ग्रांड थेफ़्ट ऑटो 4 : कामुक, खूनी खेल?

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ग्रांड थेफ़्ट ऑटो 4 : हिंसा व यौन अपराधों से भरपूर, नया ताज़ातरीन वीडियो गेम स्पेस वार और पांग जैसे शुरूआती कम्प्यूटर और वीडियो गेमों के प्...



ग्रांड थेफ़्ट ऑटो 4 : हिंसा व यौन अपराधों से भरपूर, नया ताज़ातरीन वीडियो गेम

स्पेस वार और पांग जैसे शुरूआती कम्प्यूटर और वीडियो गेमों के प्रेमियों ने कभी ये अनुमान नहीं लगाया होगा. वीडियो गेम के पुरातन हीरो मारियो ब्रदर्स जैसे प्यारे व्यक्तित्व का ग्रांड थेफ़्ट ऑटों के आधुनिक निको बैलिक जैसे अपराधी और कामुक ख़ूनी के रूप में परिवर्तन - जिसका काम ही, यथा-नाम-तथा-गुण, मोटर-बाइकों और कारों की चोरी से प्रारंभ होता हो – निश्चित ही हाहाकारी है.
(ग्रांड थैफ़्ट ऑटो का हीरो - निको बैलिक)


(प्यारा सा, छुन्ना सा मारियो)

मगर, खेल प्रेमियों ने इसे हाथों हाथ लिया है. ये सचमुच आश्चर्य है कि दुनिया अपराध से इतना प्यार क्यों करती है? 29 अप्रैल 2008 को इसके जारी होने के पाँच दिनों के भीतर ही प्लेस्टेशन और एक्सबॉक्स 360 के लिए एक साथ जारी ग्रांड थेफ़्ट ऑटो 4 की 9 लाख 26 हजार प्रतियाँ हाथों हाथ बिक गईं और यह वीडियो खेलों में अब तक का सबसे ज्यादा बिकने वाला वीडियो गेम बन गया. चंद शुरूआती दिनों में ही इसके निर्माता रॉकस्टार नॉर्थ को कोई 200 करोड़ रुपए की आय हो चुकी है. एक अनुमान के अनुसार यह पाइरेट्स ऑफ कैरिबियन श्रेणी की सबसे सफल फ़िल्म से भी ज्यादा का व्यवसाय करेगी. यह ग्रांड थेफ़्ट ऑटो श्रेणी का ऐसा पहला वीडियो गेम है जिसे ऑनलाइन मल्टीप्लेयर मोड में भी खेला जा सकता है.

ग्रांड थेफ़्ट ऑटो में रॉकस्टार नार्थ का रेग तथा यूफ़ोरिया गेम इंजिन है जिसमें खेल का संचालन पहले से लिखे गए, तयशुदा दृश्यों पर चलने के बजाए कृत्रिम बुद्धि का प्रयोग कर खिलाड़ी के चाल व मौजूद दृश्यों पर निर्भर करता है. इससे गेम खेलने वाले को हर बार एक नया सा अनुभव तो होता ही है, यह वास्तविक दुनिया का सा रोमांच भी देता है. तो जरा रोमांचित होकर सोचिए कि आप अपने किसी प्रतिद्वंद्वी का गला रेत रहे हों, वह तड़प रहा हो और उसके गले से भल – भल ख़ून बह रहा हो...

आमतौर पर, अभिभावक अपने बच्चों को वीडियो गेम खेलते देख संतुष्ट हो लेते हैं कि इससे ज्यादा नुकसान नहीं है, और यह एक तरीके का स्वस्थ मनोरंजन है, और कुछ मामले में इसके फ़ायदे भी हैं. मगर ग्रांड थैफ़्ट ऑटो 4 (इसके पूर्व के संस्करण भी ऐसे दृश्यों से भरपूर हैं) जैसे खेल जो अपराध, सेक्स और हिंसा के ताने बाने पर बुने हों, बाल मन पर किस तरह उलटा असर डाल सकते हैं इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. वैसे तो ग्रांड थेफ़्ट ऑटो को वयस्क खेलों की श्रेणी में जारी किया गया है, मगर भारत जैसे देश में जहाँ चीयर गर्ल्स या सानिया मिर्जा के ड्रेस पर तो हो हल्ला मचाया जाता है, मगर इस तरह के वीडियो गेम बिना किसी सेंसर के वैध और अवैध (नकली, पायरेटेड) हर कहीं हर किसी को बेरोकटोक उपलब्ध हो जाते हैं. और इन पर किसी को कोई आपत्ति भी नहीं होती है. जाहिर है, इस क़िस्म के वीडियो खेलों में कहीं ज्यादा हिंसा और नंगई होती है, और वे कहीं ज्यादा नुकसान कर सकते हैं.

