औसतन, 95 प्रतिशत चिट्ठा पाठक टिप्पणी नहीं करते हैं. समीर और संजय जैसे 'स'कारात्मक सोच वाले चिट्ठाकार जो नियमित टिप्पणियाँ करते हैं, ...
औसतन, 95 प्रतिशत चिट्ठा पाठक टिप्पणी नहीं करते हैं.
समीर और संजय जैसे 'स'कारात्मक सोच वाले चिट्ठाकार जो नियमित टिप्पणियाँ करते हैं, उनकी संख्या महज 0.1 प्रतिशत ही है.
और, जो मेरे जैसे गाहे बगाहे टिप्पणी करने वाले हैं - उनकी कुल संख्या, कुल पाठकों की संख्या का महज 5 प्रतिशत ही है.
यानी, आपके चिट्ठापाठक बहुत ही बेदिल, मतलबी, स्वार्थी किस्म के लोग होते हैं जो आपको एक अदद टिप्पणी भी नहीं टिका सकते.
मगर नहीं. ये बात नहीं है.
बात दरअसल टिप्पणी लिख पाने की असमर्थता व झंझट को लेकर ज्यादा होती है.
प्रायः हर टिप्पणी देने वाले को अपना नाम, ईमेल पता तो आवश्यक रूप से भरना ही होता है, अपना जालस्थल का पता भी भरना होता है. और, आमतौर पर यह कष्टकारी ही होता है. स्पैमरों को रोकने के लिए बहुत से चिट्ठों में कैप्चा तकनॉलाजी इस्तेमाल में लाई गई होती है जिसमें अजीब नाम वाले अक्षरों को देख कर सही सही लिखना होता है. यह तो टिप्पणी करने से ज्यादा झंझट भरा होता है. कई टिप्पणियों के लिए नए बक्से खुलते हैं तो किसी टिप्पणी लिखने के लिए आपको लॉगिन करना होता है. यानी कुल मिलाकर तमाम झंझटें.
इस कष्ट से आपके ब्लॉग को छुटकारा दिलाने के लिए ही एक आसान रास्ता आपके लिए प्रस्तुत है.
क्लिक कमेंट्स नाम की एक सुविधा उपलब्ध है जिसमें आपके चिट्ठापाठक आपके चिट्ठे को पढ़ने के बाद सिर्फ एक क्लिक कर उसके बारे में अपनी राय दे सकेंगे और यदि आवश्यक हुआ तो कुछ लिख भी सकेंगे. क्लिक कर पहले से तय इन आठ टिप्पणियों-जैसे-आइकनों के माध्यम से वे आपके चिट्ठे पर आसानी से टिपिया सकेंगे. ये हैं -
कूल स्टफ़ - शानदार माल
इंसपायर्ड मी - प्रेरणास्पद
एंटरटेनिंग - मनोरंजक
राइट मोर - और लिखें
क्रिएटिव - सृजनात्मक
इनसाइट फ़ुल - अंतर्दृष्टि युक्त
टच्ड माई हार्ट - दिल को छू लेने वाला
ग्रेट फ़ाइंड - बढ़िया खोज
जाहिर है, इसमें बकवास, बेकार, रद्दी, घटिया इत्यादि टिप्पणियों के लिए जगह नहीं दी गई है. शायद क्लिक कमेंट्स के शब्दकोश में ऐसी कोई जगह नहीं है. या फिर इन्हें किसी क्लिक-एंटी-कमेंट्स नाम के नए प्रकल्प के लिए छोड़ रखा गया है.
बहरहाल क्लिक कमेंट्स जैसा भी है, है जोरदार. और इसे लगाना और भी आसान है. ब्लॉगर - वर्डप्रेस में तो इसे विजेट के रूप में आसानी से लगा सकते हैं.
एक ही स्थल से सौ बार क्लिक कर क्लिक कमेंट को 100 के आंकड़े तक पहुँचाने से रोकने के लिए थोड़े बहुत उपाय तो किए ही गए हैं, पर वे कोई फुल प्रूफ नहीं है, और ये मेरे जैसे उत्साही लोगों के खासे काम आएंगे.
कुल मिलाकर, क्लिक कमेंट है बड़े काम का!
तो, अबसे अगर आपको मुझसे टिप्पणियों की चाहत होगी तो आज ही बल्कि अभी ही अपने चिट्ठे में क्लिक कमेंट लगाएं. अलग से टिप्पणी लिखूं या न लिखूं, ऊपर दिए आठ में से दो-चार क्लिक-कमेंट को क्लिक कर टिपियाने का वादा है मेरा - हर चिट्ठे को - जिन्हें पढ़ता हूँ उन्हें भी और जिन्हें नहीं पढ़ पाता उन्हें भी!
