(डिजिटल इंसपायरेशन में अमित अग्रवाल ने पेज-व्यू के बारे में लिखा) (प्रोब्लॉगर में डेरेन रॉस ने पेज-व्यू के बारे में लिखा) क्या आ...
(डिजिटल इंसपायरेशन में अमित अग्रवाल ने पेज-व्यू के बारे में लिखा)
(प्रोब्लॉगर में डेरेन रॉस ने पेज-व्यू के बारे में लिखा)
क्या आपको पता है कि विश्व के शीर्ष क्रम के चिट्ठाकार क्या और कैसे लिखते हैं? मेरा मतलब है कि वे अपना विषय कैसे चुनते हैं? कैसे वे सोचते हैं कि कौन सा विषय उनके पाठकों को सर्वाधिक आकर्षित करेगा? खासकर तब, जब वे नियमित, एकाधिक पोस्ट लिखते हैं.
मैं पिछले कुछ दिनों से विश्व के कुछ शीर्ष क्रम के ब्लॉगरों (अंग्रेज़ी के) के चिट्ठों को खास इसी मकसद से ध्यानपूर्वक देखता आ रहा हूँ, और मुझे कुछ मजेदार बातें पता चली हैं जिन्हें मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूँ.
बड़े - बड़ों की कहानियाँ हथिया लें.
इस बात की पूरी संभावना होती है कि शीर्ष क्रम के सारे के सारे चिट्ठाकार बड़ी कहानियों और बड़े समाचारों के बारे में चिट्ठा पोस्ट लिखें. बड़े समाचार को कोई भी शीर्ष क्रम का चिट्ठाकार छोड़ना नहीं चाहता. अब चाहे इससे पहले सैकड़ों लोगों ने उस विषय पर चिट्ठा लिख मारे हों, मगर फिर भी बड़े चिट्ठाकार उस विषय पर लिखते हैं कुछ अलग एंगल और अलग तरीके से पेश करते हुए – हालाकि वे कोई नई बात नहीं बताते होते. अतः यदि आप इन शीर्ष क्रम के चिट्ठाकारों को पढ़ रहे होते हैं तो इस बात की पूरी संभावना है कि आप किसी कहानी को कई कई मर्तबा दोहराते हुए पढ़ें. ये रहे कुछ उदाहरण -
आधिकारिक एडसेंस ब्लॉग ने एडसेंस की एक सर्वथा नई विशेषता गोलाई दार कोने के बारे में जब लिखा, जो कि कोई बड़ी कहानी वैसे भी नहीं थी – वह मौजूदा सेवा में मात्र एक नई अतिरिक्त, बहुत छोटी सी विशेषता को जोड़ा गया था – तो शीर्ष क्रम के चिट्ठाकारों ने इस समाचार को पकड़ लिया. डेरेन रॉस ने इस पर लिखा, अमित अग्रवाल ने इस पर लिखा और क्विक ऑनलाइन टिप्स पर भी इस बारे में चिट्ठा पोस्ट लिखा गया!
इसी तरह, एक कहानी आई थी पेज व्यू के ऊपर – कि कैसे अब पेज रैंकिंग के लिये ‘पेज लोड संख्या’ इतिहास की वस्तु बनती जा रही है और वास्तविक पेज व्यू समय (रचनाकार के लिए खुशखबरी है यह – उसके लंबे, उबाऊ उपन्यासों को सिर खपा कर पढ़ने का समय अब इसकी प्रसिद्धि में वृद्धि करेगा न कि इसकी गिनती के दो-चार पेज हिट्स) अब महत्वपूर्ण होगा. इस समाचार के बारे में– डेरेन रॉस ने लिखा, अमित अग्रवाल ने भी लिखा और, माशाबल में भी यह प्रकट हुआ.
कुछ समय पूर्व जब एडसेंस प्रकाशकों की कमाई विश्वस्तर पर गिरी थी तो अमित ने इस बारे में लिखा था और उनका साथ दिया था रॉस ने अपने चिट्ठे में, इसी बात को बताते हुए. और जब एडसेंस रेफरल 2 आधिकारिक रूप से जारी हुआ तो डेरेन रॉस ने इस पर लिखा था तो क्विक ऑनलाइन टिप्स ने भी इसी समाचार पर अपनी ब्लॉग प्रविष्टि दी थी.
इस कहानी से शिक्षा –
अगर आप शीर्ष स्तर के चिट्ठाकार बनना चाहते हैं तो बड़े समाचारों को तत्काल पकड़ लें. उस पर लिख मारें. भले ही जब से समाचार ब्रेक हुआ है, दर्जनों अन्य लोगों ने पहले भी लिख रखा हो, आप अपनी शैली व भाषा में अलग एंगल से लिख मारें. और जब आप किसी दिन शीर्ष क्रम के चिट्ठाकार बन जाते हैं तो फिर यदा कदा कोई कचरा पोस्ट – जैसे कि यह भी लिख सकते हैं :)
वैसे, हिन्दी चिट्ठाकारों के लिए तो मसालों की कतई कमी नहीं है और विषय के दोहराव की संभावना भी बहुत कम है – क्योंकि सक्रिय चिट्ठों की संख्या ही बहुत कम है. मैंने भी कुछ पोस्टें ( 1 2 3 4 5 6 ) अंग्रेजी के इन शीर्ष चिट्ठाकारों के सुर में सुर मिलाने की कोशिशों में की है, और आप इस कोशिश को शीर्ष की ओर की नाकाम चूहा दौड़ मान सकते हैं :)
(मूल अंग्रेजी आलेख यहाँ पढ़ें)
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जी मैंने भी यह बात बहुत पहले नोट की थी कि शीर्ष चिट्ठाकार टैक न्यूज पर लगातार नजर रखते हैं और फटाफट उस पर लिख डालते हैं।
जवाब देंहटाएंइसलिए मैंने भी कभी नियमित लिखने का सोचा था लेकिन अफसोस नियमित लिखना मेरे बस में नहीं।
आपके इस तरह के अनुसंधान-आधारित लेखों से मुझ जैसे लेखको को आधिकारिक एक ओर मार्गनिर्देशन मिल जाता है तो दूसरी ओर काफी समय बच जाता है. आभार स्वीकार करें -- शास्त्री जे सी फिलिप
जवाब देंहटाएंहिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
संशोधित:
जवाब देंहटाएंआपके इस तरह के अनुसंधान-आधारित लेखों से मुझ जैसे लेखको को एक ओर आधिकारिक मार्गनिर्देशन मिल जाता है तो दूसरी ओर काफी समय बच जाता है. आभार स्वीकार करें -- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
बढ़िया जानकारी दी। अपने ब्लाग मे कुछ लिखते समय ध्यान रखूंगा।
जवाब देंहटाएंमुझे जो बात कहनी थी करीब करीब वही बात श्रीश भाई ने कह डाली है!!
