चिट्ठाजगत्.कॉम : भाषाई दीवारों को तोड़ने की एक और नायाब कोशिश

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अंग्रेजी की किसी भी प्रविष्टि को आज आप कम्प्यूटर तकनॉलाजी के जरिए दर्जनों अन्य भाषाओं जिनमें चीनी और अरबी भी शामिल है, में त्वरित और तत्काल...

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अंग्रेजी की किसी भी प्रविष्टि को आज आप कम्प्यूटर तकनॉलाजी के जरिए दर्जनों अन्य भाषाओं जिनमें चीनी और अरबी भी शामिल है, में त्वरित और तत्काल परिवर्तन (पढ़ें, अनुवाद), सिर्फ और सिर्फ एक क्लिक से कर सकते हैं. याहू के बेबल फिश और गूगल के औजार तो थे ही, माइक्रोसॉफ़्ट ने कुछ इसी तरह का एक नया लाइव ट्रांसलेटर औजार अभी हाल ही में जारी किया है. संभवतः निकट के कुछ वर्षों में ही हम अंग्रेजी से हिन्दी और हिन्दी से अंग्रेजी भाषा में सिर्फ एक क्लिक से संपूर्ण अनुवाद जैसी कम्यूटिंग सेवाओं की सहायता धड़ल्ले से लेने लगेंगे. जनसंचार की भाषाई दीवार को कम्प्यूटर तकनॉलाजी ने एक तरह से ध्वस्त कर दिया है.

भोमियो के जरिए हमारे ब्लॉगों को अंग्रेजी (रोमन) समेत आधे दर्जन से अधिक अन्य भारतीय भाषाओं की लिपि में पहले ही पढ़ा जा रहा था. चिट्ठाजगत् चिट्ठा संकलक ने इसमें एक और नया आयाम जोड़ा है.

चिट्ठाजगत्.कॉम के जरिए हिन्दी के समस्त चिट्ठे आसान, पठन-पाठन योग्य रोमन हिन्दी में पढ़े जा सकेंगे. इसका रोमन लिप्यांतरण भोमियो की तुलना में ज्यादा सरल और बेहतर प्रतीत होता है. अब आपके लिखे हिन्दी चिट्ठों को दुनिया के उन तमाम पाठकों तक पहुँचने की गारंटी हो गई है जो हिन्दी बोली को समझ तो लेते हैं, परंतु हिन्दी लिपि को पढ़ना उनके लिए असंभव सा कार्य होता है. कहने का अर्थ यही कि मेरा तेलुगु दोस्त जो मुम्बईया फ़िल्म के गाने व डायलॉग तो बखूबी समझ लेता है, परंतु उन्हें हिन्दी में पढ़ नहीं सकता, अब वो भी चिट्ठाजगत्.कॉम के जरिए, रोमन हिन्दी में आराम से पढ़ सकता है, और उनके मजे ले सकता है. अब ये बात जुदा है कि व्यक्तिगत तौर पर रोमन हिन्दी में लिखा मुझे बिलकुल नहीं सुहाता. परंतु फिर, यदि मैं तेलुगु भाषी होता तो संता बंता के हिन्दी चुटकुले रोमन हिन्दी में पढ़कर मजे अवश्य लेता. और शायद इसीलिए, करोड़ों हिन्दी एसएमएस की आज की सर्वाधिक प्रचलित भाषा रोमन हिन्दी ही है.

कुछ अतिरेकी विचारधारी लोगों को चिट्ठाजगत्.कॉम के इस महान कार्य से 180 अंश की असहमति हो सकती है, परंतु यकीन मानिए, इंटरनेट पर हिन्दी भाषा, हिन्दी सामग्री और हिन्दी चिट्ठाकारों की बेहतरी के लिए यह सुविधा एक और वरदान की तरह ही होगी. और, जैसा कि शास्त्री जी ने अपने चिट्ठे पर लिखा है – 80 प्रतिशत पाठक इस नए जरिए से पहुँचेंगे, तो संभवतः ये बात कुछ हद तक कटु-सत्य भी हो सकती है – जब तक कि हर उपलब्ध कम्प्यूटर पर बाइ डिफ़ॉल्ट देवनागरी हिन्दी की सुविधा मिल नहीं जाती.

चिट्ठाजगत्.कॉम के इस प्रयास का स्वागत और उनके नए नायाब प्रयासों को नमन्.

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COMMENTS

BLOGGER: 5
  1. यह एक सराहनीय प्रयास तो है ही साथ ही चिट्ठाजगत की उपलब्धि भी है!

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  2. बेनामी8:44 pm

    "हिंदी को आगे लाए जाने के लिये इंग्लिश का बहिष्कार ना करके उसका उपयोग करें तो ज़्यादा बेहतर होगा" का इससे अच्छा प्रयोग नहीं हो सकता
    RACHNA

    जवाब देंहटाएं
  3. यह हिन्दी को आगे ले जायगा - सराहनीय है।

    जवाब देंहटाएं
  4. रवि जी,

    इस विषय पर मैं ने जो निरीक्षण चिट्ठाकारों के सामने रखा उसे आपने और आगे बढाया एवं स्पष्ट किया. आभार -- शास्त्री जे सी फिलिप


    हिन्दीजगत की उन्नति के लिये यह जरूरी है कि हम
    हिन्दीभाषी लेखक एक दूसरे के प्रतियोगी बनने के
    बदले एक दूसरे को प्रोत्साहित करने वाले पूरक बनें

    जवाब देंहटाएं
  5. आपसे सहमत हूँ, निश्चय ही यह नवप्रयोग हिन्दी चिट्ठाजगत को फैलाने में सहयोग देगा। इस विषय पर मेरे विचार यहाँ हैं।

    जवाब देंहटाएं
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छींटे और बौछारें: चिट्ठाजगत्.कॉम : भाषाई दीवारों को तोड़ने की एक और नायाब कोशिश
चिट्ठाजगत्.कॉम : भाषाई दीवारों को तोड़ने की एक और नायाब कोशिश
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