुगलबंदी,49,तकनीक,56,तकनीकी,709,फ़िशिंग,1,मंजीत ठाकुर,1,मोबाइल,1,रिलायंस जियो,3,रेंसमवेयर,1,विंडोज रेस्क्यू,1,विविध,384,व्यंग्य,515,संस्मरण,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,स्पैम,10,स्प्लॉग,2,हास्य,2,हिंदी,5,हिन्दी,509,hindi,1,
ltr
item
छींटे और बौछारें: कंटेंट इज द किंग बनाम आंकड़ों की बाजीगरी
कंटेंट इज द किंग बनाम आंकड़ों की बाजीगरी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKvaCi6fJLWifNecrcKXdr521gRWKrhucS3W0AkGxCsZE1sWp5BI0ZYlrUj1o_OXh-20-9KzDkEcRoejqcu6TB-sV6DYFkkto8hvgCGoyw9lUKSES6nNduBHauBYx_Ts_ijRpw/s400/rachanakar+content+is+the+king+blogvani+status+.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKvaCi6fJLWifNecrcKXdr521gRWKrhucS3W0AkGxCsZE1sWp5BI0ZYlrUj1o_OXh-20-9KzDkEcRoejqcu6TB-sV6DYFkkto8hvgCGoyw9lUKSES6nNduBHauBYx_Ts_ijRpw/s72-c/rachanakar+content+is+the+king+blogvani+status+.jpg
छींटे और बौछारें
https://raviratlami.blogspot.com/2008/05/blog-post_20.html
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/
https://raviratlami.blogspot.com/2008/05/blog-post_20.html
true
7370482
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content