जवाब देंहटाएंजी मैंने भी यह बात बहुत पहले नोट की थी कि शीर्ष चिट्ठाकार टैक न्यूज पर लगातार नजर रखते हैं और फटाफट उस पर लिख डालते हैं।
जवाब देंहटाएंअपन शीर्ष चिट्ठाकार तो नहीं रहे कभी लेकिन २ वर्ष पहले तक डिजिट ब्लॉग और उससे पहले अपने वेब डेवेलपर ब्लॉग पर मैं भी ऐसे ही लिखता था, जो काम की खबर लगी उस पर लिख डाला, लेकिन फिर समयाभाव के चलते जारी नहीं रख पाया। :)
सही है एक शीर्ष चिट्ठाकार की बात नोट की गयी।
जवाब देंहटाएंउस्तादजी,
जवाब देंहटाएंआपकी बातें महज बातें नहीं, मुझ जैसे नौसिखियाओं के लिए 'दिशा-दान' हैं । आपकी ऐसी बातों से हौसला बंधता और बढता है ।
ऐसी बातों के लिए आप नियमित कक्षाएं लेते रहें ।
आभार ।
रवि जी,आप बहुत बढिया जानकारी उपलब्ध करा रहे है।बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी
जवाब देंहटाएंरवी जी, मेरे विचार से आपकी सलाह अंग्रेजी चिट्ठाकारी के लिये लागू होती है हिन्दी चिट्टाकारी के लिये नहीं। यह बात मेरे कई मित्र, जो अंग्रेजी में चिट्टाकारी करते हैं, कहते हैं । उनकी कुछ चिट्ठियां को तो एक हफ्ते में ३-४ हजार हिटस् मिल जाते हैं। मैं इस तर्ज अपने छुटपुट चिट्ठे पर लिखता हूं पर निराशा ही मिलती है।
जवाब देंहटाएंमैंने ३ मई को ' कानूनी जंग: सर कटा देंगे पर झुकायेंगे नहीं' नाम की चिट्ठी लिखी। यह चिट्ठी डिग्स् के ऊपर थी और इस खबर के प्रकाशित होने के २४ घंटे के अन्दर थी। उस समय तथा इसके कई दिन तक अंग्रेजी चिट्ठाकारी के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली खबर थी। जहां तक मैं समझता हूं इस विषय पर हन्दी में किसी और ने नहीं लिखा। इसके बावजूद यह मेरी, न केवल, सबसे कम पढ़ी गयी चिट्ठी रही पर इसमें एक भी टिप्पणी नहीं आयी और न ही चिट्टाचर्चा करने वालों ने इसे महत्वपूर्ण समझा। इस पर एक भी लिंक नहीं है। उस समय और अधिकतर तो हिन्दी चिट्ठाजगत केवल ऐसे विवादों डूबा रहता है जिनका कोई अर्थ नहीं होता है।
सही है.
जवाब देंहटाएंश्रीश जी,
जवाब देंहटाएंऐसा न कहिए. आपसे हमें बहुत उम्मीदें हैं. आप नियमित लिखें. हमारी शुभकामनाएँ.
शास्त्री जी, अंकुर जी, संजीत जी, अनूप जी, परमजीत जी, विष्णु जी, अजित जी, संजय जी
धन्यवाद :)
अमित जी,
धन्यवाद. आपसे आशा करते हैं कि आप हिन्दी में लिखना शुरू करें. :)
उन्मुक्त जी,
आपका कहना बिलकुल सही है. और इसीलिए - एक बार फिर इसीलिए मैं सिर्फ और सिर्फ उन्हीं विषयों को उठाता हूँ जिन्हें मैं समझता हूं कि हिन्दी चिट्ठाकारों को पढ़ने में अच्छा लगे. थोड़ा मनोरंजन हो, थोड़ी जानकारी मिले और ज्यादा क्लिष्ट न हो. आपकी वह पोस्ट मैंने भी पढ़ी थी, वाकई लाजवाब पोस्ट थी, परंतु आपने सही ऑब्जर्व किया - शायद हम ऐसी पोस्टें हिन्दी में समय से पहले कर रहे होते हैं :)
फिर भी, आपसे गुजारिश है कि गाहे बगाहे ऐसी खबरों पर भी लिखा करें - ऐसी कुछ खबरें जो कालजयी हों - जिन्हें आज भी पढ़ा जा सके और कल भी पढ़ने में मजा दें. फिर हमें कम से कम आज पाठकों की कमी नहीं अखरेगी - क्योंकि पता है, कल को पाठक इन्हें ढूंढ कर पढेंगे ही.