बहुत बढ़िया, ये लगती तो बहुत अच्छी है, पर मैं पहले टिप्पणी कर दूँ फिर जाकर इस क्लिक कमेंट को देखता हूँ। मैं भी चाहता हूँ कि आप मेरे चिट्ठे पर टिपियाएँ, देखता हूँ आप वादा निभाते हैं या नहीं। परंतु इसमें कैसे पता चलेगा कि टिप्पणी आपने की है?
जवाब देंहटाएंवैसे 'अ'कारात्मक सोच वाले भी अक्सर आपके चिट्ठे पर टिप्पणी करते हैं।
चलो अच्छी बात है, अजमा लेते हैं..
जवाब देंहटाएंआपके चिट्ठे पर यह विजेट नही दिख रहा!! यह अच्छी बात नही है. :)
वाह, आपके चिट्ठे पर आना मतलब कि कुछ ना कुछ नया लेकर ही लौटना।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया!!!
एक छत्तीसगढ़िया का पत्र आपकी प्रतीक्षा में है।
लो जी, मैं टिपियाये दे रहा हूँ, फिर न कहना कि टिप्पणी नहीं करता!! ;)
जवाब देंहटाएंजुगाड़ की संभावना तो सही दिखे है, लेकिन इसमें बहुत सुधार की आवश्यकता है! :)
आपने बहुत सही लिखा है... टिप्पणी को अभी भी छूत की बिमारी समझ कर लोग उससे दूर ही रहना चाह्ते हैं....
जवाब देंहटाएंआप का गुर आजमाने की इच्छा है देखते हैं कैसा काम करता है
नई जानकारी के लिये धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंकाम नहीं बना जी, ये क्लिक कमेंट तो वर्डप्रेस के लिए है और प्लगइन सुविधा की माँग करता है। वर्डप्रेस डॉट कॉम पर यह सुविधा नहीं है।
जवाब देंहटाएंइसीलिए ईपंडितजी कहते हैं कि ब्लॉगर बहुत भला है :)
वो तो ठीक है मगर विजेट कहाँ लगा रखा है, यहीं जाँच हो जाती. :)
जवाब देंहटाएंसही जुगाड़ ले कर आएं है.
आपकी सुविधा के लिए अपने चिट्ठे पर लगा लिया है. अब टिप्पीयाना प्रभू. :)
जवाब देंहटाएंजरा देख कर बताये कैसा लग रहा है
जवाब देंहटाएंअब तो टिपिया देना रवि जी
बढिया है मैं भी उपयोग करूंगा
जवाब देंहटाएंरवि जी,
जवाब देंहटाएंक्लिक कमेम्ट्स को बाद मेँ आजमायेंगे, पहले टिप्पणी कर के 5 % मेँ तो शामिल हो लिया जाय.
वैसे इस जानकारी पर आठोँ के आठोँ क्लिक कमेंट्स लागू होते है.
एक कहा आठ समझना .
अरविन्द चतुर्वेदी
भारतीयम्
विजेट कहाँ लगा रखा है, वो तो बताओ कि सबके यहाँ तो बस चटका लगाओ और हमने बताया, इसलिये बैठकर इत्मिनान से टाईप करो. :)
जवाब देंहटाएंलगाते हैं अपने यहाँ भी और लिख देंगे, रवि रतलामी की सुविधा के लिये.कृप्या बाकी लोग पूर्ववत जारी रहें. :)
हम भी उन ५% की गिनती में आते हैं जो यदा कदा टिप्प्णी कर देते हैं। पर खाली " अच्छा लिखा है, लिखते रहो" टाइप की टिप्पणीयाँ मुजसे तो नहीं होती। अगर लेख अच्छा है तो टिप्प्णी कर देते हैं, बाकी अच्छे ना लिखे लेख पर टिप्प्णी कर विवाद को आमंत्रण देना बंद कर दिया अब।
जवाब देंहटाएंअच्छा है।
जवाब देंहटाएंratlami ji hum bhi swarthi hai
जवाब देंहटाएंआज एक चीज और जानी और इस्तेमाल भी कर लिया। मैंने अपने ब्लॉग इसे जोड दिया है। लेकिन इससे कहीं टिप्पणी की रचनात्मकता प्रभावित न हो। ... और सबसे बढकर उन्हें यह निराश करेगा जो खामख्वाह की पंगेबाजी कर उकसाते चलते हैं। किंतु-परंतु एक तरफ... मैं इसे इस्तेमाल कर रहा हूँ। शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबह्त बढिया ! लेकिन काम नही आया आपके ब्लाग पर .
जवाब देंहटाएंबड़ा ही सुलभ तरीका बताया है आपने टिप्पणी करने का।
जवाब देंहटाएंलेकिन आपके ही चिठ्ठे पर नही दिख रहा ये बिजेट ।
आपकी शान मे एक शेर याद आया है।
" आपकी तो वो मिसाल है जैसे कोई दरख़्त ,
" दुनिया को चैन बख़्श के खुद धूप मे रह्ते है"