इस वीडियो गेम को ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में जारी करने से पूर्व (वहां के कानून के पालनार्थ) इसमें निहित अत्यधिक हिंसा और उत्तेजक यौन / मैथुन दृश्यों को हटा दिया गया है. भारत में इस तरह का कानून वीडियो खेलों के लिए नहीं ही है – वीडियो गेमों के लिए सेंसर बोर्ड जैसा प्रकल्प नहीं है जो खेलों में निहित इस तरह की चीजों की जांच पड़ताल कर इन्हें जारी करे. और, यदि ये जांच पड़ताल होती भी हैं तो पाइरेसी के चलते वैसे भी इस तरह के कदम निष्प्रभावी ही रहेंगे.

इस तरह के हिंसा व सेक्स से भरे खेलों पर प्रतिबंध के लिए तमाम तरफ से विरोधों के स्वर उठते रहे हैं. फ्लोरिडा, अमरीका के वकील (ग्रांड थैफ़्ट ऑटो – न्यूयॉर्क शहर के नए, नक़ली रूप लिबर्टी सिटी पर आधारित है) जैक थॉमसन बहुत पहले से ही इस अभियान में लगे हैं कि बच्चों व किशोरों को ग्रांड थैफ़्ट ऑटो जैसे यौन दृश्यों व हिंसा से भरपूर खेलों की बिक्री किसी सूरत न हो सके. मगर इस खेल की रेटिंग वयस्क कर दी गई है परंतु इसके अवयस्कों द्वारा खरीदने बेचने पर पाबंदी नहीं है. ग्रांड थैफ़्ट ऑटो 4 भले ही भारत में अभी वैध रूप से विक्रय हेतु जारी नहीं किया गया हो, मगर इसकी पायरेटेड कॉपियाँ पालिका बाजार जैसी जगहों में आसानी से उपलब्ध हैं. जाहिरा तौर पर, बच्चों व किशोरों के पालकों को ही खबरदार रहना होगा.

COMMENTS

BLOGGER: 4
  1. ज्ञानवर्धक! सही मुद्दे पर बात।

    मारियो तो हमने भी खेला फ़िर बाद मे मन ऐसा ऊबा कि अब तो जानते ही नही कि क्या और कैसे कैसे वीडियो गेम आ रहे हैं।

    पर यह वाकई अफसोसजनक है कि हमारे यहां इन सबके लिए कोई कानून या नीति नही है।

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  2. बिल्कुल सही कहा आपने, इन खेलो के सामाजिक प्राभाव और स्कूलों में हो रही हिंसा पर एक शोध पढ़ा था मैंने पर लेखक का नाम याद नहीं.

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  3. बेनामी10:56 am

    ab tu kya duniya ko sudharne niklega? log khelna chahte hai to tujhe kya problem hai? Duniya kya tere baaton pe nachegi? Jo hona hai wo hoke hi rahega. Kabhi Tao Te Ching padh lena, samajh mein aa jayega kya bol raha hoon.

    जवाब देंहटाएं
  4. अनाम जी,
    दुनिया को सुधारना.... ही ही ही... पहले मैं खुद तो सुधर लूं...


    वैसे, दुनिया कभी बिगड़ी भी है? या दूसरे शब्दों में कहें तो कभी सुधरी भी है?

    मेरा प्रयास मात्र जानकारी देने का ही रहा है. यकीन मानिए.

    जवाब देंहटाएं
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